जेएनयू : अब 10 रुपये वाले रूम के देने होंगे 300 रुपये, सर्विस चार्ज के 1700 रुपये वसूले जाएंगे

Update: 2019-11-12 08:30 GMT

जेएनयू में रह रहे छात्रों को पहले जहां सिंगल रूम के लिए 10 रुपए किराया हर महीने देना पड़ता था अब उसे बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया गया है। वहीं डबल रूम के लिए पहले छात्र 20 रुपये किराया हर महीने दिया करते थे इसको भी बढ़ाकर 600 रुपये कर दिया गया है.....

जनज्वार, नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र पिछले 16 दिनों से कैंपस के अंदर हड़ताल पर बैठे हुए हैं। 11 नवंबर को एक ओर जहां विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का कार्यक्रम चल रहा था वहीं दूसरी ओर छात्रों ने फीस में भारी बढ़ोत्तरी समेत कई मांगों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

इसके बाद प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज भी कर दिया। कैंपस में भारी संख्या में सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवान मौजूद रहे।

रअसल यह पूरा मामला हॉस्टल मैनुअल को लेकर है जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल और अन्य नियमों को लेकर एक नया ड्राफ्ट तैयार किया जिसको लेकर विद्यार्थियों ने अपनी आपत्ति जताई है। हॉस्टल मैनुअल के द्वारा कई ऐसे बदलाव कि जा रहे हैं जिससे विश्विविद्यालय को जेल बनाने की कोशिश की जा रही है। आइए जानते हैं कि छात्र क्यों प्रदर्शन करने को मजबूर हो गए हैं और हॉस्टल मैनुअल को लेकर कौन से नियमों को बदल दिया जाएगा।

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जेएनयू में लगभग 16 हॉस्टल हैं जिसमें रह रहे छात्र बिजली पानी बिल के समेत अन्य बिलों का भुगतान नहीं करते हैं जिससे जेएनयू को हर साल दस हजार करोड़ खर्च करने पड़ते हैं लेकिन अब प्रशासन ने कई बदलाव किए हैं।

ए नियमों के तहत जेएनयू में रह रहे छात्रों को पहले जहां सिंगल रुम के लिए 10 रुपए किराया हर महीने देना पड़ता था अब बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया गया है। वहीं डबल रुम के लिए पहले छात्र 20 रुपये किराया हर महीने दिया करते थे इसको भी बड़ा कर 600 रुपये कर दिया गया है।

ससे पहले जहां सेवा शुल्क जिसमें साफ सफाई, रखरखाव के लिए छात्रों को पैसा नहीं देना पड़ता था।इस सेवा शुल्क को भी बढ़ाकर 1700 रुपये कर दिया गया है। वहीं वन टाइम मेस सिक्योरिटी 5500 रुपये देनी पड़ती थी और इसको बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया है।

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हॉस्टल मैनुयल को लेकर छात्रों का मानना है कि इससे यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 40 प्रतिशत छात्रों के ऊपर असर पड़ेगा। यह 40 प्रतिशत बच्चे गरीब घरों से ताल्लुक रखते हैं और आर्थिक तंगी के कारण इतनी फीस नहीं दे सकते है। एक तरफ जहां सरकार गरीबों को पढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार इन बच्चों के ऊपर नए नियमों को लाकर उन्हें शिक्षा के अधिकार से अलग कर रही हैं।

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