लॉकडाउन के बाद बच्चों को खाना खिलाने के लिए संघर्ष कर रहीं सेक्स वर्कर्स, अधिकार समूह ने की मदद की अपील

Update: 2020-03-27 03:30 GMT

कोरोनावायरस पर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद सेक्स वर्कर्स पर रोजी-रोटी का संकट, एलजीबीटी अधिकार समूह ने की मदद की अपील...

जनज्वार। एक एलजीबीटी अधिकार समूह ने गुरुवार को मुंबई के उन सेक्स वर्कर्स के लिए फंड जुटाने की अपील शुरू की जिनकी आय कोरोना वायरस से प्रभावित हुई है। इस अधिकार समूह का कहना था कि वह अन्य लोगों की मदद करना चाहते हैं जो सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं।

श्चिम भारतीय शहर मुंबई में सेक्स वर्कर्स की मदद करने वाले एक चैरिटी जिम्मे फाउंडेशन की ओर से यह अपील तब की गई जब उन्हें जानकारी मिली कि दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश लॉकडाउन में जाने के बाद से कई सेक्स वर्कर्स माताएं अपने बच्चों को खिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।

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जिम्मे फाउंडेशन के संस्थापक हरीश अय्यर कहते हैं, यह एक ऐसा समुदाय है जिसने हमेशा सामाजिक बहिष्कार का सामना किया है, अब यह हम पर है कि हम उन दूसरे लोगों के साथ खड़ें हो जो इन पूर्वाग्रहों को खत्म कर रहे हैं।

लोकप्रिय एलजीबीटी अधिकार प्रचारक हरीश अय्यर बताते हैं कि उनके समूह ने करीब 200 जरूरतमंद परिवारों की पहचान की है और उन सेक्स वर्कर्स के लिए चावल, गेहूं का आटा, तेल और साबुन जैसी जरूरी चीजों को प्रदान करने की मांग की है।

प्रचारकों के अनुसार, चैरिटी सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस के साथ शुरू की गई ऐसी अपील मुंबई में सेक्स वर्कर्स के लिए इस तरह का पहले अभियान में से एक हैं। मुंबई सेक्स ट्रैफिकिंग पीड़ितों के लिए भारत में एक मुख्य डेस्टिनेशन है।

FILE PHOTO :PURNATA /INSTAGRAME

'क्रांति' नाम के चैरिटी ने इसको लेकर आगाह किया था, वह मुंबई में सेक्स वर्कर्स के बच्चों के साथ काम करता है, क्रांति की सह-संस्थापक बानी दास इस कदम का स्वागत करती हैं।

बानी दास ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया, 'हर एक व्यक्ति जो मुझे जानता है, हरीश (अय्यर) को इस तरह जानने वाले तीन लोग हैं। उनकी लोकप्रियता से मदद मिलेगी।'

Full View नरेंद्र मोदी ने इसी सप्ताह एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का आदेश दिया है जो 14 अप्रैल तक चलेगा और इस लॉकडाउन से उन सैकड़ों करोड़ों भारतीयों के लिए आशंका बढ़ गई है जो दैनिक मजदूरी पर भरोसा करते हैं और अगर वे काम पर नहीं जा पाएंगे तो कमाई भी नहीं पाएंगे। लेकिन इससे पहले ही मुंबई ने बड़े पैमाने पर कार्यालयों को बंद कर दिया था और लोगों को बाहर नहीं जाने के लिए कहा था।

दूसरे देशों के सेक्स वर्कर्स भी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उपायों से जूझ रहे हैं। बांग्लादेश में दुनिया के सबसे बड़े वेश्यालयों में से एक में काम करने वाली महिलाओं ने ग्राहकों पर आधिकारिक प्रतिबंध लगने के बाद आपातकालीन धन की अपील की है।

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दास कहती हैं, सेक्स वर्कर्स ग्राहकों से मिलने वाली दैनिक आय पर जीवित रहते हैं। उनके पास मास्क, हैंड सैनिटाइजर और यहां तक कि सैनिटरी पैड भी नहीं हैं। वे दयनीय स्थिति में हैं।

भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद कई उद्योगों को तेज गिरावट का सामना करना पड़ रहा है और लाखों लोग अनिश्चित भविष्य की ओर देख रहे हैं। इनमें हजारों सेक्स वर्कर्स और ट्रांसजेंडर्स भी हैं। यह समुदाय पहले से ही हाशिए पर रहा है।

सको लेकर कर्नाटक में एक धन जुटाने के लिए एक अभियान शुरु किया गया है। ताकि अप्रैल और मई के महीनों में इनकी मदद हो सके। सेक्स वर्कर्स को वैसे ही मुश्किल समय का सामना करना पड़ता है लेकिन कोरोना वायरस संकट के बाद यह और बढ़ गया है।

संगमा (अभियान के पीछे काम करने वाला एनजीओ) का कहना है कि उनका लक्ष्य सेक्स वर्कर्स के 350 परिवारों और 150 ट्रांसजेंडर्स को 2,000 रुपये के मासिक पैकेज मदद प्रदान करना है, जिनकी आजीविका भी भीख मांगने पर निर्भर करती है।

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