अमानवीयता : गलती छिपाने के लिए डॉक्टरों ने काटा नवजात शिशु का लिंग, बच्चे की मौत

Update: 2018-04-25 21:38 GMT

चोरी—छिपे तरीके से भ्रूण की लिंग जांच करने वाले दो डॉक्टरों ने मिलकर एक नवजात शिशु का लिंग काटकर उसकी ‘हत्या’ कर दी। इटखोरी थाना ने इनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है, पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है...

रांची। अमानवीयता की एक से एक ऐसी वीभत्स घटनाएं रोज—ब—रोज इस तरह सामने आ रही हैं कि इंसानियत का नामोनिशां होने पर शक पैदा होता है। आश्चर्य तो तब और ज्यादा होता है जब भगवान कहे जाने वाले पेशे से ताल्लुक डॉक्टर अमानवीयता की हद से भी गुजर जाएं। रांची में तो डॉक्टरों ने तो अपनी गलती छुपाने के लिए नवजात शिशु का लिंग ही काट दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई।

झारखंड की राजधानी रांची से करीब 140 किलोमीटर दूर स्थित चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड में डॉक्टरों की एक ऐसी अमानवीयता सामने आई है, जिससे अमानवीयता का बेहद क्रूर चेहरा सामने आया है। डॉक्टरी पेशा तो छोड़िए जिसे कि लोग भगवान समझते हैं, इन डॉक्टरों के एक इंसान होने से भी शर्म आती है।

प्रभात खबर में छपी एक खबर के मुताबिक चोरी—छिपे तरीके से भ्रूण की लिंग जांच करने वाले दो डॉक्टरों ने मिलकर एक नवजात शिशु का लिंग काटकर उसकी ‘हत्या’ कर दी। इटखोरी थाना ने इनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है, पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है।

जानकारी के मुताबिक बलिया गांव की गुड्डी देवी जब 8 माह के गर्भ से थी, तब उसे पेट में दर्द हुआ। वह इस क्लिनिक में अपना इलाज कराने आयी। यहां के डॉक्टरों अरुण और अनुज ने गर्भवती का अल्ट्रासाउंड किया और उसे बताया कि तुम्हारे पेट में लड़की पल रही है।

मगर जब गुड्डी ने बच्चे को जन्म दिया तो लड़का पैदा हुआ। चूंकि इन झोलाछाप डॉक्टरों ने कहा था कि गर्भ में पल रहा बच्चा लड़की है, तो नवजात के परिजन उनकी बदनामी न कर दें, जिससे कि उनकी और क्लिनिक की बदनामी होगी, उन्होंने नवजात शिशु का लिंग ही काट दिया। लिंग काटने के कारण बच्चे की मौत हो गई।

स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने चतरा में सिविल सर्जन को इन झोलाछाप डॉक्टरों पर एफआइआर दर्ज कराने और पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। शुरुआती कार्रवाई में पुलिस ने अवैध रूप से संचालित नर्सिंग होम सील कर दिया है, जहां ये लोग चोरी—छिपे अल्ट्रासाउंड कर लिंग जांच करते थे।

अमानवीयता की पराकाष्ठा है कि सिर्फ अपने फायदे और बदनामी के डर से झोलाछाप डॉक्टरों अनुज कुमार और अरुण कुमार ने अपनी गलती छुपाने के लिए एक ऐसे शिशु की जान ले ली, जिसने इस दुनिया में ठीक से आंखें तक नहीं खोली थी। दरअसल, अवैध रूप से क्लिनिक चला रहे ये झोलाछाप डॉक्टर गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड भी करते थे। पैसे के लिए ये दोनों यह भी बता देते थे कि गर्भ में पल रहा शिशु बेटा है या बेटी।

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