पिछले वर्ष पतंजलि प्लांट के गंदे पानी की वजह से 1500 लोगों को हुआ था डेंगू, दो कंपनियों का गंदा पानी और सीवर गंगा में बहाते हैं रामदेव
बाबा रामदेव का हरिद्वार में बना फूड प्लांट स्थानीय लोगों के लिए बड़ा खतरा, ग्रामीण हो रहे गंभीर बीमारियों के शिकार और पानी पीने वाले जानवरों की हो रही है मौत
हरिद्वार से अरुण कश्यप की रिपोर्ट
गंगा को निर्मल रखने के लिए मोदी और उनके मंत्रियों के साथ कसम खाने वाले बाबा रामदेव की हकीकत सामने आने लगी है। अब साफ होता जा रहा है कि रामदेव के 'स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ' का असल मकसद क्या है? देशवासियों को आकर्षित करने वाले स्वामी रामदेव की कथनी और करनी में कितना अंतर है।
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर क्षेत्र के पदार्था इलाके में स्वामी रामदेव के 'पतंजलि फूड प्लांट' की एक यूनिट है। इस यूनिट के कारण पूरे क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है। पतंजलि के प्लांट से लगभग 40 गांवों के किसानों और ग्रामीणों का जीना बेहाल हो गया है। इनमें गोविंदगढ़, फूलगढ़, चाणचक, नसीरपुर कला, नसीरपुर खुर्द, गुज्जर बस्ती कुन्हारी, जैतपुर, मुंडाखेड़ा सुल्तानपुर आदि गांव पीड़ित हैं।
बहादराबाद के पूर्व ब्लाॅक प्रमुख आदित्य कुमार के मुताबिक पदार्था से होता हुआ एक प्राकृतिक जलस्रोत बहता है, जिसे स्थानीय लोग बेगम नाला कहते हैं। क्षेत्र के किसान अपने खेतों की सिंचाई से लेकर पेयजल के लिए काफी हद तक इसी पर निर्भर थे। इसी स्रोत की वजह से पूरे क्षेत्र के भूमिगत जल का स्तर भी बहुत ऊंचा है।
जबसे बाबा रामदेव के पतंजलि फूड प्लांट से निकलने वाला दूषित जल इस साफ जल के स्रोत में छोड़ा जाने लगा है, तबसे स्थिति एकदम विपरीत और भयावह हो गई है। दूषित जल पीने से ग्रामीणों के पशु मरने लगे हैं। पूरा इलाका दुर्गंध क्षेत्र में परिवर्तित हो गया है। ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए जब संडे पोस्ट अखबार की टीम पदार्था से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर स्थित फूलगढ़ में पहुंची तो इस समस्या का सही आंकलन हो पाया।
ग्रामीण राजवीर चौहान की मानें तो बाबा रामदेव के प्लांट से निकलने वाले दूषित जल के कारण उनकी फसलों का काला अध्याय शुरू हो गया है। नलकूप से भी जो पानी निकलता है, वह पूरी तरह दूषित होता है जिस कारण फसलों में पीलिया रोग पनप जाता है। इन दिनों गन्ने और गेहूं की पत्तियां भी काली पड़ गई हैं। यह हम किसानों के भविष्य के लिए बहुत बुरे संकेत हैं।
पानी में इतना जहर है कि जो जाता है मर जाता है
गांव में घुसते ही इतनी बदबू आती है कि नाक पर रूमाल रखना पड़ा। इस भयंकर दुर्गंध का कारण भी रामदेव की कंपनी पतंजति द्वारा छोड़ जाने वाला दूषित जल ही है। पूरा क्षेत्र इस दुर्गंध से बदहाल है। इस गांव में कई तरह की बीमारियों ने अपना घर कर लिया है।
ग्रामीण सोनू ने बताया कि ‘इस दूषित जल ने हमारा जीना मुश्किल कर दिया है। खुद मेरे करीब दर्जन भर पालतू पशु इसके कारण मर गए। यह जल इतना विषैला है कि इसने बेगम नाले में रहने वाले जलीय जीवों जैसे मछलियां, कछुए आदि को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। वर्तमान समय में एक भी जीव इस नाले में नहीं मिलेगा। अगर कीट पतंगें भी इस दूषित जल के संपर्क में आ जाते हैं तो वह भी नहीं बच पाते। पिछले दिनों पड़ोस से करीब आठ-दस सूअर के बच्चे इस नाले में घुस गये जिस कारण दो दिन में ही उन सब की मौत हो गई।’
गंगा में गिरता है रामदेव की कंपनी का गंदा पानी
बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। बाबा रामदेव के प्लांट का दूषित जल पीपली से लक्सर होता हुआ सीधा गंगा में चला जाता है। यह गंगा को भी दूषित करता है। बाबा रामदेव खुद को संत और संन्यासी कहते हैं। वह गंगा की सफाई और संरक्षण के भी पक्षधर हैं। इसके बावजूद अपने प्लांट का गंदा और रासायनिक पानी बेगम नाले से होते हुए गंगा में डाल रहे हैं। जब वह स्वयं गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं तो फिर सफाई की बात करना बेमानी ही है।
रामदेव भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी हैं। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के पहले ही गंगा को मां कहकर उसकी सफाई का जिम्मा अपने कंधों पर लिया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने गंगा मंत्रालय अलग से बनाया। इसके बावजूद रामदेव गंगा को मैली कर रहे हैं।
गोविंदगढ़ के ग्रामीण कमल चौहान बताते हैं कि गंगा तो दूर है। बेगम नाले में पानी का प्राकृतिक स्रोत है। पहले हम सब लोग यहां आते थे। हमारे पशु भी यहीं पानी पिया करते थे। त्योहारों पर तो पूरा गांव यहां स्नान करता था पर अब यह जगह पूरी तरह बदबूदार नाले में बदल गई है। इससे हम पर क्या बीतती है, यह केवल हम जानते हैं। यदि किसान इस स्रोत से अपने खेतों की सिंचाई करते हैं तो उनके खेत बदबू के भंडार बन जाते हैं। स्थिति बेहद विकट उस समय हो गई जब गांवों के हैंडपंप भी दूषित जल देने लगे।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी मानता है पतंजलि को जिम्मेदार
इस बात को खुद पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रभारी पीके जोशी कबूलते हैं। उन्होंने आसपास के इलाकों का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि इस क्षेत्र के हैंडपंपों से दूषित जल निकल रहा है। कोई और विकल्प न होने की वजह से लोगों को यही दूषित जल पीने को विवश होना पड़ रहा है। इस जल के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कई तरह की बीमारियों ने पूरे क्षेत्र में पैर पसार लिए हैं।
गोविंदगढ़ के ही किसान राजबीर चौहान ने बताया, ‘पिछले कुछ समय से हमारे उन पशुओं की मौत होने लगी है जो इस बेगम नाले का पानी पीते हैं। इससे इलाके के किसानों की आर्थिकी बिगड़ती जा रही है। इसके लिए पूरी तरह से बाबा रामदेव का यह फूड प्लांट दोषी है। इसके दूषित जल ने हमारा जीवन नरक बना दिया है।’
बहुत शातिरी से छोड़ा जाता है गंदा पानी
ग्रामीणों का कहना है कि दूषित जल को अंडर ग्राउंड पाइप लाइनों के माध्यम से बड़ी चतुराई के साथ प्लांट से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर बेगम नाले में छोड़ दिया गया है। जिससे करीब 40 गांवों के लोगों का जीवन दूभर हो गया है। इसकी शिकायत हम मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी कर चुके हैं।
पदार्था के ग्राम प्रधान मोहम्मद नजाकत अंसारी दूषित जल से प्रभावित हो रहे गांव के बारे में कहते हैं, हम लोगों ने जिलाधिकारी, मुख्यमंत्री, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी तक से शिकायत की, पर अभी तक हमारी कहीं सुनवाई नहीं हुई। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम जब आती है तब दो दिन के लिए यह गंदा पानी रोक लिया जाता है। उसके बाद ज्यों का त्यों फिर बहने को छोड़ दिया जाता है।
प्रदूषण विभाग कर रहा जांच
प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए शिकायती पत्र के बाद उत्तराखण्ड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, देहरादून ने क्षेत्रीय प्रभारी पीके जोशी को इसकी जांच करने का आदेश दिया। पीके जोशी कहते हैं, मौके पर जाकर जांच की गई है। यह समस्या जहां की है, वह क्षेत्र पदार्था से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। पतंजलि फूड प्लांट से निकला सीवरेज का जल बेगम नाले में छोड़ा जा रहा है। हमने अपने उच्चाधिकारियों को दी गई रिपोर्ट में कहा है कि इस जल को बंद कराया जाना चाहिए। जल जमा होने के कारण दूषित हो रहा है।
पीके जोशी के अनुसार पदार्था स्थित हर्बल एवं फूड पार्क, पतंजलि आयुर्वेदिक लिमिटेड यूनिट -3 पूरे क्षेत्र में प्रदूषण फैला रही है। बाबा रामदेव का यह प्लांट बेगम नाले को प्रदूषित कर रहा है। पदार्था पंचायत के ग्राम प्रधान मोहम्मद नजाकत अंसारी कहते हैं कि प्लांट के गंदे पानी की वजह से डेंगू-मलेरिया और चर्म रोग जैसे भयंकर रोग पूरे गांव में फैल गए हैं। गांव के प्रत्येक व्यक्ति को इस समय चर्मरोग है।
कंपनी के गंदे पानी की वजह से पूरा गांव रहा डेंगू का मरीज
पिछले साल गांव के प्रत्येक घर से कोई न कोई डेंगू से पीड़ित था। कुल मिलाकर लगभग 1500 लोग डेंगू से पीड़ित थे, जिसका कारण बाबा रामदेव के प्लांट से निकलने वाला गंदा पानी है। शिकायत के बाद अधिकारियों ने जांच भी की, मगर कार्यवाही कुछ नहीं हुई। क्षेत्र के लोग नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
वहीं पतंजलि फूड के निदेशक रामभरत तो बेशर्मी से बजाय प्रदूषण की बात को स्वीकारने के कहते हैं, हमारे प्लांट से जो जल निकलता है उसको ट्रीट करके ही छोड़ा जाता है। भविष्य में हम अपने एसटीपी को और ज्यादा विकसित करेंगे, ताकि ये जल बाहर छोड़ा ही न जाए।
(युवा पत्रकार अरुण कश्यप संडे पोस्ट में संवाददाता हैं, यह संपादित रिपोर्ट वहीं से साभार।)