मोदी जी को मोदी जी कह रहे हैं औऱ नेहरू के आगे जी नहीं लगाते, क्योंकि मोदी को सिर्फ जी कहलाने की भूख है, नेहरू को देश को जी कहलवाने की जिद थी....
मोदी और नेहरू के भारत की तुलनात्मक जानकारी दे रहे हैं वीरेंदर भाटिया
बिना किसी भूमिका के कुछ बिन्दु विचारणीय हैं। नेहरू को जब देश मिला तब मुल्क की प्रति व्यक्ति आय 274 रुपए थी। मोदी जी को जब देश मिला तब देश में प्रति व्यक्ति आय 118000 रुपये थी। नेहरू को जब देश मिला तब टैक्स संग्रहण 647 करोड़ सालाना था। यह भी 1950 का आंकड़ा है। 1947 से 1950 तक कैसे लाये मुल्क को यह राम जी (वही राम मंदिर वाले) बेहतर जानते हैं।
मोदी जी को जब देश मिला तब टैक्स संग्रहण 16 लाख करोड़ सालाना था। नेहरू को जब देश मिला तब अर्थव्यवस्था का साइज 2 लाख करोड़ था।
मोदी जी को जब देश मिला तब अर्थव्यवस्था का साइज 2.3 ट्रिलियन रुपये था। नेहरू को जब देश मिला तब भारत का विश्व अर्थव्यवस्था में कोई मुकाम नहीं था। किसी नंबर पर नहीं थी।
मोदी जी को जब देश मिला तब यह अर्थव्यवस्था विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था थी औऱ विश्व की दूसरी सबसे तेज बढने वाली अर्थ व्यवस्था थी। नेहरू को जब देश मिला तब यह भी निर्धारित किया जाना था कि अर्थव्यवस्था का माडल कौन सा हो। मोदी जी को सब चीजें बनी बनाई मिल गयी। मॉडल क्या होता है यह कोई भक्त मोदी जी से पूछ कर बता दे तो ab का sqaure हो जाए।
नेहरू जी को जब देश मिला तब व्यापार के लिए कोई आधारभूत ढांचा न था। सड़कें, यातायात, हवाई मार्ग, मंडियां, नियम, प्राधिकरण कुछ भी नहीं। संस्थाएं बैंक, बैंकिंग सिस्टम, बैंकिंग में विश्वास। रोजगार पैदा करने लायक बेसिक ढांचा तक नहीं था। कृषि थी तो पानी नहीं था। नहरें नहीं थीं। ऊंट बैल के साथ खुद किसान जुता होता था।
किसी किस्मत वाले के घर साइकिल होती थी। TV फ्रिज तो छोड़ ही दें। मोदी जी को जब देश मिला तब देश में व्यापार का ही नहीं विदेशी व्यापारियों को भी ढांचा देने की कूवत वाला देश मिला।
देश में साढ़े छह लाख गाँव हैं। किसी गांव में बिजली नहीं थी। सुन लीजिए। किसी भी गाँव में बिजली नहीं थी। इक्का—दुक्का बिजली सयंत्र थे देश में। मोदी जी खुद बताते हैं कि जब उन्हें देश मिला तब 18000 गांवों में बिजली नहीं थी। मोदी जी को 632000 गांव जगमगाते मिले विरासत में।
नेहरू को जब देश मिला तब पीने का पानी नहीं था। सीवर व्यवस्था नहीं थी। पूरा मुल्क खोदकर पाइप बिछानी थी। मंच पर खड़े होकर डुगडुगी बजाने से नहीं होना था यह काम।
नेहरू को जब देश मिला तब शिक्षा चिकित्सा का कोई ढांचा नहीं था। एम्स जैसे विश्व स्तरीय अस्पताल औऱ रिसर्च सेंटर बनाने में नेहरू ने ऊर्जा लगाई। विश्वविद्यालय बनाये। स्कूल कॉलेज बनाये। वैज्ञानिक शोध केंद्र, मिसाइल उपग्रह आदि पर अद्भुत काम हुआ।
नेहरू को जब देश मिला तब देश की सीमाएं असुरक्षित और खुली थीं। नेहरू ने सेना बनाई। उसका ढांचा चिन्हित किया। जल, थल, वायु सेना को मजबूत किया। जब नेहरू को देश मिला, तब सेना के नाम पर कुछ नहीं था। मोदी जी को देश मिला तो देश की सेना विश्व की चौथी बड़ी सेना थी।
नेहरू को जब देश मिला तब राजाओं के गुटों में बंटा था देश। विभाजन की आग में जल रहा था। अलग अलग जातियों, धर्मों, रियासतों को एक सूत्र में जोड़ने की वृहद सोच पर काम किया नेहरू ने। संविधान में इसकी परिकल्पना देख सकते हैं।
मोदी जी ने उस एक सूत्र में पिरोए गए राष्ट्र के तमाम मोती छिटका दिये। अर्थव्यवस्था का कबाड़ा कर दिया। देश के सौहार्द्र को नष्ट किया। संस्थाओं को नष्ट किया। तेजी से बढ़ते हुए देश को ब्रेक लगा दिये। फिर भी हम मोदी जी को मोदी जी कह रहे हैं औऱ नेहरू के आगे जी नहीं लगाते। क्योंकि मोदी को सिर्फ जी कहलाने की भूख है। नेहरू को देश को जी कहलवाने की जिद थी।
जनता 70 साल की तुलना में मोदी शासन के 5 साल परखे तो औकात सामने आ जायेगी।