विविधता-एकता के लिए सम्मान दिखाए भारत, अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस्तेमाल हो रही अभद्र भाषा : संयुक्त राष्ट्र

Update: 2020-05-20 10:34 GMT

संयुक्त राष्ट्र संघ में नरसंहार की रोकथाम के लिए विशेष सलाहकार एडामा डेंग ने कहा कि वह 'भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ती अभद्र भाषा और भेदभाव की रिपोर्टों से चिंतित है...

जनज्वार ब्यूरो। समावेशी और शांतिपूर्ण समाजों को बढ़ावा देने के भारत के दीर्घकालिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार 19 मई को नागरिकता संशोधन अधिनियम को अपनाने के बाद देश में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ 'घृणा फैलाने वाले भाषण और भेदभाव' की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की।

रसंहार की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष सलाहकार और अंडर सेक्रेटरी जनरल एडामा डेंग ने हालांकि कोविड 19 महामारी के मद्देनजर एकता और भाईचारे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का स्वागत किया।

दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को अपनाने के बाद से मंगलवार को मीडिया को दिए एक नोट में डेंग ने कहा कि वह 'भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बढ़ती अभद्र भाषा और भेदभाव की रिपोर्टों से चिंतित है।'

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भारत सरकार ने कहा है कि सीएए देश का आंतरिक मामला है और इस बात पर जोर दिया है कि इसका लक्ष्य पड़ोसी देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की रक्षा करना है।

सीएए को 10 जनवरी को अधिसूचित किया गया था, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 तक इन देशों में रह रहे हैं।

Full View href="https://www.outlookindia.com/newsscroll/un-official-says-concerned-over-hate-speech-and-discrimination-against-minorities-in-india/1839995">बरों के मुताबिक डेंग ने कहा, अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए अधिनियम का उद्देश्य सराहनीय है, लेकिन चिंतित करने वाली बात यह है कि यह सुरक्षा मुसलमानों सहित सभी समूहों के लिए विस्तारित नहीं है। यह विशेष रूप से गैर-भेदभाव पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत भारत के दायित्वों के विपरीत है।

विशेष सलाहकार ने 'भारत के उस लंबे समय से स्थायी और अच्छी तरह से समावेशी और शांतिपूर्ण समाज को बढ़ावा देने के इतिहास को मान्यता दी है, जो समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों के संबंध में है।'

न्होंने हालांकि प्रधानमंत्री मोदी के उस हालिया बयान का भी स्वागत किया कि जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड-19 महामारी जाति, धर्म, रंग, जाति, नस्ल, भाषा की सीमा को नहीं पहचाना, हमें इसका सामना करने के लिए एकता और भाईचारे को प्रमुखता देनी होगी।

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डेंग ने भारत सरकार को इस बात के लिए भी प्रोत्साहित किया कि राष्ट्रीय कानून और गैर भेदभाव से संबंदित नीतियां अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करें और विविधता व एकता के लिए सम्मान दिखाने के लिए घृणा फैलाने वाले भाषण और भेदभाव के मुद्दे को एड्रेस करें।

Full View आगे दोहराया कि वे इन घटनाक्रमों को फॉलो करना जारी रखेंगे। डेंग ने घृणा फैलान वाले भाषणों का मुकाबला करने और उन्हें संबोधित करने की पहल का समर्थन करने के लिए तत्परता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अभद्र भाषा और दूसरों के अमानवीयता अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंड और मूल्यों के खिलाफ हैं।

न्होंने कहा कि कोविड-19 संकट द्वारा लाए गए इस असाधारण समय में यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि हम एक इंसान के रुप में एकजुट हों, विभाजन और नफरत की एकजुटता का प्रदर्शन करें। डेंग ने भारत के कुछ हिस्सों में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की रिपोर्टों पर भी चिंता व्यक्त की।

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