मानिक सरकार का वो भाषण जो सोशल मीडिया पर हो रहा वायरल

Update: 2017-08-17 14:29 GMT

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार ⁠⁠⁠⁠⁠द्वारा अगरतला के असम राइफल्स ग्राउंड में 15 अगस्त, 2017 को स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए आॅल इंडिया रेडियो में प्रसारण हेतु एक भाषण दिया था, जिसे प्रसारित नहीं किया गया।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने दूरदर्शन और आकाशवाणी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका भाषण दूरदर्शन और आकाशवाणी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यह कहते हुए प्रसारित करने से मना कर दिया था कि जब तक वह भाषण को नया रूप नहीं देते, तब तक इसे प्रसारित नहीं किया जाएगा। सरकार ने इसे केंद्र का 'अलोकतांत्रिक, निरंकुश और असहिष्णु कदम' करार ठहराया है।

इसी मुद्दे पर माकपा ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उसके आधिकारिक ट्विटर एकाउंट पर मानिक सरकार के भाषण को ऑल इंडिया रेडियो द्वारा प्रसारित न करने लेकर ट्वीट किया गया कि, ‘दूरदर्शन ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार का भाषण प्रसारित करने से इनकार किया। क्या प्रधानमंत्री मोदी इसी सहयोगात्मक संघवाद की बात करते हैं? शर्म की बात है।’

वहीं सीपीएम नेता वृंदा करात ने सरकार के भाषण को प्रसारित न करने को लेकर केंद्र सरकार को आरोपी ठहराया और कहा कि 'यह लोकतंत्र की हत्या है। लाल किले से प्रधानमंत्री को कॉपरेटिव फेडरेलिज्म की बात कर रहे हैं, ऐसे में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया भाषण प्रसारित ना करना कौन सा को कॉपरेटिव फेडरेलिज्म है।'

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बुद्धिजीवियों और राजनेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, कुछ माणिक सरकार के पक्ष में तो कुछ विपक्ष में। गौरतलब है कि माणिक सरकार की गिनती सबसे सादा जीवन जीने वाले राजनेताओं में की जाती है। आइए पढ़ते हैं माणिक सरकार के भाषण के कुछ अंश जिसे आॅल इंडिया रेडियो ने प्रसारित करने से मना कर दिया था।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के भाषण के अंश

'अनेकता में एकता' हिन्दुस्तान की पारंपरिक विरासत है। सेक्युलरिज़्म के महान मूल्यों ने हिन्दुस्तानियों को एक राष्ट्र के रूप में संगठित रखा है। लेकिन, आज सेक्युलरिज्म की इस भावना पर हमले हो रहे हैं।

हमारे समाज में अवांछित जटिलता व फूट पैदा करने, धर्म, जाति व सम्प्रदाय के नाम पर हमारी राष्ट्रीय चेतना पर हमला करने और हिन्दुस्तान को खास धार्मिक देश में तब्दील करने के लिए गौरक्षा के नाम पर उन्माद भड़काने की साजिशें-कोशिशें जारी हैं।

इन सब वजहों से अल्पसंख्यक और दलित समुदायों के लोग गंभीर हमले की जद में हैं। खुद को सुरक्षित महसूस कर पाने की उनकी भावना को ध्वस्त किया जा रहा है। उनका जीवन ख़तरे में है। इन नापाक प्रवृत्तियों को बने रहने नहीं दिया जा सकता है। ये नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त हैं।

ये विध्वंसकारी प्रयास हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों, सपनों और लक्ष्यों के प्रतिकूल हैं। जो आज़ादी के आंदोलन के साथ जुड़े हुए नहीं थे बल्कि जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन से प्रतिघात किया था, जो जालिम लुटेरे बेरहम अंग्रेजों के ताबेदार थे, उनके अनुयायी राष्ट्रविरोधी शक्तियों के साथ गठजोड़ करके खुद को विभिन्न नामों-रंगों से सजा कर भारत की एकता-अखंडता की जड़ों पर चोट पहुंचा रहे हैं।

आज हर वफ़ादार-देशभक्त भारतीय को 'संगठित भारत' के आदर्श के प्रति प्रतिबद्ध रहने और इन विभाजनकारी साजिशों व हमलों का सामना करने का संकल्प लेना होगा। हम सबको अल्पसंख्यकों, दलितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश की एकता-अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए मिलकर संघर्ष करना होगा।'

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