तो किसका शिकार करना चाहेंगे आप, महिला का या पुरुष का? छोटी बच्ची का या भरी पूरी औरत का, किसका शिकार करना चाहेंगे आप? यदि आप सांस्कृतिक शिकार करना चाहते हैं तो स्त्रियों का शिकार कीजिए, बच्चियों का शिकार कीजिए...
देश में लगातार हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर युवा पत्रकार सुशील मानव का कटाक्ष
आइये आपका स्वागत है। हमारे सबसे अलग सबसे अनूठे लिंचिस्तान में आपका इस्तकबाल है। शिकार पर वैश्विक पाबंदियाँ लगाए जाने के बाद तो जैसे लोगों से शिकार करने का मज़ा, रोमांच और आनंद ही छीन लिया गया है, पर मेरा लिंचिस्तान आपको ये अवसर मुहैया करवाता है। आइये और अपने भीतर के सोये हुए खूंखार शिकारी को एक बार फिर से जगाइए और जी भरके शिकार कीजिए और तृप्ति पाइए शिकार की चीख उसके गर्म ख़ून और उसकी पीड़ित याचनाओं में।
हमारे देश में शिकार करने का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास रहा है। हमारे पुरखे इतने अद्भुत शिकारी थे कि शब्दभेदी बाण तक मारते थे। इतिहासकार भी हमारे पूर्वजों को श्रेष्ठ शिकार बताते रहे हैं। तो आइए साहेबान पधारिए कि आपको हमारे लिंचिस्तान में तरह तरह के शिकार करने को मिलेंगे। तो किस तरह के हथियार से शिकार करना चाहेंगे आप? परंपरागत हथियार से या सांस्कृतिक।
आदिम हथियार से या अत्याधुनिक हथियार से, किससे शिकार करना चाहेंगे आप। हमारे सबसे कामयाब शिकारी गाइड की सलाह है कि यदि आपको खून का गर्म फव्वारा देखना हो तो धारदार चाकू, चापड़ या तलवार जैसे परंपरागत हथियार से शिकार कीजिए। हाँ, यदि आप अपने हाथ खून से गंदा नहीं करना चाहते तो आपको लिंचिस्तान सरकार की ओर से राइफल मुहैया करवाया जाएगा।
आप चाहें तो ईंट, पत्थर या लाठी डंडे जैसे आदिम हथियारों से शिकार करके प्रागैतिहासिक काल में शिकार करने जैसी अनुभूति भी पर सकते हैं। यदि आप सांस्कृतिक शिकार करना चाहते हैं तो अपने कपड़े उतारिए और बेफिक्र होकर अपने सांस्कृतिक हथियार का इस्तेमाल कीजिए।
तो किसका शिकार करना चाहेंगे आप, महिला का या पुरुष का? छोटी बच्ची का या भरी पूरी औरत का, किसका शिकार करना चाहेंगे आप? यदि आप सांस्कृतिक शिकार करना चाहते हैं तो स्त्रियों का शिकार कीजिए, बच्चियों का शिकार कीजिए। यदि आपको ठंडे शिकार का शौक़ है तो आपको क़ब्र की स्त्रियाँ मुहैया करवाने के लिए भी लिंचिस्तान सरकार प्रतिबद्ध है। लीजिए मंदिर और वियाग्रा हमारी लिंचिस्तान सरकार की तरफ से भेंट स्वरूप स्वीकार कीजिए।
तो बताइए कि आप सामुदायिक शिकार करना पसंद करेंगे कि एकल शिकार। यूँ तो आजकल सामूहिक शिकार का ही ट्रेंड है। सामूहिक शिकार करने के फायदे ये हैं कि शिकार द्वारा पलटकर हमला करने या उसके बच निकलने की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाती है। यानि मैक्सिमम एडवेंचर ऑन मिनिमम रिस्क। दूसरे सामूहिकता के शिकार का अपना ही आनंद होता है। मजा तो तब आता है जब शिकार की चीखें शिकारियों के हर्षोल्लास व उन्मादी शोर-शराबे की बीच दबकर घुट जाए।
तो बताइए आप मनोरंजन के लिए शिकार करना चाहते हैं कि रोमांच के लिए। हाँ तो आप पुलिस की मौजूदगी में शिकार करना चाहेंगे कि पुलिस की गैरमौजूदगी में, या पुलिस की वर्दी में। यूँ तो हर तरह का शिकार करना कराना हमारे यहाँ लीगल है लेकिन पुलिस की मौजूदगी में शिकार करना शिकारी को रॉयल होने का एहसास देता है। हाँ तो बताइये बीमार शिकार चाहिए आपको कि स्वस्थ। महिला शिकार चाहिए कि पुरुष।
आप एक जगह ठहरकर एसॉल्ट राइफल से निशाना लगाकर शिकार करना चाहेंगे या कि तेज रफ्तार दौड़ती ट्रेन की कोच में। अगर आप भागदौड़ करके शिकार करने के इच्छुक हैं तो आइए हमारी स्पेशल फोर्स की वर्दी लीजिए।
हमारा लिंचिस्तान एक नस्ल श्रेष्ठ नस्ल के सिद्धांत पर चलता है। अतः हम हर गंदे और कमतर नस्लों के पूर्ण सफाये को कृत संकल्प हैं। सो आप शिकार कीजिए और मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री पद ईनाम में ले जाइए। यानि के आम के आम गुठलियों के दाम। आप चाहें तो अपने बच्चों दोस्तों व नाते—रिश्तेदारो, परिवार वालों को अपनी बहादुरी के कारनामे दिखाकर उनपर अपना रौब जमाने के लिए शिकार करते समय का वीडियो क्लिप वगैरह भी बना सकते हैं।
हम अपने लिंचिस्तान में “मरा-जरा” लाना चाहते हैं। और आप तो जानते हैं कि ‘मरा’ के लिए मारना और ‘जरा’ के लिए जारना (जलाना) कितना ज़रूरी है। पांडवों ने भी तो अपना राज्य यानी इंद्रप्रस्थ बसाने के लिए पूरे नागलोक को जलाकर खाक कर दिया था। तो मरा मरा से ही राम बनेगा और जरा जरा से ही राज।
हालाँकि हमारी लिंचिस्तान सरकार चाहे तो अपने संसाधनों व संस्थाओं के जरिए ये काम खुद से भी कर सकती है, लेकिन नहीं हमारी सरकार का लोकतंत्र में पूरा विश्वास है। तभी तो लिचिस्तान सरकार लोकतंत्र का पूरा सम्मान करते हुए राष्ट्र की जनता को राष्ट्रहित में शिकार करने का अवसर देती है।
लिंचिस्तान सरकार चाहती है कि श्रेष्ठ नस्ल वाले राष्ट्र के निर्माण में राष्ट्र की श्रेष्ठ नस्ल भी अपना योगदान दे। बाकी तो लिंचिस्तान सरकार भी शिकार ही कर रही है। इतिहास का शिकार, विज्ञान का शिकार, ऐतिहासिक चेतना का शिकार, राजनीतिक चेतना का शिकार, सामूहिक विवेक का शिकार। शिक्षा का शिकार, स्वास्थ्य संस्थाओं का शिकार ऐतिहासिक धरोहरों का शिकार, सरकारी संस्थाओं, सेवाओं का शिकार।
हम लिंचिस्तान के लोग राष्ट्र के नस्लीय श्रेष्ठता व अधिनायकवाद में पूरी आस्था रखते हैं। हम लिंचिस्तान के लोग वचन लेते हैं कि लिंचिस्तान सरकार द्वारा मुल्क को कमतर नस्लों से मुक्त बनाने के संकल्प में हम तन मन धन से उनके साथ हैं।
लिंचिस्तान सरकार आपके सफल व सुखद शिकार की कामना करता है।