मध्यप्रदेश : 160 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मजदूर की पत्नी ने सड़क किनारे दिया बच्चे को जन्म

Update: 2020-05-10 13:35 GMT

कोरोना लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूर की पत्नी शकुंतला ने भी गर्भावस्था के नौंवें महीने में नासिक से सतना 1000 किलोमीटर पैदल ही मार्च करने का फैसला किया। 5 मई को उसने सड़के किनारे एक बच्चे को जन्म दिया, एक घंटे आराम किया और फिर पैदल मार्च किया...

जनज्वार ब्यूरो। कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए जब देशव्यापी लॉकडाउन की जारी किया गया तो नासिक में रह रहे 16 प्रवासी मजदूरों के एक समूह ने पैदल ही घर वापस जाने का फैसला किया लेकिन रास्ते में एक और जुड़कर वह 17 हो गए।

नमें से एक प्रवासी मजदूर की पत्नी शकुंतला ने भी गर्भावस्था के नौंवें महीने में नासिक से सतना 1000 किलोमीटर पैदल ही मार्च करने का फैसला किया। 5 मई को उसने सड़के किनारे एक बच्चे को जन्म दिया, एक घंटे आराम किया और फिर मार्च किया।

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ब यह समूह महाराष्ट्र- मध्यप्रदेश सीमा के होम साइड पर बिजासन शहर में पहुंचा तो एक महिला पुलिस इंस्पेक्टर कविता कनेश ने शकुंतला को को नवजात को अपनी बांहों में थामे देखा तो वह हैरान रह गई।

बिजासन पुलिस चेक-पोस्ट की इंचार्ज कविता कनेश ने बताया, 'मैंने एक महिला को नवजात को पकड़े हुए देखा और जांच के लिए गयी कि उसे मदद की जरूरत है या नहीं।' कविता यह जानकर भी दंग रह गई कि उसने आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर चार महिलाओं ने उसकी मदद की थी।

Full View की टीम तब हैरान रह गई जब शकुंतला ने बताया कि एक सिख परिवार ने रास्ते में नवजात बच्चे के लिए कपड़े और जरूरी सामान दिया। शकुंतला ने जब बच्चे को जन्म दिया तब तक वह 70 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर चुकी थी। उसके बाद वह बच्चे को अपने हाथ में लेकर 160 किलोमीटर तक आगे पैदल चलीं।

कुंतला के पति राकेश ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि कि यह यात्रा बेहद कठिन लेकिन उन्होंने रास्ते में वास्तव में दयालु लोग भी देखे। उन्होंने बताया कि एक सिख परिवार ने धुले में नवजात बच्चे के लिए कपड़े और जरूरी सामान दिया।कोविड 19 के चलते नासिक में इंडस्ट्री बंद हो गई जिसके कारण राकेश ने अपनी नौकरी खो दी थी।

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सके बाद उन्होंने किया कि सतना जिले के ऊंचाहरा में अपने गांव जाने के लिए पैदल चलने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। राकेश बताते हैं कि हमारे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था। हमें घर जाना है जो हमारे जानने वाले लोग हैं वो मदद कर देंगे।

जैसे ही उनका परिवार पिंपलगाँव पहुंचा, शकुंतला को प्रसव पीड़ा का अनुभव हुआ। कनेश ने बताया कि बिजासन में पुलिसकर्मियों ने इस समूह को भोजन और पानी दिया और नंगे पैर चल रहे बच्चों के लिए जूते दिए। शकुंतला की दो साल की बेटी ने अपने नए चैपल में इधर-उधर छलांग लगाई। प्रशासन ने परिवार को घर भेजने की व्यवस्था की। सेंधवा के एसडीएम घनश्याम धनगर ने कहा कि समूह को उचाहरा गांव भेजा जा रहा है।

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