भाजपा का दीवाली गिफ्ट : अनुपम खेर को दिया काजू कतली तो मालिनी अवस्थी को करना पड़ा लड्डू से संतोष

Update: 2017-10-18 23:49 GMT

वाराणसी, जनज्वार। लोक गायिका और भाजपा समर्थक कलाकार मालिनी अवस्थी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भारत अध्ययन केंद्र में चेयर प्रोफेसर नियुक्त किया गया है। मालिनी अवस्थी को नियुक्ति रूपी इस 'प्रसाद' को देने का विचार 26 सितंबर को दिल्ली में कार्यकारी परिषद की बैठक में बना। दीपावली के बाद वह कार्यभार ग्रहण करेंगी।

मालिनी अवस्थी को चेयर प्रोफेसर बनाए जाने से सप्ताह भर पहले ऐसा ही भक्ति प्रसाद अभिनेता अनुपम खेर को भी सरकार ने राष्ट्रीय फिल्म संस्थान, पुणे का अध्यक्ष बनाकर दिया। बताते चलें कि मालिनी अवस्थी पुरस्कार वापसी के दौर में जिस अभियान में भागीदार थीं, उसके अगुवा अनुपम खेर ही थे। संभवत: प्रसाद में काजू कतली और लड्डू मिलने का फर्क इसीलिए है।

हालांकि प्रसाद पाने वालों की इस कड़ी में दो नाम और हैं, एक अभिजित सरकार और दूसरे निर्देशक अशोक पंडित का।। उन्हें भाजपा सरकार की ओर से अभी प्रसाद में कुछ नहीं मिला है। अभिजित सरकार पिछले कुछ वर्षों से गाना गाने की बजाए विरोधियों को गालियां देने लगे हैं, पाकिस्तान भेजने लगे हैं।

खैर! मालिनी अवस्थी की नियुक्ति पांच साल के लिए की गई है। मालिनी अवस्थी को यह जानकारी बीएचयू के रिक्रूटमेंट व असेसमेंट सेल के डिप्टी रजिस्ट्रार ने पत्र लिखकर दी है। मालिनी ने भी अपनी नियुक्ति पर खुशी जाहिर करते हुए मीडिया से कहा है कि भारत अध्ययन केंद्र में चेयर प्रोफेसर नियुक्त होने पर मुझे गर्व है।

चेयर प्रोफेसर की जिम्मेदारी मुख्य परामर्शदाता की है। इसके अलावा केंद्र में सभी गतिविधियों की निगरानी व उनका समन्वय करने का कार्यभार भी चेयर प्रोफेसर पर ही होता है। भारत अध्ययन केंद्र की स्थापना प्राचीन भारतीय संस्कृति, साहित्य व ज्ञान पर अध्ययन व शोध के उद्देश्य से हुई थी।

भाजपा सरकार आने से पहले तक केवल एक लोकप्रिय लोकगायिका की पहचान वाली मालिनी अवस्थी पहली बार राजनीतिक तौर पर तब चर्चा में आईं थीं जब बुद्धिजीवियों की हत्या के खिलाफ अक्टूबर 2015 में साहित्यकारों, फिल्मकारों, पेंटरों और देश के अन्य बुद्धिजीवियों ने पुरस्कार लौटाना शुरू कर दिया था।

उस समय मालिनी अवस्थी सरकार के बचाव में उतरीं थीं। वह रोज—रोज टीवी चैनलों, सार्वजनिक भाषणों और कार्यक्रमों में भाजपा सरकार का बचाव करते हुए विरोध कर रहे साहित्यकारों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों पर वैचारिक हमले करतीं। देश को बतातीं कि कैसे 'असहिष्णुता' का फर्जी माहौल बनाया जा रहा है।

भाजपा के पक्ष में इन खुली भागीदारियों के बाद कुछ ही महीनों में मालिनी अवस्थी का नई पहचान बनी और लोग उन्हें लोक गायिका के साथ 'भाजपा वाली' भी कहने लगे। मालिनी अवस्थी लोक गायिका हैं. वह अवधी, बुंदेली भाषा और भोजपुरी में गाती हैं. भारत सरकार ने उन्हें कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2016 में नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित भी किया है.

पद्मश्री का उन्हें यह पुरस्कार 'भाजपा वाली' की छवि के बाद ही मिला। हालांकि गायकी में उनकी क्षमताएं कम नहीं हैं, इसलिए बहुत सवाल नहीं उठे। पर बीएचयू जैसे संस्थान का चेयर प्रोफेसर बनाए जाने के बाद लोग सवाल जरूर उठा रहे हैं। उनका कहना है कि गायकी की क्षमता की बदौलत एक प्रबुद्ध संस्थान का ऐसा कार्यभार देना जो कि गहरे अकादमिक अनुभव की मांग करता है, कहीं न कहीं भाजपा सरकार द्वारा बांटे जा रहे भक्ति प्रसाद का ही हिस्सा है। भले ही वह लड्डु के रूप में ही क्यों न हो।

हाल ही में भक्ति पर खरे उतरते हुए मालिनी अवस्थी ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर उस समय तंज कसे जब जब देश और दुनिया में लोग सरकार और कट्टरता के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे थे। उन्होंने 7 सितंबर को बकायदा फेसबुक पर लिखकर बताया कि गौरी लंकेश की हत्या पर इसलिए इतना शोर और व्यापक समर्थन है क्योंकि वह अंग्रेजी भाषा की पत्रकार थीं।

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