अल्मोड़ा में छात्रसंघ अध्यक्ष की तबीयत बिगड़ने पर हरकत में आया कॉलेज प्रशासन, आश्वासन के बाद टूटा अनशन
24 सितंबर को कॉलेज प्रशासन की तरफ से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आश्वस्त किया गया है कि उनकी मांगें मान ली जायेंगी और जूस पिलाकर अनशन खत्म करवा दिया गया, मगर छात्रसंघ अध्यक्ष ने चेताया नहीं मानी मांगे तो दोबारा करेंगे आंदोलन...
अल्मोड़ा के शोबन सिंह जीना कैम्पस से विमला की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तराखण्ड को पृथक राज्य बने लगभग दो दशक पूरे हो चुके हैं, मगर जनता के मूलभूत सवालों, शिक्षा, रोजगार, पलायन समेत तमाम मुद्दों को लेकर गठित हुए इस राज्य के हालात संयुक्त राज्य से भी बदतर हैं। राज्य के छात्रों को स्कूली और कालेज लेबल की बेहतरीन शिक्षा और सुविधायें देने के बजाय वह अपनी रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं।
ऐसी ही कुछ स्थितियों से जूझ रहा है अल्मोड़ा स्थित शोबन सिंह जीना महाविद्यालय। यहां हाल में 9 सितंबर को नई छात्रसंघ कमेटी चुनी गयी है, जो चुने जाने के 12 दिन बाद ही 21 सितंबर से छात्रों की मूलभूत जरूरतों को लेकर धरने पर बैठ गयी, हालांकि कल 24 सितंबर को विवि प्रशासन की तरफ से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आश्वस्त किया गया है कि उनकी मांगें मान ली जायेंगी और जूस पिलाकर अनशन खत्म करवा दिया गया है।
नवगठित छात्रसंघ कमेटी महाविद्यालय प्रशासन से मांग कर रही थी कि अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट के सभी स्पेशल बैक पेपरों को समय पर कराये। नई कक्षाओं में प्रवेश को लेकर बरती जा रही तानाशाही खत्म हो। मुख्य परिसर में पानी की टंकी, गार्ड की व्यवस्था, कक्षाओं में पंखे, लाइट, फर्नीचर, परिसर में कूड़ेदान, एटीएम की व्यवस्था की जाये। साथ ही उन्हें आनलाइन फीस भरने की सुविधा और डिजिटल आईकार्ड मुहैया कराये जायें।
इन मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे नवनिर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती का कहना है कि हमारी इन मामूली और जरूरी मांगों की तरफ भी मैनेजमेंट कोई ध्यान नहीं दे रहा है। 24 सितंबर को हड़ताल पर बैठे दीपक उप्रेती अचानक बेहोश हो गये, मगर कैंपस के अल्मोड़ा मुख्य शहर में होने के बावजूद उनके लिए काफी देर तक डॉक्टर की व्यवस्था नहीं हो पायी।
इन तमाम सवालों को लेकर जब जनज्वार ने कॉलेज प्रशासन से बात करने की कोशिश की, मगर उसने चुप्पी साधी हुई थी, मगर बाद में परिसर निदेशक प्रो. आरएस पाथनी ने आंदोलित छात्रों और छात्रसंघ अध्यक्ष को आश्वस्त किया कि उनकी कुछ मांगों को पूरा किया जा रहा है और कुछ मांगों को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
कैंपस में अध्ययनरत छात्रों का कहना है इस आन्दोलन की वजह से हमारी कक्षाएं नियमित तौर पर नहीं चल पा रही हैं। धरने को समर्थन देने आईं बीएससी की छात्रा पूजा कहती हैं, हमारी फीस आनलाइन जमा होनी चाहिए, किताबें बहुत पुरानी हैं, जिनमें सलेबल बहुत कम है, पीने के पानी की हमारे लिए कोई व्यवस्था है। जहां पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान का नगाड़ा बजाया जा रहा है, हमारे लिए टॉयलेट तक की प्रॉपर व्यवस्था नहीं है, जो टॉयलेट बने हैं वह बहुत पुराने और इतने गंदे हैं कि उनके अंदर बैठा तक नहीं जा सकता।
हड़ताल खत्म करने के बाद भी छात्रसंघ ने कालेज प्रशासन को चेताया है कि अगर महाविद्यालय प्रशासन हमारी मूलभूत जरूरतों को पूरा कर दे तो हमें किसी तरह की भूख हड़ताल या धरना प्रर्दशन की आवश्यकता नहीं होगी, मगर हमारी मांगों की तरफ कालेज प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो हम इस आंदोलन को आगे तक ले जायेंगे और हड़ताल जारी रखेंगे।
छात्रसंघ अध्यक्ष दीपक उप्रेती कहते हैं, एसएसजे परिसर के छात्र लंबे समय से बैक परीक्षाएं कराने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन विवि प्रशासन द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। बैक परीक्षाएं नहीं होने के कारण छात्र अगली कक्षाओं में प्रवेश नहीं ले पा रहे, जिस कारण उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इस तरह की हरकतों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर अभी भी 1 महीने के अंदर विवि प्रशासन ने हमारी मांगें नहीं मानीं तो हम दोबारा अनशन करेंगे।
भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को समर्थन देने के लिए धरनास्थल पर छात्रसंघ उपाध्यक्ष अरविंद बोहरा, सचिव नवीन कनवाल, उपसचिव दीपक तिवारी, कमल नेगी, संजू सिंह, छात्रा उपाध्यक्ष मेघा डसीला, अमन बनौला, गौरव तिवारी, शुभम जोशी, मोहित बिष्ट, पूर्व विवि प्रतिनिधि ललित बिष्ट, विकास कन्नौजिया, प्रीति आर्या, रोहित, अमन बिष्ट, हिमानी डसीला समेत तमाम छात्र मौजूद रहे।