कर्मनाशा का पुल ध्वस्त होने से जीटी रोड यूपी–बिहार सीमा पर आवागमन के लिए हो गई बंद

Update: 2020-01-02 06:59 GMT

पुल पर आवागमन रुक जाने से यूपी का बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड से टूट गया है संपर्क, निर्माणकर्ता कंपनी ने पीसीएल पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वालों के प्रश्न को सिरे से खारिज करते हुए हादसे का कारण बताया है ओवरलोड को...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

देश के 13 राज्यों को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे नम्बर दो यानी कोलकाता से पेशावर जाने वाली जीटी रोड पिछले चार दिन से बिहार के दुर्गावती के निकट कर्मनाशा पुल के दरक जाने से बंद हो गयी है। 15 साल न्यूनतम चलने वाला यह सड़क पुल घटिया निर्माण के चलते 10 साल में ही 28 दिसंबर को ध्वस्त हो गया। अब इसकी निर्माता कम्पनी को बचाने के लिए तर्कों की ओवरलोडिंग को जिम्मेदार बताने की कवायद शुरू हो गयी है, क्योंकि घटिया निर्माण प्रमाणित होने पर भरी कमीशन खाकर पुल को पास करने वाले अधिकारियों की गर्दन भी नपेगी।

पुल पर आवागमन रुक जाने से उत्तर प्रदेश का बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड से संपर्क टूट गया है। निर्माणकर्ता कंपनी ने पीसीएल (प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड) पुल की गुणवत्ता पर सवाल उठाने वालों के प्रश्न को सिरे से खारिज करते हुए हादसे का कारण ओवरलोड को बताया है। कम्पनी यह नहीं बता पा रही है कि एन एच 2 के रास्ते में इन नदियों पर दस साल से ज्यादा पुराने पुल क्यों नहीं क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जबकि उन पर भी वाही ओवरलोड ट्रक रात-दिन चलते हैं।

यूपी बिहार बॉर्डर के नौबतपुर के कर्मनाशा नदी के ऊपर बना पुल शुक्रवार की रात अचानक दरक गया। इसके बाद सूचना मिलते ही यूपी-बिहार प्रशासन हरकत में आया और आवागमन को रोक दिया। वहीं शनिवार की सुबह मौके पर एनएचएआई व सिक्स लेन निर्माण में लगी कंट्रक्शन कंपनी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और, क्षतिग्रस्त पुल का मुआयना किया। चुकी कर्मनाशा नदी ओवरब्रिज निर्माण के दौरान चार पाए बनाए गए थे, जिसमें एक पाए का दोनों सपोर्ट पूरी तरह से ध्वस्त होकर नीचे लटक गया। ऐसे में पुल एक फीट नीचे आ गया है। पुल के तीन पायों में भी दरारें आ गई हैं।

नेशनल हाईवे 2 मार्ग पर पुल के रास्ते आवागमन को अगले आदेश तक रोक दिया गया है। सवारी और छोटी गाड़ियों को पुरानी जीटी रोड खजुरा नौबतपुर ओवरब्रिज के रास्ते गुजारा जा रहा है। दिल्ली कानपुर इलाहाबाद और वाराणसी से बिहार की ओर जा रही गाड़ियों को वाराणसी के तरफ जाने का निर्देश दिया है, जबकि बिहार के कैमूर प्रशासन के द्वारा मोहनिया चेक पोस्ट टोल प्लाजा पर ही पूरब से पश्चिम की ओर ही जाने वाली गाड़ियों को रोक दिया गया है!

गर ओवरलोडिंग की बात मानी जाये इसे रकने की जिम्मेदारी किसकी है? पिछले 10 सालों से बेतरतीब तरीके से बालू की ओवरलोडिंग नेशनल हाईवे 2 के रास्ते डेहरी ऑन सोन नदी से वाराणसी तक हो रही थी। इसे लेकर सरकार गंभीर नहीं थी। रोजाना 1500 से 2000 ओवर लोड गाडिय़ां इस पुल से हो कर गुजरती थीं। हाल के दिनों में यूपी पुलिस प्रशासन ने ओवरलोडिंग के खिलाफ सख्त अभियान शुरू किया था। इससे बचने के लिए बालू की ओवर लोड गाड़ियां कर्मनाशा नदी पुल पर ही खड़ी हो जाती थीं। इसका असर पुल पर ही पड़ा और शुक्रवार की रात जवाब दे गया।

वागमन शुरू करने के लिए क्षतिग्रस्त ब्रिज के बगल से ही डायवर्जन बनाने का काम कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इसका काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है। कर्मनाशा नदी में पूरे वर्ष पानी का बहाव होता रहता है और नदी पर बांध और जलाशय भी हैं। फिलहाल एक लेन ही बनाया जाएगा। वह भी पुल के उत्तर दिशा में। दक्षिण तरफ निजी लोगों की जमीन है। जिन्हें मुआवजा देना पड़ेगा।

र्मनाशा नदी पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद जहां पुल के पश्चिमी सीमा पर यूपी पुलिस का पहरा लगा दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ पुल के पूर्वी छोर पर बिहार की कैमूर पुलिस तैनात है। पुल के दोनों तरफ बैरिकेटिंग कर दी गई है। पुल से 200 मीटर पूरब खजुरा से ही पुरानी जीटी रोड से गाड़ियों को डायवर्ट कर दिया जा रहा है। सवारी बसें और छोटी गाड़ियां इसी रास्ते से आ जा रही हैं। वही नौबतपुर में यूपी प्रशासन छोटी गाड़ियों को पुरानी जीटी रोड के रास्ते बिहार भेज रहा है।

देश के 13 राज्यों को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 2 के यूपी बिहार बॉर्डर के पास कर्मनाशा नदी पर बना पुल टूट जाने से एक साथ कई लोगों के रोजगार पर बुरा असर पड़ा है। एनएचएआई को रोजाना एक करोड़ का नुकसान हो रहा है। दूसरी तरफ राज्य सरकारों के राजस्व पर भी इसका सीधा असर पड़ा है।

Tags:    

Similar News