जामिया के आंदोलनकारी छात्रों का आरोप, वीसी आफिस पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को गुंडे भेजकर पिटवाया

Update: 2019-10-23 01:46 GMT

छात्रों का कहना है हम लोग प्रशासन द्वारा 5 छात्रों को दिये गये 'कारण बताओ नोटिस' के विरोध में कर रहे थे शांतिपूर्ण प्रदर्शन, तो प्रशासन ने गुंडे भेज दिये, जिन्होंने हमें बेल्ट से पीटा और गमले उठाकर छात्रों पर फेंके...

जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालस से रितिक जावला की रिपोर्ट

दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ जमकर मारपीट की गयी। धरनारत छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने गुंडे भेजकर विरोध प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ मारपीट की, वहीं प्रशासन अपनी सफाई में कह रहा है कि अनुशासनहीनता पर 5 छात्रों को 'कारण बताओ नोटिस' जारी किया गया था, लेकिन जवाब देने के बजाए उन्होंने नोटिस की कॉपियों को जलाया और अनुशासन समिति का बहिष्कार भी किया, जहां उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था। इन्हीं छात्रों ने वहां माहौल हिंसक बनाया था।

वहीं छात्रों का कहना है कि वो लोग 5 छात्रों को मिले 'कारण बताओ नोटिस' के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तभी प्रशासन की तरफ से भेजे गए गुंडे आए और प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बेल्ट से पीटना शुरू कर दिया। इसके अलावा वे गमले उठाकर भी छात्रों को मारने लगे।

इस घटनाक्रम और इससे पहले भी छात्रों को कारण बताओ मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि मंगलवार 22 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में महात्मा गांधी पर एक सेमिनार आयोजित किया गया था। सेमिनार में आये वक्ता जब वापस जाने लगे तो प्रदर्शकारी छात्रों ने उनका रास्ता रोक दिया, वहीं इन छात्रों ने कुलपति ऑफिस का घेराव भी किया। प्रदर्शनकारियों ने ऑफिस कॉम्प्लेक्स को घेरने के साथ-साथ सभी एक्जिट गेट को भी बंद कर दिया तो टीचरों और अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी छात्रों से प्रशासनिक कॉम्प्लेक्स का रास्ता खोलने की बात कही, मगर उन्होंने वहां भी गमले रख दिये। तभी दूसरे ग्रुप से वहां पहुंचे कुछ छात्रों ने हाथापाई शुरू कर दी। इस मारपीट को रोकने के लिए यूनिवर्सिटी के गार्ड भेजे गये थे, जिन्हें ये छात्र प्रशासन के गुंडे कह रहे हैं।

गौरतलब है कि इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब बीते 5 अक्टूबर को जामिया मिलिया इस्लामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर कमेटी ने 5 छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए परिसर में हुए विरोध प्रदर्शन के मसले पर कारण बताओ नोटिस जारी किया और कारण न बताने पर विश्वविद्यालय से निलंबित करने का नोटिस छात्रों को भेजा है। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित global health zenith confluence 19 नाम का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यह कार्यक्रम इजरायल की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ 5 अक्टूबर को आयोजित किया गया था।

इजरायल और फिलीस्तीन के मध्य जो युद्ध बरकरार है, जहां इजराइल की आर्मी के द्वारा फिलिस्तीन की जनता का शोषण और मानवाधिकारों की अवहेलना को प्रदर्शन करने की मुख्य वजह से विश्वविद्यालय के छात्रों ने 1 घंटे तक नारेबाजी करने के बाद शांतिपूर्वक उसका समापन किया।

मारपीट और तोड़फोट की गवाही देते टूटे गमले

जिन छात्रों अर्जुन, अनस, सुमेधा, गौहर और अबु दर्दान को नोटिस मिला है, उनसे बात करने पर घटना का पूरा विवरण जानने को मिला। उनका कहना था कि वह किसी भी कार्यक्रम के खिलाफ नहीं थे। छात्रों का कहना था हमने अपना विरोध सिर्फ इसलिए दर्ज कराया कि जहां एक और फिलिस्तीन की आवाम को इजरायल द्वारा दबाया कुचला जा रहा है और हमारे देश के विश्वविद्यालयों में वही शोषणकारी देश कार्यक्रम आयोजित करवा रहा है।

छात्रों का कहना है कि जामिया प्रशासन ने हमारे घर पर फोन कर हमें और हमारे परिवार वालों का मानसिक उत्पीड़न किया है, वहीं दूसरी तरफ डिप्टी चीफ प्रॉक्टर का कहना है कि छात्रों ने मुझ पर ही गुंडा होने का आरोप लगाया है और छात्रों ने प्रशासन के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग भी किया। इस घटना के चलते कार्यक्रम में रुकावट पैदा हुई, जिसके चलते हमने 7 अक्टूबर को दोषी छात्रों के परिवार वालों को मिलने के लिए बुलाया गया, लेकिन किसी के घर से कोई नहीं आया, जिसके बाद 11 अक्टूबर को कारण बताओ नोटिस छात्रों को दिया गया।

Full View को विश्वविद्यालय प्रशासन ने 15 तारीख तक का समय दिया गया। कहा गया कि 15 अक्टूबर तक जवाब न देने पर छात्रों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसके चलते छात्रों ने अपना सामूहिक धरना 14 अक्टूबर को शुरू कर दिया था। आज 22 अक्टूबर को इस धरने का नौवां दिन है। इन्हीं कारणों से वाइस चांसलर से बातचीत के चलते छात्रों ने वाइस चांसलर के कार्यालय का घेराव किया। छात्रों का कहना है कि हमारी किसी भी बात की कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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