काशीनाथ के नाम पर प्रसारित हो रहे पोस्ट के मूल लेखक आए सामने

Update: 2017-08-03 01:12 GMT

'पाकिस्तान की तारीफ के लिए माफ कीजिएगा' फेसबुक पोस्ट के असली लेखक हैं गिरिजेश वशिष्ठ, उनके वाल पर देखी जा सकती है 28 जुलाई को लिखी पोस्ट

चर्चित उपन्यासकार काशीनाथ सिंह द्वारा प्रधानमंत्री के नाम किसी भी तरह के पत्र लिखने से इनकार किए जाने का बाद स्पष्ट हो गया था कि किसी ने जानबूझकर बदमाशी की है, लेकिन मूल लेखक के सामने न आने से सवाल और संदेह लगातार बना हुआ था।

जनज्वार से बातचीत में काशीनाथ सिंह ने कहा भी कि एक वाट्सअप मैसेज को मेरे नाम सर्कुलेट किया जा रहा है, जबकि मैंने ऐसा कोई पोस्ट लिखा नहीं बल्कि मुझे भी दो दिन पहले यह पोस्ट आया था, ठीक लगा तो मैंने भी उसे दो—तीन लोगों को शेयर कर दिया।

80 वर्षीय काशीनाथ सिंह ने कहते हैं, 'तीन—चार दिन पहले मुझे भी यह मैसेज वाट्सअप के जरिए आया था। किसने भेजा था, यह तो याद नहीं पर किसी ग्रुप से आया था। मैंने भी आगे दो—तीन लोगों को फारवर्ड कर दिया था।'

यह पूछने पर कि आपके नाम पर भ्रम कैसे हुआ, काशीनाथ थोड़ा ठहरकर कहते हैं, 'भ्रम इसलिए हुआ होगा, क्योंकि मैंने भी यह मैसेज आगे फॉरवर्ड कर दिया था इसलिए उन लोगों ने मेरा नाम चिपका दिया होगा। मुझे याद नहीं कि मैंने किसको फॉरवर्ड किया था। पर मुझे लोगों ने लपेट लिया और मौज ली।'

चर्चित उपन्यासकार काशीनाथ सिंह फेसबुक इस्तेमाल नहीं करते। उनका फेसबुक अकाउंट भी नहीं है।

'पाकिस्तान की तारीफ के लिए माफ कीजिएगा', पोस्ट के लेखक गिरिजेश वशिष्ठ अपने 2 अगस्त को लिखे फेसबुक पोस्ट पर लिखते हैं, 'समझ नहीं आ रहा गुस्सा दिखाऊं या ठहाके लगाऊँ. बेहद सम्मानित हिंदी के लेखक काशीनाथ सिंह के नाम से लोगों ने मुझे चूना लगा दिया है. मेरी एक पोस्ट इसी वॉल से उठाकर काशीनाथ सिंह के नाम से जमकर शेयर की जा रही है.'

गिरजेश गुस्से में आगे लिखते हैं, 'पता नहीं किस मूर्ख ने ये हरकत की है लेकिन जितने छुटभैये ब्लॉग हैं या छोटीमोटी वैबसाइट हैं सब पर मेरी पोस्ट को काशीनाथ सिंह के विचार बताकर खबर बनाई गई है. मुझे काशीनाथ सिंह जी का कोई फेसबुक पेज नहीं मिला वरना उनसे भी शिकायत करता खैर नीचे लिंक चिपका रहा हूं.आप भी आनंद लें. वायरल भी हुए तो दूसरों के नाम से.'

गौरलतब है कि गिरजेश वशिष्ठ के पेज पर उनका लिखा यह पोस्ट करीब 2600 शेयर और दो हजार से अधिक लाइक हो चुका है।

गिरजेश वशिष्ठ ने यह पोस्ट 28 जुलाई को शेयर की थी जबकि काशीनाथ सिंह के नाम से यह पत्र 1 अगस्त से शेयर हो रहा है।

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