पहले कोरिया को जानिए फिर पीजिए अमेरिकी घुट्टी

Update: 2017-09-22 14:21 GMT

जिस उत्तर कोरिया ने एक युद्ध के अलावा कभी किसी देश के साथ युद्ध नहीं किया, उसकी छवि दुनियाभर में अमेरिका ने तानाशाह और विध्वंशक की बना दी है। यह छवि उस अमेरिका ने बनाई है जो हर साल दुनियाभर में युद्ध और तानाशाही करता है...

मुनीष कुमार, स्वतंत्र पत्रकार

अमेरिका का राष्ट्रपति टोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में 19 सितम्बर को उत्तर कोरिया के ऊपर जमकर जहर उगला। अपने 41 मिनट के भाषण में ट्रम्प ने उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग को रोकेटमैन का खिताब देते हुए उसको खुलेआम पूरी तरह से तबाह करने की धमकी दे डाली। ट्रम्प ने कहा कि रोकेटमैन खुद तथा अपने देश के लिए आत्मघाती बन रहा है।

ट्रम्प ने उत्तरी कोरिया के परमाणु बम तथा बैलैस्टिक मिसाइल के निर्माण को दुनिया के लिए खतरा बताया। कहा कि अमेरिका के पास बहुत ताकत व धैर्य है। यदि उसे तथा सहयोगियों को मजबूर किया गया तो उसके पास उत्तर कोरिया को पूरी तरह से नष्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।

ट्रम्प केवल उत्तर कोरिया पर ही नहीं गुर्राये, बल्कि ईरान, क्यूबा व बेनेजुएला को भी दुनिया के मंच से धमकाया। संयुक्त राष्ट्र संघ का मंच जो दुनिया के मुल्कों के बीच परस्पर मेल-जोल व संवाद बनाने के लिए है, उस मंच से अमेरिका ने सरेआम उत्तर कोरिया तथा वहां के 2.5 करोड़ निवासियों को नेस्तनाबूत करने की धमकी दे डाली।

संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में न्यूयार्क पहुंचे उत्तरी कोरिया के विदेश मंत्री री-योंग-हो ने अमेरिका को उसके घर में ही जवाब देते हुए कहा कि कुत्ते कितना भी भौंकते रहें, लेकिन कारवां चलता रहेगा। यदि वे धमकियों से हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं तो वे निश्चित रुप से सपना देख रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अमेरिका की आक्रामकता से बचाव के लिए परमाणु हथियारों की जरूरत है।

अमेरिका की धमकी के बाद कोरियन द्वीप में तनाव बढ़ गया है। अमेरिका व दक्षिणी कोरिया की सेनाएं उत्तर कोरिया के बार्डर के समीप संयुक्त सेनाभ्यास कर रही हैं। ट्रम्प के बयान के अगले ही दिन अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने कोरियन द्वीप के आकाश में उड़ान भरनी शुरू कर दी।

अमेरिका ने अपने रक्षा खर्च को बढ़ाकर 700 बिलियन डॉलर यानी 45500 अरब रुपए कर दिया है। स्वयं को दुनिया की महाशक्ति मानने वाला अमेरिका उत्तर कोरिया से कितना डरा हुआ है उसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि अमेरिका 8.5 बिलियन डॉलर यानी 5525 अरब रुपए अपने देश की मिसाईल प्रतिरोधक क्षमता को आगे बढ़ाने के लिए खर्च कर रहा है। गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तर कोरिया लम्बी दूरी वाली बैलैस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर चुका है।

दुनिया में अमेरिका ने उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग की एक सनकी तानाशाह की छवि बनाने का काम किया है। साम्राज्यवादपरस्त मीडिया दिन-रात राष्ट्रपति किम जोंग के प्रति नफरत फैलाने वाले मनगढ़ंत किस्से प्रकाशित व प्रचारित करता रहता है। राष्ट्रपति किम जोंग अच्छे हैं या बुरे इसे तय करने का अधिकार उत्तर कोरिया की जनता को है, न कि अमेरिका को।

इतिहास में उत्तर कोरिया व दक्षिणी कोरिया के बीच 1950-1953 में हुए युद्ध के अतिरिक्त उत्तरी कोरिया ने कभी भी किसी देश के साथ युद्ध नहीं किया है। परन्तु अमेरिका का इतिहास रक्तरंजित है पूरी दुनिया की मेहनतकश इंसाफपसंद जनता अमेरिका से घृणा करती है। अपने हितों के लिए कमजोर मुल्कों पर हमले करना, अमेरिकी विरोधी शासकों के खिलाफ साजिशें करना, तख्तापलट करवाना अमेरिका की नीति रही है। अमेरिका के पास दुनिया को सात बार खत्म कर देने की परमाणु ताकत है। यदि दुनिया को परमाणु विनाश का खतरा यदि किसी मुल्क से है तो वह अमेरिका से है न कि उत्तर कोरिया से।

अमेरिका 1945 में जापान के दो शहरों हिरोशिमा व नागाशाकी पर परमाणु बम से हमला कर चुका है, जिसमें 2 लाख से भी अधिक लोग मारे गये थे। अमेरिकी हमलों में दुनिया के करोड़ों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यदि आज अमेरिका कोरिया पर हमला नहीं कर पा रहा है तो इसका बड़ा कारण यही है कि उत्तर कोरिया के पास भी परमाणु बम की ताकत है तथा अमेरिका तक मार करने वाली बैलैस्टिक मिसाइल है। उत्तर कोरिया के पास 12 लाख की सेना है जो कि दुनिया की चौथे नंबर की सेना मानी जाती है।

दुनिया को शांति व निःशस्त्रीकरण का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका के उत्तरी कोरिया के बिल्कुल पड़ोसी मुल्क दक्षिणी कोरिया तथा जापान में सैनिक अड्डे हैं जिससे उत्तर कोरिया को लगातार खतरा बना हुआ है। दक्षिण कोरिया के अमेरिकी सैन्य बेस में 23500 अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी बतायी जाती है। अमेरिका द्वारा उत्तर कोरिया पर हमला करने की स्थिति में दक्षिण कोरिया में मौजूद अमेरिकी सैनिक उत्तर कोरिया के निशाने पर आ जाएंगे।

इस सबके चलते अमेरिका चाहकर भी उत्तर कोरिया पर हमला करने का साहस नहीं कर पा रहा है। दक्षिण कोरिया व जापान भी नहीं चाहते हैं कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर हमला करे। वे अमेरिका से दूसरे विकल्पों को आजमाने के लिए कह रहे हैं।
अमेरिका उत्तर कोरिया पर तमाम तरीके के प्रतिबंध लगाकर उसे दबाव में लेने की कोशिश कर रहा है।

अमेरिका जैसा आतंकवादी मुल्क परमाणु व दूसरे खतरनाक हथियारों से लैस हो और उत्तर कोरिया को निःशस्त्रीकरण का पाठ पढ़ाया जाए, यह सम्भव नहीं है। दुनिया से यदि हथियारों की होड़ को समाप्त करना है तो सबसे पहले अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, रूस, चीन जैस ताकतवर मुल्कों को अपने हथियारों का जखीरा समाप्त करने की शुरुआत करनी होगी।

जिस तरह अमेरिका व दूसरे ताकतवर मुल्कों को हथियार रखने का अधिकार है उसी तरह यह अधिकार उत्तर कोरिया का भी है कि वह अपने देश की रक्षा के लिए परमाणु बम का निर्माण करे। दुनिया की न्यायप्रिय जनता व मुल्कों को उत्तर कोरिया के इस अधिकार का समर्थन करना चाहिए।

(मुनीष कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं समाजवादी लोक मंच के सहसंयोजक हैं।)

Similar News