निकाय चुनाव में हार से आहत पूर्व टीएमसी पार्षद ने की आत्महत्या

Update: 2017-08-18 19:23 GMT

सुप्रिया डे के पति समीर का आरोप है कि सुप्रिया को तृणमूल के कुछ कार्यकर्ताओं ने डराया था, जिसकी वजह से वो भारी तनाव में थीं...

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में इसी महीने 13 अगस्त को हुए निकाय चुनाव का परिणाम कल 17 अगस्त को आ चुका है, जिनमें ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पहले नंबर पर रही। 148 वॉर्ड पर हुए चुनावों में 140 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को जीत हासिल हुई है, वहीं भारतीय जनता पार्टी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है।

लेकिन यह हार—जीत एक महिला प्रत्याशी के लिए जिंदगी गंवा देने वाली साबित हुई। नादिया जिले के अधिसूचित क्षेत्र कोपर शिविर से निर्दलीय उम्मीदवार सुप्रिया डे पर चुनाव में हार का सदमा इस कदर हावी हो गया कि उन्होंने मौत को गले लगा लिया। कहा जा रहा है कि उन्होंने खुदकुशी की है। 38 वर्षीय सुप्रिया डे को मात्र 30 वोटों से हार मिली थी, जिसका सदमा सहना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। गौरतलब है कि सुप्रिया डे टीएमसी की पूर्व पार्षद रह चुकी हैं।

खबरों के मुताबिक सुप्रिया के पति समीर का आरोप है कि सुप्रिया को तृणमूल के कुछ कार्यकर्ताओं ने डराया था, जिसकी वजह से वो भारी तनाव में थीं। चुनाव वाले दिन तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं से हुई बहस के बाद वो लगातार डिप्रेशन में थीं। समीर कहते हैं कि जब चुनाव का रिजल्ट आया और उन्हें पता चला कि वो मात्र 30 वोट से हारी हैं तो उन्होंने कल कुछ गोलियां खाकर आत्महत्या कर ली। सुप्रिया को 320 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वरी अशोक सरकार को 350 वोट मिले।

अब तक सुप्रिया के पति ने किसी के खिलाफ पुलिस में कोई मामला दर्ज नहीं कराया है, मगर समीर इतना जरूर कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व को उन कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने सुप्रिया को डराया—धमकाया था। हालांकि सुप्रिया डे की मौत की खबर मिलते ही तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता अस्पताल पहुंच चुके थे।

इस मामले में नादिया के पुलिस अधीक्षक शीश राम झज्हरिया कहते हैं, ''चूंकि हमें कोई शिकायत नहीं मिली है, इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।'

गौरतलब है कि निकाय चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने सातों निकायों पांशकुड़ा, नलहाटी, कूपर्स कैंप, हल्दिया, दुर्गापुर, धूपगड़ी, बुनियादपुर में जीत का परचम लहराया है। इसके अलावा हुगली, चंपदानी और पश्चिमी मिदनापुर में हुए उपचुनावों में भी तृणमूल कांग्रेस जीती है।

इन चुनावों में दूसरे स्थान पर रही भाजपा को 5 वार्डों पर जीत मिली है, तो पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक सत्तासीन रहा लेफ्ट सिर्फ 1 सीट पर सिमटकर रह गया। कांग्रेस की हालत तो इतना खस्ता रही कि वह इन चुनावों में अपना खाता तक नहीं खोल पायी।

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