नहीं रहीं पाकिस्तान की मदर टेरेसा 'रूथ फॉ'

Update: 2017-08-11 16:45 GMT

पाकिस्तान के कुष्ठ रोगियों के बीच अपने जीवन का 56 वर्ष बिताने वाली जर्मनी की रूथ फॉ की कल मृत्यु हो गयी। प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि सरकार उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ करेगी।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के असंख्य गरीबों और कुष्ठ रोगियों की सेवा में करीब आधी शताब्दी बिता देनी वाली जर्मन नागरिक रूथ फॉ की कल 10 अगस्त को हुई मौत पर पूरा पाकिस्तान दुख में है।

87 वर्षीय रूथ फॉ के पाकिस्तानी समाज को दिए योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा, 'उनका योगदान कहने नहीं महसूस करने और सीखने की चीज है कि कैसे राष्ट्र और धर्म की दिवारों को तोड़ मानवता की सेवा में अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया जाए। हमें उनकी सेवाओं पर गर्व है और वह हमारे दिलों में हमेशा एक चमकदार प्रतीक के रूप में बसी रहेंगी।'

अपने जवानी के दिनों में रूथ फॉ पेशे से डॉक्टर थीं, जिन्होंने बाद में कैथोलिक नन बनकर सेवा करने का रास्ता चुना। पाकिस्तान में क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान रूथ को याद करते हुए लिखते हैं, 'निस्वार्थ समर्पण की उनकी भावना को भरना मुश्किल होगा।'

रूथ फॉ जर्मनी छोड़कर 1960 में पाकिस्तान आ गयी थीं। वह त्वचा रोग विशेषज्ञ थीं इसलिए उन्हें कुष्ठरोग, त्वचा की बीमारियों और घावों के इलाज का गहरा अनुभव था और उन्होंने अपने इस हूनर को इंसान की सेवा के रूप में चुना।

पाकिस्तान में उन्हें 'निशाने—कैद—ए—आजम' से नवाजा गया था, जो यहां का सर्वोच्च पुरस्कार है। रूथ ने तीन किताबें 'द लास्ट वर्ड आॅफ लव : एडवेंचर, मेडिसीन और 'वार एंड गॉड' लिखी हैं।

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