राजनीतिक शरण मांग रही लड़की को दुश्मनों के हवाले कर देना कौन सा राष्ट्रवाद है मोदीजी

Update: 2018-12-07 10:02 GMT

भारत में राजनीतिक शरण मांग रही यूएई की राजकुमारी शेख लातिफ़ा को पकड़कर मोदी सरकार द्वारा वापिस उन लोगों को सौंप देना जिससे उसकी ज़ान को ख़तरा हो, क्या यही उनका रामराज्य है....

सुशील मानव का विश्लेषण

भारत और भारतीयों के लिए इससे शर्मनाक बात और क्या होगी कि कोई कहे कि एक लड़की के गायब होने में भारत जैसे देश का हाथ है। क्या भारत दल्लों, मुखबिरों और एजेंटों का देशभर बनकर रह जाएगा। क्या ‘राष्ट्रवाद’ के जिम्मे लड़कियों को गायब करवाना भी अब शुमार हो गया है?

गौरतलब है कि यूनाइटेड अरब अमीरात की राजकुमारी शेख़ लतीफ़ा के वकीलों के संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दखल देने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया है कि शेख़ लतीफा के गायब होने के पीछे भारत और यूएई सरकार का हाथ है।

वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल का आरोप है कि भारत के कमांडो राजकुमारी को साथ ले गए थे। राजकुमारी शेख लतीफ़ा भारत से राजनीतिक शरण माँग रही थी। इससे पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट वॉच ने भी राजकुमारी शेख़ लतीफ़ा के बाबत सच्चाई बताने को कहा था।

वहीं चश्मदीदों का कहना है कि दुबई से भागते समय उनके लक्जरी जहाज पर भारतीय जल सीमा में सुरक्षा बलों ने हमला किया और लतीफ़ा को दोबारा दुबई वापस लाया गया और उसके बाद से अब तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक राजकुमारी लतीफा की बोट गोवा तट से 48 किलोमीटर दूर था। और भारतीय तथरक्षकों ने राजकुमारी को पकड़कर वापिस दुबई भेज दिया था।

उस समय जारी वीडियो में शेख लतीफा ने कहा था कि अगर उनके बारे में कोई जानकारी न मिले तो ये समझा जाए कि उनकी हत्या हो चुकी है या फिर वो बहुत बुरी हालत में हैं। उस वीडियो के बाद से ही राजकुमारी लतीफा गायब हैं।

चुनावी सभा से अश्लील बयान

‘हेलिकॉप्टर कांड के राजदार और दलाल को सरकार दुबई से पकड़ कर लायी है, अब राजदार राज खोलेगा, पता नहीं बात कहां तक जाएगी, कितनी दूर तक जाएगी।' ये किसी सास-बहू टाइप सीरियल का डॉयलग नहीं बल्कि हमारे परम पूज्य प्रधानसेवक जी के मुखारविंद से झरे लफ्ज़ हैं, जिस उन्होंने 5 दिसंबर बुधवार को राजस्थान के सुमेरपुर मे एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक चुनावी सभा के दौरान कहा था।

गौरतलब है कि 4 अगस्त मंगलवार रात को सीबीआई की टीम ब्रिटेन के नागरिक और अगस्तावेस्टलैंड हैलिकॉप्टर डील में बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को प्रत्यर्पण के बाद भारत लेकर आई है।

खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक क्या सममुच अगस्ता वेस्टलैंड के बिचौलिए क्रियश्चेन मिशेल का प्रत्यर्पण एक लेन-देन के तहत हुआ है, जबकि इससे पहले प्रत्यर्पण को लेकर इसलिए भी दिक्कत आ रही थी क्योंकि मिशेल ब्रिटिश नागरिक है और यूएई ने पहले कहा यह कहकर भारत के निवेदन को नकार दिया था कि मिशेल ब्रिटिश नागरिक है, उसे भारत को नहीं सौंपा जा सकता है। फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि यूएई ने मिशेल का प्रत्यर्पण भारत को कर दिया।

क्रिश्चियन मिशेल का बयान

वहीं प्रत्यर्पण के बाद भारत लाए गए बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल ने सीबीआई को दिए अपने बयान में यूपीए नेताओं और रक्षा अधिकारियों को घूस देने से एकदम इंकार कर दिया है।

जिनके पुरखों ने अंग्रेजी के लिए मुखबिरी की थी अब वो सउदी का मुखबीर बन गया है और क्रिश्चियन मिशेल जैसे बिचौलिये को भारत लाकर 2019 का अपना चुनावी एजेंडा सेट करने के लिए अपनी जान बचाकर भागी लड़की को पकड़कर वापिस मौत के मुँह में धकेल दिया।

बता दें कि अपने पिता की तानाशाही से आजिज आकर यूएई छोड़कर भागी राजकुमारी शेख लतीफ़ा भारत से राजनीतिक शरण माँग रही थी, तो क्या से राजकुमारी शेख लतीफ़ा के बदले मिशेल की डील करना मोदी सरकार द्वारा अगस्ता वेस्टलैंड डील का मुद्दे को 2019 की अपनी चुनावी नैय्या पार लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया है। वर्ना और कोई कारण नहीं कि अचानक से राफेल का मुद्दा गायब होकर मीडिया और चुनावी मंचों से अगस्ता वेस्टलैंड डील फिर से राष्ट्रीय विमर्श बन गया है।

“जौं नर होइ चराचर द्रोही, आवै सभय सरन तकि मोही” या “सरन गएं प्रभु ताहु न त्यागा, बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा” या “प्रनतपाल रघुनायक करुनासिंधु खरारि। गये सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि।”

उपरोक्त तीनों पद रामचरित मानस के सुंदरकांड में राम के बारे में कही गई हैं। तीनों पदों का सार एक ही है अपने शरण में आये किसी भी व्यक्ति को राम वापिस नहीं लौटाते हैं भले ही वो कितना बुरा आदमी क्यों न हो। जबकि आज उन्हीं राम को अपना ब्रांड बनाकर सत्ता में आये और राम मंदिर के नाम पर अरबों को चंदा डकार जाने वाले और बाबरी मस्जिद को तोड़कर देश में आतंकवाद का बीज बोने वाले ये स्वघोषित हिंदुत्व के ठेकेदार क्या तनिक भी राम के आदर्शों को मानते या उनके कहे का पालन करते हैं।

क्या भारत में राजनीतिक शरण मांग रही यूएई की राजकुमारी शेख लातिफ़ा को पकड़कर मोदी सरकार द्वारा वापिस उन लोगों को सौंप देना जिससे उसकी ज़ान को ख़तरा हो, क्या यही उनका रामराज्य है। इस कदर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन करके मनुष्यता का हत्या का साझीदार बनना देश को मोदी सरकार से ही हासिल हो सकता था। मुबारक हो देशवासियो।

हमें नहीं पता कि राजकुमारी शेख़ लतीफ़ा अब ज़िंदा भी हैं या नहीं। लेकिन यदि राजकुमारी की हत्या हो चुकी है तो उनकी इस हत्या की जिम्मेदार भारत की मोदी सरकार है।

ऐसे ही लोगों के लिये गोसाईं तुलसीदास ने लिखा है-

"शरणांगत कह जे तजहीं, निज अनहित अनुमानि।

ते नर पामर, पापमय, तिनहिं बिलोकत हानि।।"

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