अमीरों पर हाई टैक्स लगाने का सुझाव देने वाले तीनों IRS अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र जारी, ड्यूटी से हटाया

Update: 2020-04-28 09:48 GMT

आयकर विभाग ने 50 आईआरएस अधिकारियों द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के बाद तीन अधिकारियों को आरोप पत्र जारी किए हैं, और सरकार को इससे 'शर्मिंदगी' हुई है...

जनज्वार ब्यूरो। आयकर विभाग ने सोमवार को भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत आरोप पत्र जारी किए और उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया। इन अधिकारियों ने कोरोना वायरस की महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को पहुंचे नुकसान की भरपाई करने के लिए टैक्स में बढ़ोत्तरी करने का सुझाव दिया था।

तीनों अधिकारियों प्रशांत भूषण, प्रकाश दुबे और संजय बहादुर ने सुपर रिच टैक्स, कोविड 19 सेस और वेल्थ टैक्स व इनहेरिटेंस जैसे उपायों की वकालत की थी। इसकी रिपोर्ट तैयार करने और उसे सार्वजनिक करने में उनकी कथित भूमिका के लिए तीनों अधिकारियों को जिम्मेदारारियों से मुक्त कर दिया गया है।

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भूषण आयकर, दिल्ली के प्रमुख आयुक्त हैं, दुबे कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के निदेशक हैं और बहादुर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के लिए उत्तर पूर्व क्षेत्र में जांच के प्रमुख निदेशक हैं। 'द प्रिंट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय सिविल सेवा नियम का उल्लंघन करने के लिए सभी को ड्यूटी से भी हटा दिया गया है और 15 दिनों के भीतर लिखित में जवाब देने को कहा गया है।

Full View आईआरएस अधिकारियों के एक समूह ने कोविड -19 के बाद अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक नीति पत्र में सुझाव पेश किए थे जिसका शीर्षक 'फिस्कल ऑप्शंस एंड रिस्पांस टू कोविद -19 पैनेडेमिक (FORCE)' था।। इसकी जानकारी आईआरएस एसोसिएशन ने 25 अप्रैल को ट्विटर पर दी थी। भूषण और दुबे आईआरएस एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। जबकि भूषण महासचिव हैं, दुबे संयुक्त सचिव हैं।

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CBDT चार्जशीट

यकर विभाग के एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि आईआरएस एसोसिएशन के 50 अधिकारियों को गुमराह करने के लिए तीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकारी ने कहा, 'सीबीडीटी ने तीन वरिष्ठ आईआरएस अधिकारियों को सीसीएस (आचरण) नियम, 1964 के उल्लंघन के लिए आरोप पत्र जारी किए हैं और उन्हें उनकी वर्तमान जिम्मेदारियों से मुक्त किया है।

Full View कहा, आधिकारिक चैनलों के माध्यम से भेजने की बजाय रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया था। भारत के राष्ट्रपति के नाम से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों ने बिना किसी अधिकार के पेपर तैयार किया। इसमें कहा गया है कि बिना अनुमति के पेपर को सार्वजनिक होने से सरकारी नीतियों के बारे में भ्रम पैदा हुआ जो अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। आदेश में कहा गया है कि इससे सरकार को शर्मिंदगी हुई है।

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