शासन—प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल, हर साल सैकड़ों लोगों की होती है रेलवे ट्रैक पार करते हुए मौत...
हापुड़। ट्रेन से होने वाले हादसे तो जैसे रोजमर्रा की घटनाओं की तरह हो गए हैं। कभी कहीं ट्रेन से कटकर किसी के मरने की खबर होती है, तो कहीं ट्रेन के पटरी से फिसलने के कारण जन—धन के बड़े नुकसान की खबर।
ताजा मामले में 6 लोगों के ट्रेन से कटकर मौत हो गई है, वहीं एक गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। उत्तर-प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा में 6 लोगों की ट्रेन से कटकर उस समय मौत हो गई, जब वे रेलवे लाईन पार कर रहे थे। पांच की मौत मौके पर ही गई थी, जबकि एक की उपचार के दौरान मौत हुई।
घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंच गए, और ट्रैक को घेरकर हंगामा शुरू कर दिया। बाद में जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो भीड़ को शांत कराया गया।
यह हादसा उत्तर प्रदेश के पिलखुवा कोतवाली के सद्दिकपुरा स्टेशन के पास हुआ। रेलवे लाइन पार करते हुए ट्रेन के इंजन से कटकर इन 6 की मौत हुई। जब यह हादसा हुई ये सभी लोग पटरी पर बैठे थे हुए थे। पुलिस ने शुरुआती छानबीन में कहा है कि शायद ये लोग रेलवे ट्रैक पर बैठकर शराब पी रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दिल्ली से फ़ैजाबाद जाने वाली पद्मावत एक्सप्रेस पिलखुवा में लगभग रात साढ़े नौ बजे कुछ देर के लिए रुकी और ट्रेन में से कुछ यात्री उतरे। जब ट्रेन रूकी थी तभी कुछ यात्री ट्रेन से उतरकर पटरी पार करने लगे। उसी समय दूसरी तरफ से आ रही ट्रेन की चपेट में आने से इन लोगों की मौत हो गई।
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सवाल यह है कि हर साल जब हमारे देश में ट्रेन में बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है तो शासन—प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा क्यों नहीं करता। जब ऐसी घटनाएं घट जाती हैं तो उसके बाद इन पर विमर्श शुरू हो जाता है, फिर चीजें उसी ढर्रे पर आ जाती हैं।
जीआरपी मुरादाबाद के एसपी एससी दुबे कहते हैं, सात लोग पटरी पार करने की कोशिश कर रहे थे। तभी सामने से ट्रेन आ गई। यह देखकर लोग पीछे लौटने, मगर पीछे की पटरी पर आ रहे रेलवे इंजन को नहीं देख पाए, जिसकी चपेट में आने से 6 की मौत हो गई, जबकि 1 की हालत गंभीर बनी हुई है।
मरने वालों की पहचान सलीम, अजय, आरिफ, समीर, आकाश और राहुल के रूप में की गई है।
गौरतलब है कि हमारे देश में पिछले 10 वर्षों में 1394 ट्रेन हादसे या दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें से 51 फीसदी यानी 708 दुर्घटनाएं, ट्रेनों के पटरी से उतरने के कारण हुईं। पटरी से उतरने के कारण 10 वर्षों में 458 यात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि पटरी पार करने के दौरान भी बड़ी संख्या में लोग मरते हैं।