सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों ने उठाया अतरौली मुठभेड़ पर सवाल, निष्पक्ष जांच के लिए लिखा डीजीपी को पत्र

Update: 2018-09-28 12:02 GMT

पुलिसिया मुठभेड़ में मारे गए मुस्तकीम की मां ने कहा जब पुलिस मेरे बेटे को 16 सितंबर को ही उठाकर ले जा चुकी थी तो उसे मुठभेड़ में कैसे मारा, गिरफ्तारी से पहले भी मुस्तकीम और नौशाद पूछ रहे थे पुलिस से अपना जुर्म....

अलीगढ़, जनज्वार। रिहाई मंच और एमयू छात्र नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने अलीगढ़ के अतरौली में मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा मारे गए मुस्तकीम और नौशाद के परिजनों से मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने सफेदापुर में मृतक साधू और इस मामले में गिरफ्तार किये गए डॉ यासीन और इरफान के परिजनों से भी मुलाकात की।

साधू रूप सिंह के भाई गिरिराज सिंह ने न सिर्फ हत्या पर सवाल उठाएए बल्कि उनके भाई की हत्या के नाम पर हुई पुलिसिया मुठभेड़ पर भी सवाल उठाया। पुलिस हत्या का जो समय बता रही है उस समय उनके बड़े भाई बाबा जी से मिलकर आये थे। वहीं मुठभेड़ में मारने के पुलिसिया दावे पर उन्होंने कहा कि आज तक पुलिस ने मोबाइल और बैग की बरामदगी नहीं की है और वे लोग क्यों मारेंगे, वो बेगुनाह हैं।

साधू रूप सिंह के भाई का कहना है कि गांव के लोगों की संलिप्तता के बगैर यह घटना नहीं हो सकती। इसके पहले भी कई बार मंदिर में चोरी हो चुकी है। एक बार 35 हजार रुपए खाना बनाने का बर्तन, एक बार 60 हजार रुपए, मंदिर का एम्प्लीफायर और अबकी बार 90 हजार रुपए के करीब। सुबह जब बड़े भाई दूध लेकर पहुंचे तो देखा कि बाबा की हत्या हो गई थी। हालत को देखते हुए उन्हें लगता है कि चोर मंदिर में घुसे और बाबा जाग गए। पहचान लिए जाने के डर से चोरों ने उनकी हत्या कर दी और ट्यूबवेल पर पहुंचे होंगे।

उसी दौरान जंगली सूअर को भगाने के लिए दवा डालने गए दंपत्ति की टार्च उन पर पड़ गई। इस बार भी उन्होंने पहचान लिए जाने के डर से दंपत्ति की हत्या कर दी होगी। इससे लगता है कि वे गांव के ही रहे होंगे। जब वे मामले को लेकर पुलिस के पास गए तो पुलिस ने उन्हें एक वीडियो दिखाया जिसमें एक व्यक्ति कह रहा है कि उसने बाबा को मारा और अंतिम गाड़ी पकड़कर चला गया। अंतिम गाड़ी 8 बजे की है। ऐसे में यह कैसे हो सकता है जबकि मेरे बड़े भाई 8 बजे बाबा से मिलकर आए थे।

प्रतिनिधि मंडल ने अतरौली के नई बस्ती भैंसपाड़ा में पुलिसिया मुठभेड़ में मारे गए मुस्तकीम और नौशाद के परिजनों से भी मुलाकात की। मुस्तकीम की मां शबाना ने बताया कि उनके बच्चे निर्दोष थे। 16 सितंबर को ही पुलिस उन्हें उठाकर ले गई थी। पुलिस जब मारते-पीटते ले जा रही थी तो दोनों कह रहे थे कि हमारा क्या गुनाह है। मुस्तकीम ने भागने की कोशिश की तो उसे और बेरहमी से पुलिस वालों ने पीटा। उस रात और उसके बाद 25 सितंबर को पुलिस आई और उनके फरार होने की बात कही।

इस पर उन्होंने कहा कि जब पुलिस उसे ले गई थी तो वो फरार कैसे हो गए। मुस्तकीम के भाई सलमान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। शबाना के मुताबिक उसी दिन से उनके पति इरफान का भी कोई अता-पता नहीं है। नौशाद की मां शाहीन ने बताया कि बच्चों को मारने के बाद पुलिस वाले उनके साथ रफीकन और शबाना को थाने ले गए थे। बड़े अफसरों की मौजूदगी में उनसे सादे और लिखे कागजों पर अंगूठा लगवाया और देर रात छोड़ दिया गया। उनके बच्चे और बहू घर में अकेले थे और पुलिस वहां कमरे तक में घुसी हुई थी और किसी को आने-जाने नहीं दिया जा रहा था।

घर पर केवल महिला और बच्चों के होने के बावजूद महिला पुलिस नहीं थी। 24 घंटे पुरुष पुलिसवाले उनके घर पर मौजूद रहते हैं। उन्होंने बार-बार इस बात को कहा कि उन्हें पुलिस पूछताछ के नाम पर लगातार परेशान कर रही है और उन्हें घर के बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। पुलिस लगातार भय का माहौल बनाए हुए है। वहीं पहले से ही गरीबी की मार झेल रहे परिवार पर पुलिसिया दहशत का साया है। उन्हें भूखे पेट रहना पड़ रहा है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं और मुस्तकीम की मां, दादी और मुस्तकीम की पत्नी है।

उन्हें अंदेशा है कि जिस तरह से मानसिक रूप से विक्षिप्त नफीस को पुलिस ने हिरासत में रखा है कहीं नौशाद के पिता इरफान को भी पुलिस हिरासत में न रखा गया हो। ऐसे में उनका परिवार मोहल्ले वालों की मदद पर ही निर्भर है। मृतकों के परिवार ने इस मामले में इंसाफ की गुहार लगाई है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

रिहाई मंच और एएमयू छात्र नेता मृतकों के परिजनों से बात करते हुए

प्रतिनिधि मंडल ने डॉ यासीन और इरफान के परिवार से भी मुलाकात की। डॉ यासीन और इरफान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। डॉक्टर यासीन के परिवार में उनकी पत्नी हिना नाज की तबीयत बेहद खराब है, वहीं इरफान की पत्नी का भी बुरा हाल है।

इस प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच के अवधेश यादव, रविश आलम, शाहरुख अहमद और एएमयू छात्र नेता इमरान खान, अहमद मुस्तफा, आमिर, सोहेल मसर्रत, शरजील उस्मानी, अयान रंगरेज, राजा, आरिश अराफात और मोहम्मद नासिफ, राजीव यादव समेत कुछ अन्य लोग भी शामिल थे।

इसी बाबत रिहाई मंच ने तमाम सवाल उठाते हुए पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश को 27 सितंबर को एक पत्र लिखा है, जिसकी प्रति मुख्य न्यायाधीश महोदय सर्वोच्च न्यायालय भारत नई दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली और राज्य मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गई है।

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