आदिवासियों के कई गांव मोर्टार से उड़ाने की तैयारी में झारखंड सरकार

Update: 2018-04-18 08:32 GMT

पिछले रविवार 15 अप्रैल से पश्चिमी सिंहभूमि के कोईलकेरा एवं गुवा थाना क्षेत्र के सीमावर्ती इलाके का सांगाजाटा (कोल्हान जंगल) में पुलिस और भाकपा (माओवादी) के गुरिल्लों के बीच संघर्ष जारी है...

विशद कुमार की रिपोर्ट

इस संघर्ष में सबसे अहम बात यह है कि नक्सलियों के खिलाफ बीएसएफ के सात जवानों को भी मोर्टार के साथ उतारा गया है। मोर्टार काफी उंचाई तक मार करने की क्षमता वाला हथियार है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध में हुआ था।

बताया जा रहा है कि इस विध्वंसक हथियार का इस्तेमाल होने से पहाड़ो पर बसे आदिवासी गांव भी इसके चपेटे में आएंगे और आदिवासी जन मानस का काफी नुकसान होगा। आस-पास के कई गांवों के आदिवासियों की जान-माल की क्षति होगी और साथ में पहाड़ और जंगल दोनों बर्बाद होंगे।

बताते चलें कि नक्सलियों के खिलाफ इस अभियान में जिला पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा और झारखंड जगुआर के जवानों सहित बीएसएफ के सात जवानों जिन्हें चांपर से कोईलकेरा लाया गया है को भी मोर्चे पर लगाया गया है। दूसरी तरफ तकनीकी मदद के लिए सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है।

समझा जा रहा है कि भाकपा (माओवादी) के गुरिल्ले पहाड़ियों पर मोर्चा लिए हुए हैं। इस बावत एसपी मयूर पटेल ने मीडिया को बताया कि मोर्चे पर अभी भी जवान डटे हैं। नक्सली दस्ता को घेर कर रखा गया है।

लेकिन सेना के जवान मोर्चे पर नहीं हैं। मोर्चे पर डटे जवान ही लड़ने में सक्षम हैं। तकनीकी सपोर्ट के लिए सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। जो पहले भी लिया जाता रहा है।

हालांकि मोर्टार के इंस्तेमाल को लेकर मानवाधिकार संगठन काफी चिंतित है।

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