दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में एक वरिष्ठ डॉक्टर की भयानक लापरवाही उस समय सामने आई जब सिर की जगह मरीज के पैर की सर्जरी कर दी गई...
दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मनमानी फीस वसूलने के लिए मरीज के साथ किसी भी हद तक का खिलवाड़ यहां तक कि डैड बॉडी से पहले भी लाखों का बिल वसूलने की खबरें तो सुनने में आती ही थीं, अब सरकारी अस्पताल भी चर्चा में हैं। हालांकि अकसर लापरवाही के चलते सरकारी अस्पताल चर्चा में रहते ही हैं।
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इस बार चर्चा का कारण है दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एक अस्पताल का ट्रामा सेंटर, जहां हैड इंज्युरी के बाद सर्जरी के लिए भर्ती हुए मरीज की डॉक्टरों ने पैर की सर्जरी कर दी। जब यह किया गया तो मरीज को भी पता नहीं चल पाया, क्योंकि सर्जरी एनस्थीसिया देकर की गई थी।
मामला तब सामने आया जब पीड़ित मरीज के परिजनों ने न सिर्फ अस्पताल में जमकर हंगामा किया, बल्कि पुलिस में भी रिपोर्ट दर्ज करा दी।
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घटना के मुताबिक दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पताल सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर में एक वरिष्ठ डॉक्टर की भयानक लापरवाही उस समय सामने आई जब सिर की जगह मरीज के पैर की सर्जरी कर दी गई।
सिर में लगी चोट के लिए बिजेंद्र हुए थे भर्ती |
गौरतलब है कि दिल्ली के सिविल लाइन स्थित अस्पताल में सिर और चेहरे पर काफी चोट लगने के बाद एडमिट किया गया था। चोट गहरी थी, इसलिए उसके सिर की सर्जरी की जानी थी। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक सिर और चेहरे की चोट के बाद अस्पताल में भर्ती मरीज की सिर की सर्जरी कर दी गई।
18 अप्रैल को सिर में ज्यादा चोट लगने के कारण भर्ती हुए मरीज के दाहिने पैर में वरिष्ठ डॉक्टर ने पिन डालने के लिए छेद बना दिया, जो कि पैर की सर्जरी के लिए बनाया जाता है। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक गलती का पता चलने पर मरीज को सही इलाज मुहैया करा दिया गया था और उसके पैर में सर्जरी के जरिए डली पिन भी निकाल दी गई है। दोषी वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक एक जैसे नाम के कारण हुई कन्फ्यूजन के कारण ऐसा हुआ था।
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अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि पहले से ही वीरेंद्र नाम का एक मरीज ट्रामा सेंटर में भर्ती था, जिसके पैर में रॉड डाली जानी थी। जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन बिजेंद्र त्यागी नाम का एक और मरीज भर्ती हुआ जिसके सिर पर गहरी चोट थी।
अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक अजय बहल कहते हैं,इलाज के दौरान डॉक्टर ने मरीज का पैर सुन्न कर दिया था, तो मरीज को भी इस बात का एहसास नहीं हो पाया। मगर बाद में जब गलती पता चली तो मरीज को सही ट्रीटमेंट दे दिया गया।
अजय बहल के मुताबिक त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी वरिष्ठ डॉक्टर की अस्पताल प्रबंधन ने सर्जरी करने पर रोक लगा दी है। एक समिति गठित कर दी गई है जो इस मामले की जांच करेगी और रिपोर्ट देगी। अगर डॉक्टर इस मामले में दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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कुछ समय पहले एम्स में भी डॉक्टरी लापरवाही का एक मामला सामने आया था। एम्स में एक सीनियर डॉक्टर ने पेट दर्द से पीड़ित महिला का गलत ऑपरेशन कर दिया था। डॉक्टर ने डायलिसिस के उपचार के लिए होने वाली सर्जरी करके फेस्टुला बना दिया, जिसका इस्तेमाल गुर्दे की बीमारी से पीड़ित मरीज की डायलिसिस प्रक्रिया के लिए होता है, जबकि मरीज को किडनी से संबंधित कोई बीमारी थी ही नहीं। इतनी भयानक गड़बड़ी के बाद मामले को दबाने के लिए दस्तावेजों में भी छेड़छाड़ की खबर सामने आई थी।
इससे पहले ऐसा ही एक मामला तब सामने आया था जब दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फॉर्टिस अस्पताल में 24 साल के एक युवक को दाएं पैर में फ्रैक्चर के बाद भर्ती कराया गया था, लेकिन दो डॉक्टरों ने उसके बाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया था। आरोपी डॉक्टरों ने मरीज रवि राय के बाएं पैर में कई सारे स्क्रू डाल दिए थे, जबकि फ्रैक्चर उसके दाएं पैर में था। डॉक्टरों ने तो जो करना था कर दिया, मगर महीनों तक मरीज बिस्तर पर पड़ा रहा था।