नए सेशन से साफ होता जा रहा है कि अगर आपको जेएनयू में रहना है तो जुबान पर ताला लगाके रहना होगा, क्योंकि यहां अब नोटिसों में भी लिखकर आ रहा है कि आपने वीसी और प्रॉक्टर के खिलाफ नारे लगाए हैं...
मोहित पांडेय, जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष
आज के दिन का काफी हिस्सा विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर आॅफिस में गुजरा. छात्र प्रदीप नरवाल को एक्सटेंशन लेना था, जब मैं वहां पहुंचा तब पता चला कि प्रॉक्टर ऑफिस से सब कुछ ब्लॉक है.
वहीं पर छात्र नेता उमर खालिद से भी मौजूद थे. उमर खालिद ने बताया कि उन पर 9बी का प्रॉसेस चल रहा था. उन्होंने जब इस प्रॉसेस को ठीक करवा लिया तो उन पर 2016 का पुराना केस निकालकर उनके अकादमिक प्रॉसेस को ब्लॉक कर दिया गया.
अकादमिक प्रॉसेस ब्लॉक करने का मतलब हुआ कि आपको विश्वविद्यालय प्रशासन किसी न किसी स्तर पर पढ़ने नहीं देना चाहता है और ब्लॉक किए जाने के कारण न तो आप अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं और न ही आपको डिग्री मिल सकती है. एक तरह से छात्रों की हालत कचहरी में तारीख लगाने वाले मुलजिम की कर दी जाती है.
जेएनएयूएसयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ) के चारों पदाधिकारियों और छात्र सुरेश गारिमेला का एकेडेमिक प्रॉसेस ब्लॉक है, जबकि छात्र सुमित का रिजल्ट विश्वविद्यालय प्रशासन ने रोक दिया है.
वहीं छात्र दिलीप यादव, प्रशांत निहाल, शकील, मृत्युंजय सिंह और मुलायम पर जुर्माना है और एकेडेमिक प्रॉसेस बंद है.
मैंने जब प्रॉक्टर ऑफिस में बैठे- बैठे लिस्ट देखी तो कैंपस के लगभग सभी छात्र कार्यकर्ताओं और पिछले दिनों आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों काअकादमिक प्रॉसेस किसी न किसी बहाने विश्वविद्यालय प्रशासन ब्लॉक किए हुए है.
लगभग 20 से ज्यादा लोगों की लिस्ट है जिनका एकेडेमिक प्रॉसेस ब्लॉक किया गया है.
जांच अभी चल भी रही है, फिर भी ब्लॉक है.
इस संदर्भ में जब मैंने प्रॉक्टर से पूछा कि किस नियम के तहत छात्रों के साथ ऐसा किया गया है तो बोलीं विशेष नियम हैं.
अब साफ़ शब्दों में समझिये कि जेएनयू में "घुटनों के बल चलो", "मुँह मत खोलो", "आवाज़ मत उठाओ" ये सब धमकी दे कौन रहा है? एक्टिविस्ट हो? अच्छा आवाज उठाये, आओ इन्क्वायरी में.
अब तो हद हो गयी है. नोटिसों में लिख के आता है कि "इन्होंने जेएनयू वीसी और प्रोफेसर अतुल जोहरी के खिलाफ नारे लगाए", "इन्होंने प्रशासनिक ब्लॉक पर बैनर बांधे".
(मोहित पांडेय जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष हैं. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैये के खिलाफ फेसबुक पर अपना पक्ष रखा है.)