देवभूमि में पानी के दीप प्रज्ज्वलन से हुआ अंधविश्वास विरोधी कार्यक्रम का शुभारंभ

Update: 2018-09-27 16:30 GMT

हर अंधविश्वास के पीछे छलावा अथवा वैज्ञानिक तथ्य होते हैं। विश्व में अंधविश्वास का खरबों रुपये का विश्वास है, जिस कारण संचार माध्यमों से रात-दिन इसे जनता के सामने परोसकर जनता को अंधविश्वास की ओर धकेला जाता है....

रामनगर, जनज्वार। समाज में फैल रहे अंधविश्वास व पाखंड की पोल खोलने के लिये उत्तराखण्ड के रामनगर शहर में आज 27 सितंबर को शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर अपनी तरह के पहले कार्यक्रम का आयोजन करते हुए महाराष्ट्र से आई ‘महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति’ की टीम ने दर्शकों की जमकर वाहवाही लूटी।

अमर शहीद भगत सिंह के जन्मदिन के मौके पर समाजवादी लोकमंच के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में ‘महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति’ के सदस्यों ने तमाम तरह के चमत्कारों, अंधविश्वास, हाथ की सफाई, काला जादू जैसे कारनामों की सार्वजनिक ढंग से पोल खोलते हुए दर्शकों के सवालों के जवाब भी दिये।

यूं तो कार्यक्रम की शुरुआत शहर की सांस्कृतिक संस्था ‘भोर सोसाईटी’ द्वारा भगत सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिये खास तौर पर कम्पोज किये गये गीत ‘बोल की लब आजाद हैं तेरे, उम्मीदो की मशाल जलाकर अंधेरो को राह दिखायें’ से की गई। वक्ता के तौर पर पत्रकार अजय प्रकाश ने धार्मिक अंधविश्वास के साथ ही राजनीतिक अंधविश्वास से दूर रहने की वकालत करते हुये समाज को जागृत किये जाने के लिये सवालों की परम्परा कायम करने की हिमायत की।

कार्यक्रम को संबोधित करते जनकवि बल्ली सिंह चीमा

उत्तराखण्ड के वरिष्ठ रंगकर्मी व जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने अपनी रचना ‘तय करो किस ओर हो, आदमी के पक्ष में हो या आदमखोर हो’ के जरिये लोगों को अपना पक्ष चुनने के लिये प्रेरित किया।

भोर सोसाईटी के दूसरी पेशकश ‘यह चांदी की जंजीरें तोड़ दो, यह सोने की जंजीरें तोड़ दो’ के बाद संचालक ललित उप्रेती ने मंच महाराष्ट्र अंधविश्वास उन्मूलन समिति के उत्तम जोगडाड व अमोल चौगुले के सुपुर्द करते हुये दर्शको को सीधे चमत्कारों की पोल खोलने के कार्यक्रम से जोड़ दिया।

अमूमन हर कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ ही होती है, वैसे ही इस कार्यक्रम का शुभारम्भ भी दीप जलाकर किया गया, लेकिन दूसरे कार्यक्रमों से इतर यह कार्यक्रम इस बात के लिये दर्शकों को याद रहेगा कि इस कार्यक्रम का दीपक तेल-बाती की अपेक्षा केवल साधारण पानी से ही जलाया गया।

दर्शकों को हैरान करने वाले इस कारनामे में छुपे हुये विज्ञान का खुलासा करते हुये अमोल चौगुले ने बताया कि पानी में कार्बाइड के टूकड़े डाले गये थे। कार्बाइड व पानी मिश्रण से ज्वलनशील गैस बनी और गैस से दीपक को जलाया गया। बहरहाल अब तक दर्शक चमत्कारों की दुनिया में खोने के लिये तैयार हो चुके थे, जिसका सीधा फायदा उठाते हुये अमोल ने कई दर्शकों को मंच पर बुलाकर आग का गोला उन्हें खिलाकर दर्शकों को टकटकी लगाकर कार्यक्रम देखने पर मजबूर कर दिया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देते भोर सोसाइटी के युवा

इसके साथ ही नीबू से रंग निकलना, धागे का रंग बदलना, नारियल फोड़कर उसमें से रिबन, चूड़ी के टुकड़े निकालता, हवा में चेन प्रकट करना, खाली हाथों में सिन्दूर प्रकट करना, टूटे धागे को पुनः जोड़ना, खाली लोटे में पानी का निर्माण करना आदि चमत्कार दिखाते हुये समिति के सदस्यों ने मौजूद दर्शको के सवालों के जवाब भी दिये। डेमोंस्ट्रेशन के दौरान कई स्कूली बच्चों ने भी प्रयोगों में हिस्सा लेकर अपनी उत्कंठा को शांत किया।

इस मौके पर समिति के उत्तम जोगडाड ने अपने सम्बोधन में उत्तराखण्ड के सौन्दर्य की प्रशंसा करते हुये कहा कि प्रकृति ने अपना सौन्दर्य दोनों हाथों से इस राज्य को लुटाया है। यहां के लोग भाग्यशाली हैं कि जिस शुद्ध हवा के लिये महानगरो के लोग तरसते हैं वह उन्हें मुफ्त में हासिल है। अंधविश्वास पर अपनी राय रखते हुये उन्होंने कहा कि हर अंधविश्वास के पीछे छलावा अथवा वैज्ञानिक तथ्य होते हैं। विश्व में अंधविश्वास का खरबों रुपये का विश्वास है, जिस कारण संचार माध्यमों से रात-दिन इसे जनता के सामने परोसकर जनता को अंधविश्वास की ओर धकेला जाता है।

उन्होंने अंधविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन ‘सवाल’ को बताते हुये कहा कि जनता यदि चमत्कार दिखाने वाले लोगो से सवाल करने शुरू कर दे तो वह खुद ही इनकी पोल खोल सकती है। लेकिन अंधविश्वास की दुनियां में किसी को प्रश्न पूछने की इजाजत नहीं होती है इसीलिये ठगी का यह धंधा दिनोंदिन फल-फूल रहा है। घरेलू व सामाजिक उत्पीड़न के चलते महिलाओं को अंधविश्वास का बड़ा वाहक बताते हुये उन्होंने कहा कि भावुकता के चलते महिलाएं अपने परिवार को संभावित अनहोनी से बचाने के लिये ढोंगी बाबाओं के चंगुल में आसानी से फंस जाती हैं, जहां उनका आर्थिक व दैहिक शोषण का सिलसिला शुरू हो जाता है।

मुंह में आग का चमत्कार : आम लोगों को चमत्कारों की सच्चाई बताते अन्धश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ता

भूत-प्रेत आदि को मनोविज्ञान से जोड़ते हुये इन पर भरोसा करने वालो को मानसिक बीमार बताते उन्होंने कहा कि अच्छे मानसिक चिकित्सालय के अभाव में समाज में ऐसे बीमार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने सवाल किया कि जब सभी प्राणियों में आत्मा का वास है तो केवल मनुष्य की आत्माएं ही भूत क्यों बनती हैं, पशु-पक्षियों की आत्माओं का भूत क्यों नहीं लोगो को सताता है। समिति के सदस्यों ने दर्शकों से अपील की कि वह अंधविश्वास के दायरे से बाहर आकर दूसरे लोगों को भी इसके प्रति जागरुक करने का काम करें।

कार्यक्रम के अंत में अमोल ने दर्शकों को उदाहरण सहित सीधे मनोविज्ञान से जोड़ने के लिये उनके रूमाल का रंग इस शर्त पर बदलने का ऐलान किया कि वह दो मिनट तक आंखें मूंदकर उनके निर्देशों को मानेंगे। कार्यक्रम के सैकड़ों दर्शकों ने अमोल की बताई प्रक्रिया की, लेकिन किसी रूमाल का रंग नहीं बदला तो अमोल ने बताया कि बीते दो घंटे से अंधविश्वास की पोल खोलने के बाद भी जब दर्शक रूमाल का रंग बदलने के चमत्कार की अपेक्षा कर रहे हैं तो समाज में अंधविश्वास के प्रति जागरुकता न होने पर चमत्कारों व बाबाओ के पाखंडी जाल में लोगों का फंसना उनके लिये ऐसी मजबूरी बन गई है, जिससे उन्हें बिना जागरुक किये बाहर नहीं निकाला जा सकता।

इस मौके पर समाजवादी लोकमंच के मुनीष कुमार ने इस प्रकार के कार्यक्रम राज्य के अन्य स्थानों पर आयोजित करने के लिये जागरुक लोगों को चमत्कारों, टोने-टोटकों के पर्दाफाश करने के लिये प्रशिक्षित किये जाने पर जोर देते हुये अगले तीन माह में विशेष प्रशिक्षण कैम्प लगाने की जरुरत पर जोर दिया।

इस दौरान पत्रकार अजय प्रकाश, मुनीष कुमार, आनन्द नेगी, सरस्वती जोशी, विद्यावती आर्य, केसर राणा, प्रभात ध्यानी, मनमोहन अग्रवाल, सलीम मलिक, किशन शर्मा, मदन सिंह मेहता, शेखर आर्य, ललिता रावत, महेश जोशी, नवेन्दु मठपाल, अजीत साहनी, गिरीश आर्य, गोपाल लोधियाल, कमल वर्मा, विजय पपनै, मौ. शफी, कमला रावत, लालमणि, किरन आर्य, सुमित्रा देवी, पीयूष चिलवाल, बालकिशन चौधरी, जमनराम, भुवन, तुलसी जोशी, बिहारीलाल, कोटद्वार से सुशील द्विवेदी, कालागढ़ से शमसेर सचाना, कमला नेगी के अलावा आसपास के नगरों से आये सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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