'आज मेरा शांतिपूर्ण मार्ग पर चलने का संदेश विफल हो गया, लेह में जो हुआ वह बहुत दुखद...' लद्दाख हिंसा से दुखी सोनम वांगचुक ने तोड़ी भूख हड़ताल
Laddakh Unrest : लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे आंदोलनकारी युवाओं द्वारा हिंसक कार्रवाई को अंजाम देने पर थ्री इडियट फेम पर्यावरण एक्टिविस्ट और शिक्षक सोमन वांगचुक ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इस हिंसक कार्रवाई के बाद सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल भी खत्म कर दी। सोनम वांगचुक गांधीवादी तरीके से केंद्र सरकार का ध्यान अपनी मांगों की तरफ आकर्षित करने के लिए पिछले 15 दिन से अनशन कर रहे थे, मगर आज युवा आंदोलनकारियों द्वारा हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के बाद उन्होंने अपनी भूख हड़ताल तोड़ने का ऐलान किया और लेह में हुई हिंसक घटनाओं को काफी दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह उनके लिए बहुत दुखद है। इस घटना के बाद सोनम वांचगुक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया है।
गौरतलब है कि आज छात्रों और स्थानीय लोगों ने केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्ण बंद का आह्वान किया था, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई, जिससे हालात तनावपूर्ण हो गए। गुस्साई भीड़ ने CRPF की गाड़ी, पुलिस वैन और कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया और लेह स्थित बीजेपी दफ्तर को भी निशाना बनाया और वहां आगजनी की। अब तक इस हिंसा में लगभग आधा दर्जन की मौत और 100 के लगभग लोग घायल हुए हैं।
सोनम वांगचुक लेह घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कह रहे हैं, 'आज हमारे अनशन पंद्रहवें दिन यह बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि आज लेह शहर में कुछ बड़े पैमाने पर हिंसा और तोड़फोड़ होने लगी। कई कार्यालयों को तोड़ा गया, आग लगा दी गई और गाड़ियों को पुलिस के आग लगा दी गई। इससे पहले मैं आपको यह बताऊं कि कल यहां पर जो पैतीस दिन के अनशन पर बैठे थे, उनमें से दो लोग हॉस्पिटाल में उन्हें ले जाना पड़ा। बहुत गंभीर स्थिति में। इससे लोगों में बहुत रोष जागा और आज पूरे लेह में बंद की घोषणा की गई और फिर युवा पीढ़ी हजारों की संख्या में बाहर आ गए।'
सोनम वांगचुक आगे कहते हैं, 'कुछ लोग सोचते हैं कि यह हमारे समर्थक थे। मैं कहूंगा हमारे समर्थक से ज्यादा हालांकि समर्थक पूरा लद्दाख है इस मुद्दे पर लद्दाख के, मगर यह युवा पीढ़ी का आंदोलन था। एक तरह का जेन जी रेवोल्यूशन, जो कि उनको सड़कों पर लाया। पांच सालों से वो बेरोजगार हैं। एक के बाद एक बहाने करके उन्हें नौकरियों से बाहर रखा जा रहा है और फिर लद्दाख को संरक्षण नहीं दे रहे हैं। मैं हमेशा बोलता आया हूं कि यह नुस्खा है समाज में अनरेस्ट का, सोशल अनरेस्ट का कि आप बिना कामकाज के युवा को रखें और उनके जो लोकतांत्रिक अधिकार हैं उनको भी छीन लें। न आज यहां पर कोई लोकतंत्र का मंच नहीं है और छठवां शेड्यूल जिसकी घोषणा की थी, वचन दिया था, वह भी नहीं माना गया।'
सोनम वांगचुक कहते हैं, 'फिलहाल मैं इसमें नहीं जाना चाहूंगा। मैं अपील करता हूं लद्दाख के युवा पीढ़ी से कि वह जो भी हो, जो भी हो हिंसा के रास्ते पर न चले, हिंसा के रास्ते पर यह मेरे पांच साल के कोशिशों को नाकाम कर देता है। अगर हम इतने सालों से अनशन कर रहे हैं, शांति से पदयात्रा कर रहे हैं और फिर अंत में अगर हिंसा कर बैठे तो यह हमारा रास्ता नहीं है। इसलिए मैं फिर युवा पीढ़ी से हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि हम शांति के ही रास्ते से सरकार को कहें और सरकार भी, मैं चाहता हूं कि शांति के संदेश को सुने।
बकौल सोनम वांगचुक, जब सरकार शांति को अनसुनी कर दे, एक बार अनशन, दो बार अनशन, पांच बार तक अनशन करें। कोई लेह से दिल्ली तक पैदल चले आए शांति से और उसका भी कोई अनसुना कर दे तो फिर इस तरह के हालात आते हैं। इस समय मैं सरकार से कहूंगा कि वह संवेदनशील हो लद्दाख के बारे में और युवा पीढ़ी से कहूंगा कि वो शांति के रास्ते पर चले। मैं पूरे देश से यह बताना चाहता हूं कि यह रास्ता मेरा दिखाया हुआ नहीं है। यह उनके भड़ास का एक परिणाम है। मगर यह भड़ास निकालने का समय नहीं है। शांति से, ठंडे दिमाग से सरकार के साथ वार्तालाप करने का समय है। आज बस इतना ही, अभी बस इतना ही।