महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने 200 महिलाओं को बनाया उल्लू

Update: 2017-09-12 12:02 GMT

पुणे से रामदास तांबे की रिपोर्ट

महाराष्ट्र राज्य परिवहन विभाग ने बस भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं को आखिरी पायदान पर अयोग्य ठहराने से पुणे जिले के परिवहन विभाग प्रशिक्षण केन्द्र में कल 11 सितम्बर को गुस्साई महिलाओं ने जमकर हड़कंप मचाया।

राज्य परिवहन विभाग में ड्राइवर पद पर भर्ती के लिए संबंधित विभाग की तरफ से एक विज्ञापन जारी किया गया था। जिसके बाद महाराष्ट्र राज्य से कुल मिलाकर 550 महिलाओं ने भर्ती के लिए आवेदन पत्र जमा किया था। इनमें से विभाग ने 200 महिलाओं को मानकों के आधार पर चुना, मगर आखिरी पायदान पर परिवहन विभाग के अधिकारियों ने एक भी महिला को योग्य नहीं बताया।

200 महिलाओं में से एक को भी ड्राइवर पद हेतु क्यों नहीं चुना गया? के जवाब में परिवहन विभाग के अधिकारियों का उत्तर ही महिलाओं के आंदोलन का कारण बना। अधिकारियों के मुताबिक भर्ती में महिलाओं को भारी वाहन चलाने का कम से कम 3 साल का अनुभव होना जरूरी है। मगर आवेदन के लिए दिए गए विज्ञापन में परिवहन विभाग ने कहीं पर भी अभ्यर्थी की अनुभव संबंधी योग्यता का जिक्र नहीं किया है।

जिन महिलाओं ने ड्राइवर पद के लिए आवेदन पत्र भरा था और पहले पायदान पर उनका चयन कर लिया गया था, उनका कहना है कि अगर हमको परिवहन विभाग ने आवेदन पत्र देने से पहले बता दिया होता कि इसमें न्यूनतम 3 साल का अनुभव चाहिए तो हम कभी भी इस पद के लिए आवेदन नहीं भरते। न ही हमें इतनी मुश्किल होती और न हमें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता।

भर्ती में शामिल होने आई एक महिला ने बताया, राज्य परिवहन विभाग ने न्यूजपेपर के विज्ञापन में "चालक तथा वाहक" लिखा था, जिसका अर्थ दोनों पदों में से किसी भी एक पद के लिए चुना जा सकता है, लेकिन प्रशासन की गलती का खामियाजा हम महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।

इस बारे में जब प्रशिक्षण केंद्र के प्रशासन चुनाव अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने मीडिया से बात करने से साफ मना कर दिया।

अब संबंधित विभाग का कोई भी अधिकारी इस गलती की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।

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