किसानों के देशव्यापी आंदोलन 'गांव बंद' को उत्तराखण्ड के किसानों का समर्थन, रामनगर में 6 जून को किसान पंचायत

Update: 2018-06-04 09:45 GMT

उत्तराखंड में भी किसान मोर्चे की तैयारी, किसानों ने कहा चुनावों के समय राजनीतिक दलों द्वारा हमसे वायदे तो बहुत किए जाते हैं, परन्तु जब हमारे हित में नीतियां बनाने का सवाल सामने आता है तो सरकारें मुंह मोड़ लेती हैं...

जनज्वार, रामनगर। देशभर में किसानों की 1 से 10 जून तक जारी हड़ताल 'गांव बंद' आंदोलन को लेकर उत्तराखंड के किसान भी जागरुक होने लगे हैं। किसानों के संगठन की मजबूती व किसान समस्याओं के समाधान के लिए आगामी 6 जून, 2018 बुधवार को दिन में 10 बजे से एक किसान पंचायत का आयोजन प्रगतिशील सांस्कृतिक पर्वतीय समिति, पैठ पड़ाव, रामनगर (नैनीताल) आयोजन किया जा रहा है, जिसमें रामनगर तहसील क्षेत्र के किसान भागीदारी करेंगें। पंचायत को सफल बनाने के लिए ग्राम स्तर पर दो दर्जन से भी अधिक गांवों में किसानों की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।

जनसम्पर्क के दौरान किसानों की सभा को सम्बोधित करते हुए किसान नेता आनन्द नेगी ने कहा हमारे देश के गरीब व मध्यम किसान गहरे संकट में हैं। चुनावों के समय राजनीतिक दलों द्वारा हम किसानों से वायदे तो बहुत किए जाते हैं, परन्तु जब किसानों के हित में नीतियां बनाने का सवाल सामने आता है तो सरकारें इससे मुंह मोड़ लेती हैं।

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खाद, बीज, कीटनाशक दवाओं व डीजल आदि के दामों में की गयी वृद्धि ने हम किसानों की कमर तोड़ दी है। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ज्यादातर किसान कर्जों के बोझ से दबे हुए हैं। सरकार ने देश के बड़े पूंजीपतियों के 6 लाख करोड़ रुपयों से भी अधिक के कर्ज माफ कर दिये हैं, परन्तु देश के लिए अन्न उगाने वाले हम गरीब व मध्यम किसानों का सरकार कर्ज माफ करने के लिए तैयार नहीं है।

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पिछले लम्बे समय से किसानों की समस्याओं को लेकर ईको सेंसिटिव जोन विरोधी संघर्ष समिति के माध्यम से कार्य कर रहे समिति के संयोजक ललित उपे्रती ने कहा कि कांग्रेस व भाजपा सरकार की नीतियों के कारण देश में पिछले 15 वर्षों में 3 लाख से भी ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। आत्महत्या का यह सिलसिला अब उत्तराखंड में भी दिखाई देने लगा है। उन्होंने कहा कि देश की सरकारें किसानों के सवालों को लेकर गम्भीर नहीं हैं, सरकारों के लिए हम किसान वोट बैंक ज्यादा कुछ नहीं हैं।

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किसान पंचायत की अगुआई कर रहे किसान नेता महेश जोशी ने उत्तराखंड में जंगली जानवरों द्वारा किए जा रहे नुकसान को लेकर भारत सरकार की वन नीति की आलोचना करते हुए कहा कि जंगली जानवर खेतों में घुसकर किसानों की फसलें बरबाद कर देते हैं और इंसानों व मवेशियों तक को मार डालते हैं। सरकार से किसान लगातार सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, परन्तु सरकार किसानों की समस्या सुनने के लिए तैयार नहीं है।

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उन्होंने कहा कि आज जंगली जानवरों के हमलों के कारण पहाड़ों से पलायन हो रहा है तथा खेता-किसानी चैपट हो रही है। महेश जोशी ने क्षेत्र के आम किसानों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में 6 जून की किसान पंचायत में भागीदारी का आहवान किया है।

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