कोमा में पहुंची साध्वी पदमावती, बीते 65 दिनों से गंगा को बचाने के लिए थीं अनशन पर

Update: 2020-02-18 16:27 GMT

ताजा जानकारी के मुताबिक साध्वी पदमावती किसी को पहचान भी नहीं पा रही हैं और न ही उनकी आंखे खुल पा रही हैं...

जनज्वार। गंगा की रक्षा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर लगातार 65 दिनों तक हरिद्वार में आमरण अनशन पर बैठीं साध्वी पदमावती को सोमवार को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। आज जब उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ जिसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है। साध्वी पदमावती की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। डॉ. नीरज निश्छल की निगरानी में उनका उपचार चल रहा है।

हीं गंगा को बचाने के लिए सन्यासी आत्मबोधानंद बीते 30 जनवरी से अनशन पर हैं। वह पहले भी छह महीने से अधिक समय तक नदी को बचाने के लिए अनशन कर चुके हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक साध्वी पदमावती किसी को पहचान भी नहीं पा रही हैं और न ही उनकी आंखे खुल पा रही हैं।

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मातृ सदन से जुड़े और दिल्ली एम्स में साध्वी पदमावती का हालचाल जानकर लौटे ब्रजेश झा ने बताया कि पदमावती कोमा में हैं और उनकी हालत बेहद गंभीर है। वह किसी को भी पहचान नहीं पा रही हैं और उनकी आंखें भी नहीं खुल पा रही हैं। वह फिलहाल वेंटिलेटर पर हैं। ब्रजेश झा ने जनज्वार को बताया कि साध्वी पदमावती मुश्किल से अपनी एक दो उंगलियों को हिला पा रही हैं।

बरों के मुताबिक पुलिस और प्रशासन ने कहा कि साध्वी को हरिद्वार से दिल्ली तक पहली बार ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एंबुलेंस को दिल्ली पहुंचाया गया था। अनशन के दौरान तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एंबुलेंस से नई दिल्ली के एम्स ले जाया गया। लखनऊ से मैसेज आते ही मेरठ पुलिस सतर्क हो गई।

बरों के मुताबिक 45 मिनट में एनएच-58 पर ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। मुजफ्फरनगर सीमा से लेकर गाजियाबाद की सीमा तक हाईवे पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया। साध्वी को लेकर जा रही एंबुलेंस मेरठ सीमा की 54 किमी की दूरी को महज 28 मिनट में पार कर लिया। हरिद्वार से दिल्ली एम्स तक की दूरी पूरी करने में 2 घंटे 20 मिनट का समय लगा।

Full View कॉरिडोर के लिए हाईवे पर समस्त थानों को अलर्ट कर दिया गया था। शाम 4:30 बजे लखनऊ से कंट्रोल रूम से मेरठ को सूचना दी गई। तत्काल मेरठ में एसपी ट्रैफिक संजीव बाजपेई को नोडल अफसर बनाया गया। एसपी ट्रैफिक ने बताया कि करीब 5:15 बजे एंबुलेंस ने मेरठ सीमा में प्रवेश किया और 5:43 बजे गाजियाबाद सीमा में पहुंच गई। इस दौरान एनएच 58 का सारा ट्रैफिक रोका गया।

एंबुलेंस के ड्राइवर को कहीं भी ब्रेक नहीं लगाने पड़े। एंबुलेंस के साथ हरिद्वार पुलिस की एक चल रही थी। ट्रैफिक को करीब 20 मिनट पहले ही रोक लिया गया। संबंधित जिलों की सीमा पर वहां की पुलिस एंबुलेंस करीब एक किमी आगे-आगे चल रही थी। दिल्ली-देहरादून हाईवे पर पहली बार ग्रीन कॉरिडोर लागू होते देखकर लोग हैरान थे। शुरुआत में लोगों ने समझा कि वीआईपी आ रहे होंगे, लेकिन अबकी बार तो व्यवस्था अलग थी। एंबुलेंस तेज स्पीड से आई और बिना किसी रुकावट से गुजर गई।

रिद्वार कंट्रोल रूम के मुताबिक हरिद्वार से दिल्ली का सफर ग्रीन कॉरिडोर में एंबुलेंस ने करीब 2 घंटे 20 मिनट में पूरा किया। अमूमन एंबुलेंस को लगभग पांच घंटे और आम पब्लिक को छह घंटे हरिद्वार से दिल्ली जाने में लग जाते हैं। ग्रीन कॉरिडोर तैयार कराकर साध्वी पदमावती को समय से अस्पताल तक पहुंचाया गया और उपचार दिलाया।

ताया गया कि हरिद्वार से करीब 130 की स्पीड से एंबुलेंस ग्रीन कॉरिडोर में दौड़ रही थी। आगे आगे सारी व्यवस्था बनाई जा रही थी। दिल्ली में कई बार ग्रीन कॉरिडोर बनाकर मरीजों को समय रहते अस्पताल पहुंचाया गया। हैदराबाद में भी ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक मासूम बच्ची की जान बचाई गई थी। डॉक्टरों ने कहा था कि अगर इलाज में पांच मिनट देरी हो जाती तो बच्ची की मौत हो सकती थी।

Full View ट्रैफिक संजीव बाजपेई ने कहा कि मेरठ में पहली बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। ग्रीन कॉरिडोर बनाने की सूचना मिलने के बाद व्यवस्था बनाने के लिए सिर्फ 45 मिनट थे। सफलतापूर्वक ग्रीन कॉरिडोर तैयार कर दिया गया।

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हीं मीडिया में आ रही खबरों और प्रशासन के दावों पर सवाल उठाते हुए आश्रम की ओर से कहा गया कि आश्रम से दोपहर 1 बजे के आसपास साध्वी पदमावती को दिल्ली एम्स के लिये ले जाया गया, वे वहां पर सायं 7 बजे के लगभग पहुंची। दोनों के बीच के लगभग 6 घंटे समय का अनुमान करें तो प्रशासन का ये दावा कि हमने 2 घंटे 20 मिनट में साध्वी पदमावती को हरिद्वार से दिल्ली पहुंचा दिया कितना भ्रामक एवं ग़ुमराह करने वाला है। इस बीच शासन और प्रशासन द्वारा कौन कौन-सा खेल खेला गया, इसे छुपाते हुए इस प्रकार का दावा कितनी बड़ी साजिश है इसे बड़ी आसानी से समझा जा सकता है।

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