हाईकोर्ट द्वारा हादिया और शफीन जहां की शादी को अवैध ठहराने के खिलाफ शफीन जहां ने 20 सितंबर को याचिका दायर की थी, जिस पर यह पेशी की जा रही है...
'लव जिहाद’ की शिकार हुई केरल की अकिला अशोकन उर्फ हादिया का कहना है कि उन्हें किसी ने धर्म परिवर्तन को मजबूर नहीं किया था। वह मुस्मिल हैं और अपने पति के पास वापस जाना चाहती हैं। हादिया मामले में 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। वो चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के सामने पेश होंगी और अपनी बात उनके सामने रखेंगी।
गौरतलब है कि हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखने वाली 24 वर्षीय अकिला अशोकन ने पिछले साल इस्लाम धर्म ग्रहण कर शफीन जहां नाम के मुस्लिम युवा से शादी की थी। इस्लाम अपनाने के बाद उन्होंने अपना नाम हादिया रख लिया था।
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गौरतलब है कि उसके पिता केएम अशोकन की अपील पर उसके रजिस्टर्ड विवाह को हाईकोर्ट द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था। साथ ही उसके पिता ने कहा था कि जिस मुस्लिम युवा से उनकी बेटी ने विवाह किया है उसका संबंध आतंकी संगठन से है। इतना ही नहीं मीडिया में लगातार परिवार, संघ, पुलिस, अदालत और प्रशासन द्वारा उसे प्रताड़ित करने की खबरें छाई रहीं। उसे पिता द्वारा घर में नजरबंद करने की खबरें भी आईं। हाईकोर्ट द्वारा हादिया और शफीन जहां की शादी को अवैध ठहराने के खिलाफ शफीन जहां ने 20 सितंबर को याचिका दायर की थी, जिस पर यह पेशी की जा रही है। शफीन जहां ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की जांच एनआईए से नहीं कराने की मांग की थी।
इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पिता केएम अशोकन को उसे 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। उससे पहले कोच्चि से रवाना होने से पहले हादिया का यह कहना कि अपनी मर्जी से उन्होंने मुस्लिम धर्म अपनाया है और वह पति के साथ रहना चाहती हैं, ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
पहले हादिया उर्फ अखिला ने पिछले वर्ष इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था और शफीन जहां नामक मुस्लिम युवक से शादी कर ली थी। हालांकि उसके पिता ने बंद कमरे में उसकी सुनवाई करने की अपील की थी, लेकिन न्यायालय ने इसे ठुकरा दिया था।
कोर्ट के निर्देश के बाद हादिया के पिता ने कहा कि उन्होंने बेटी को नजरबंद नहीं किया। पहले मुस्लिम युवा से शादी करने पर हाईकोर्ट से उसकी शादी निरस्त करने वाले हादिया के पिता अशोकन ने बेटी के इस बयान के बाद कि 'उसने अपनी मर्जी से इस्लाम चुना था', कोट्टायम जिले के वाइकम में मीडिया से सामने कहा, 'इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मेरी बेटी किस विश्वास को चुनने का फैसला करती है। वह घर में नजरबंद नहीं है। मैंने खुद उसे कहा है कि वो जहां जाना चाहती है जा सकती है, लेकिन वह अपनी मर्जी से कहीं भी जाना पसंद नहीं करती।