गर्भवती बीवी को लेने गए दलित युवक की पुलिस और महिला सुरक्षा टीम के सामने हत्या
जैसे ही उर्मिला के पिता ने हरेश को देखा, तो चिल्लाते हुए कहा दलित अपनी लड़की को भगा ले गया है। बाहर निकालकर खत्म कर डालो। हरेश को देखने के बाद उर्मिला के परिजनों ने अभयम गाड़ी के सामने लगा दिया ट्रेक्टर और बाइक, बचाव करने आये पुलिसकर्मियों और महिला सुरक्षा टीम के साथ भी की मारपीट...
जनज्वार। दलित उत्पीड़न की घटनायें देश में दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी का गृहराज्य गुजरात भी इससे अछूता नहीं है। या यूं कहें वहां दलित उत्पीड़न का चरम ही है। गुजरात के अहमदाबाद स्थित मांडल तहसील के वरमोर गांव में गरासिया जाति यानी राजपूत समुदाय युवती से प्रेम विवाह करने की कीमत एक दलित युवा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
जानकारी के मुताबिक कच्छ ज़िले में अंजार तहसील के वरसामेडी गांव के रहने वाले 25 वर्षीय दलित युवा हरेश सोलंकी ने अहमदाबाद के मांडल तहसील के वरमोर गांव की उर्मिला झाला के साथ लव मैरिज की थी। उर्मिला थोड़े समय पहले अपने घर गयी थी, जिसे वापस लेने के लिए हरेश सोलंकी गुजरात सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई 181 अभयम की टीम और गुजरात पुलिस के साथ गये थे।
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यह घटना 8 जुलाई की शाम की है। उस दिन हरेश सोलंकी दो महीने की गर्भवती अपनी पत्नी उर्मिला झाला को लेने ससुराल गए थे। किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए वे अपने साथ महिला हेल्पलाइन टीम के अधिकारी और पुलिस को भी अपने साथ ले गये थे, मगर वहां उर्मिला झाला के परिजनों ने पुलिस और महिला हेल्पलाइन के सामने हरेश को मौत को घाट उतार दिया।
हरेश सोलंकी के परिजनों की तरफ से दर्ज कराई गयी एफआईआर में लिखा है, जैसे ही उर्मिला के पिता ने हरेश को देखा, उसने चिल्लाते हुए कहा दलित अपनी लड़की को भगा ले गया है। वो गाड़ी में ड्राइवर के पास बैठा है। उसे बाहर निकालकर खत्म कर डालो। हरेश को देखने के बाद उर्मिला के परिजनों ने अभयम गाड़ी के सामने ट्रेक्टर और बाइक लगा दी और अभयम स्टाफ को भी नहीं बख्शा।
हरेश के अलावा महिला कॉन्स्टेबल अर्पिता बेन के साथ भी उर्मिला के परिजनों ने मारपीट की। उर्मिला के पिता और अन्य परिजनों ने हरेश को इतना पीटा कि घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गयी। 15 मिनट बाद वहां पहुंची पुलिस ने हरेश को अस्पताल पहुंचाया, मगर तब तक वह लाश में तब्दील हो चुका था।
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इस पूरे मामले में अभयम और पुलिसकर्मी चश्मदीद गवाह हैं और फरियादी भी वही हैं। इन लोगों की गवाही और हरेश के परिजनों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को हत्यारोपी बनाया है, जिनमें उर्मिला के पिता, भाई इंद्रजीत सिंह समेत अन्य परिजन शामिल हैं। अभी तक पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ा है और बाकी फरार चल रहे हैं।
मृतक दलित युवक हरेश सोलंकी अपने परिवार में अकेला कमाने वाला था। उसकी हत्या के बाद परिवार के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। बीबीसी में प्रकाशित मृतक दलित युवक हरेश सोलंकी के चाचा शांतिलाल के बयान के मुताबिक, "पूरा परिवार हरेश भाई पर निर्भर था और उनकी हत्या कर दी गयी है। हरेश के पिता यशवंत भाई पहले सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर नौकरी करते थे। अब उनके पास कोई काम नहीं है। हरेश प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर की नौकरी करते थे। छोटे भाई संजय मज़दूरी करते हैं। एक साल पहले उन्हें सरकारी योजना के तहत मकान मिला थे, जिसके लोन की किश्त हरेश भरते थे।"
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अभयम आफिसर भाविका बेन नवजीभाई ने हरेश की मौत के बाद मीडिया को बताया, "हरेश सोलंकी ने कहा था कि उनकी पत्नी दो महीने से गर्भवती हैं, इसलिए अच्छा होगा आप मेरे ससुर और उसके परिवार को समझाने के लिए आएं। उन्हीं के कहने पर हम लोग हरेश सोलंकी के ससुराल गये। हम लोगों ने हरेश सोलंकी की पत्नी उर्मिला बहन, पिता दशरथ सिंह, भाई इंद्रजीत सिंह और परिवार की महिलाओं के साथ 15-20 मिनट बातचीत की। जिसके बाद उर्मिला के परिवार ने कहा कि उन्हें एक महीने का वक्त चाहिए। जब अभयम टीम उर्मिला के परिजनों से बातचीत कर वापस गाड़ी तक आ रही थी तो उसके पिता दशरथ सिंह भी वहां तक आए, जहां उन्होंने ड्राइवर के बगल में बैठे हरेश सोलंकी को देख लिया, तो बेकाबू हो गये। अपने परिजनों को बुलाकर कहने लगे कि यह दलित हमारी बेटी को भगाकर ले गया था, इसे तत्काल मौत के घाट उतार दो।'