मोदी सरकार का शक्तिकांत दास को गवर्नर चुना जाना ख्यात अर्थशास्त्रियों की नजर में भयावह
शक्तिकांत दास की नियुक्ति रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर इसलिए की गयी है कि वह सिर्फ और सिर्फ मोदी के आदेशों का पालन कर सकें, बता रहे हैं स्वतंत्र टिप्पणीकार गिरीश मालवीय
शक्तिकांत दास रिजर्व बैंक के गवर्नर बना दिए गए हैं। आरबीआई का गवर्नर कोई साधारण पद नहीं है। रिज़र्व बैंक का गवर्नर भारत के केन्द्रीय बैंक रिज़र्व बैंक का सबसे वरिष्ठ बैंककर्मी होता है। 1935 में स्थापना के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक की कमान अब तक कुल 25 गवर्नर संभाल चुके हैं।
रिजर्व बैंक की लंबे समय से एक परम्परा रही है कि उसके गवर्नर देश के माने हुए अर्थशास्त्री रहे हैं। इस संबंध में आप पिछले पांच गवर्नर की शैक्षिक योग्यता उठा कर देख लीजिए, आप समझ जाएंगे कि इस बार दास की नियुक्ति सिर्फ इसलिए की गयी है कि वह सिर्फ और सिर्फ मोदी के आदेशों का पालन कर सकें।
शक्तिकांत दास की अर्थशास्त्र में कोई डिग्री नहीं है। 1980 बेच के तमिलनाडु कैडर के आईएएस अधिकारी थे। योग्यता उनकी सिर्फ इतनी ही है कि बीए में डिग्री हासिल करने के बाद इतिहास विषय में स्नातकोत्तर यानी एमए की डिग्री हासिल की थी। वह मई 2017 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग से सेवानिवृत्त हुये थे और वह भी उस पद पर 2016 में मोदीजी द्वारा बैठाए गए थे।
अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी मंगलवार 11 दिसंबर को पूर्व आईएएस शक्तिकांत दास को भारतीय रिजर्व बैंक का नया गवर्नर बनाये जाने के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह फैसला अहम संस्थानों के संचालन मामले में "भयभीत" करने वाले सवाल खड़े करता है।
इससे पहले उर्जित पटेल के इस्तीफे पर पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन भी सवाल खड़े कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल का हैरान करने वाला इस्तीफा सभी भारतीयों के लिए चिंतित करनेवाला है और इसकी जांच की जरूरत है।
अब आते हैं पिछले 5 गवर्नर की शैक्षिक योग्यता और अनुभव पर। उर्जित पटेल ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक् से एम फिल से बी.ए. प्राप्त की। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डिग्री 1986 में वह येल विश्वविद्यालय में 1990 में उन्होंने एक केन्याई नागरिक के रूप में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में शामिल हुए से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट प्राप्त किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत डेस्क पर 1991-1994 संक्रमण काल के दौरान किया गया। उन्हें भारत 1992—1995 में आईएमएफ देश मिशन के लिए तैनात किया गया था।
उनके पहले गवर्नर रहे रघुराम राजन विश्व के जाने माने अर्थशास्त्री रहे हैं। राजन मनमोहन सिंह के प्रमुख आर्थिक सलाहकार ओर शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एरिक॰ जे॰ ग्लीचर फाईनेंस के गणमान्य सर्विस प्रोफेसर थे।
2003 से 2006 तक वे अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के प्रमुख अर्थशास्त्री व अनुसंधान निदेशक रहे और भारत में वित्तीय सुधार के लिये योजना आयोग द्वारा नियुक्त समिति का नेतृत्व भी किया। वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के अर्थशास्त्र विभाग और स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट; नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के केलौग स्कूल ऑफ मैनेजमेण्ट और स्टॉकहोम स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स में अतिथि प्रोफेसर भी रहे हैं। उन्होंने भारतीय वित्त मंत्रालय, विश्व बैंक, फेडरल रिजर्व बोर्ड और स्वीडिश संसदीय आयोग के सलाहकार के रूप में भी काम किया है।
उनके पहले सुब्बाराव थे, जिन्होंने ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की थी। बाद में उन्होंने आंध्र विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में PhD की उपाधि ली। सुब्बाराव 1972 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के आंध्र प्रदेश कैडर के अधिकारी थे।
सुब्बाराव जी से पहले रेड्डी जी गवर्नर थे। रेड्डी ने 2002 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी निदेशक के रूप में भी काम किया था। आईएएस बनने से पहले ही व्याख्याता के रूप में उन्होंने काम किया। आईएएस में रहते हुए उन्होंने वित्त मंत्रालय और आंध्र प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव में सचिव (बैंकिंग) की पदों पर कार्य किया और चीन, बहरीन, इथियोपिया और तंजानिया सरकारों के साथ काम किया।
वह एक विज़िटिंग फेलो, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, बिजनेस मैनेजमेंट विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक यूजीसी विज़िटिंग प्रोफेसर रहे हैं। पूर्णकालिक विज़िटिंग फैकल्टी, प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया और हैदराबाद में इकोनॉमिक एंड सोशल स्टडीज सेंटर में मानद प्रोफेसर बने रहे।
बिमल जालान भी विश्व-प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रहे हैं। उन्होंने कलकत्ता एवं कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की गवर्नर बनने से पहले वह भारत सरकार में अनेक उच्च पदों पर कार्य कर चुके हैं, जिनमें मुख्य आर्थिक सलाहकार वित्त सचिव, योजना आयोग के सदस्य सचिव और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष पद शामिल हैं।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के मंचों पर कार्यकारी निदेशक के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। अर्थशास्त्र के विषय में उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें है ‘इंडियाज इकोनॉिमक क्राइसिस : प्रोब्लम्स एंड प्रोस्पेक्ट्स पॉलिसी : प्रिपेयरिंग फॉर द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’
यह है आरबीआई के पिछले 5 गवर्नरों की योग्यताएं। इस परिप्रेक्ष्य में आप शक्तिकांत दास की डिग्रियों को देखें। वैसे मोदी सरकार में डिग्रियों को महत्व ही कहा दिया जाता है?