पैदल जा रहे मजदूर फंस गए 1600 फीट गहरी खाई में, पुलिस से पिटने के डर से छोड़ा था हाइवे का रास्ता
रहने-खाने की व्यवस्था न होने के कारण यह तीनों मजदूर अपने गांव मध्यप्रदेश जाने का मन बना लिए और गुरुवार 23 अप्रैल की सुबह ही भिवंडी से निकले थे, तीनों मजदूर ऊटं घाटी में फंस गए...
भिवंडी से सुरेश यादव की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। पुलिस की नजर से बचने के फिराक मे 1600 फीट गहरी घाटी में तीन मजदूर फंस गए। महाराष्ट्र के भिवंडी के वडपे गांव के वेयरहाउस मे काम करने वाले तीनों मजदूर बेरोजगारी से परेशान थे। रहने-खाने की व्यवस्था न होने के कारण यह तीनों मजदूर अपने गांव मध्यप्रदेश जाने का मन बना लिए और गुरुवार 23 अप्रैल की सुबह ही भिवंडी से निकल पड़े।
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पुलिस की नजर से बचने के लिए नरेंद्र चौधरी, राजेश कौल और फूलचंद रावत ने मुबंई नाशिक हाईवे के बजाय जंगल और पहाड़ी रास्ते से जाना ही बेहतर समझा। लतीफ वाडी और कासारा घाट पुलिस चौकी से बचने के लिए उन्होंने चिन्तामन वाडी नामक पहाड़ से होकर गुजरते हुए लगभग 13 किलोमीटर का रास्ता तय किया और दोपहर 3 बजे तक उटं घाटी पहुंच गए और रास्ता न होने के कारण रात 11 बजे तक 1600 फीट गहरे ऊटं घाटी मे भटकते रहे। तीनों जंगल और घाटी से निकलने का रास्ता ढूंढते परेशान हो गए तब उन्हें समझ मे आया कि वह तीनो फंस चुके है।
रात 11 बजे और सामने से आ रही घबराहट भरी बेचैन कर देने वाली आवाज से पुलिस भी बेचैन हो गई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कसारा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी दत्तू भोये, पीएसआइ महाले और खतीब की टीम ने आपदा प्रबंधन टीम, शहापुर पुलिस और पुलिस के व्हट्सएप्प ग्रुप को मैसेज भेज फंसे लोगो की खोजबीन मे लग गए। घनघोर अंधेरे के साथ साथ दुर्गम पहाड़ी होने के कारण तीनो मजदूर का पता नहीं चल पा रहा था।
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पुलिस ने आपदा प्रबंधन टीम और घाट देवी गाव के रहवासी के सहयोग से फंसे लोगो का काम शुरू किया गया। 1600 फीट गहरी घाटी में फंसे हुए लोगो को आठ घंटे की कडी मेहनत के बाद बाहर लाया गया और पुलिस के हवाले कर दिया गया। बता दें कि गांव पलायन कर रहे मजदूर को पुलिस समझा बुझाकर वापस भेज रही है। लोग जिस पुलिस की नजरों से बच रहे हैं, यह इत्तिफाक ही है कि जिनकी नजर से बचने की कोशिश की उन्ही लोग मददगार साबित हुए।