इस अफसर बिटिया ने संविधान को साक्षी मान गणतंत्र दिवस पर विवाह रचा कायम की मिसाल

Update: 2019-02-03 11:36 GMT

संविधान को साक्षी मान शादी करने वाली डिप्टी कलक्टर निशा बांगरे कहती हैं पुरुषवादी मानसिकता में ढलने के बजाय खुद स्वतंत्र होकर अपने भविष्य का निर्णय ले समाज के लिए प्रेरणा बनें बेटियां....

जनज्वार। समाज में ज्यादातर शादियां अनेक रीति—रिवाजों और दिखावे के साथ संपन्न होती हैं। हिंदू धर्म में तो अग्निकुंड के फेरे लेकर सार्थक मानी जाती हैं, मगर कुंडलियां ​मिलान में सारे गुण मिलने के बावजूद हजारों—हजार शादियां रोज टूटती हैं, बाद में दोनों पक्ष सालों तक कोर्ट के चक्कर लगाते रहते हैं। इससे इतर बिल्कुल अनोखे तरीके से शादी कर एक डिप्टी कलक्टर लड़की ने मिसाल कायम की है। डिप्टी कलक्टर निशा बांगरे ने संविधान को साक्षी मान गणतंत्र दिवस पर शादी की, जिसकी चारों तरफ चर्चे हैं।

मध्य प्रदेश के बालाघाट तहसील के किरनापुर के एक छोटे से ग्राम चिखला की रहने वाली निशा के परिजनों का शुरुआती जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा है। शिक्षक पिता की बिटिया निशा बांगरे अपने खानदान की पहल ऐसी लड़की हैं जिन्होंने इतनी उंची पढ़ाई कर डिप्टी कलक्टरका मुकाम हासिल किया है। डिप्टी कलक्टर बनने से पहले निशा इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद गुड़गांव में नौकरी भी कर चुकी हैं। पहली बार पीएससी की परीक्षा में वो डीएसपी के पद पर चुनी गईं और दूसरी बार उनका चयन सीधे डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ फिलहाल वो बैतूल में पोस्टेड हैं।

निशा बांगरे कहती हैं कि बचपन से ही उनका भारत के संविधान के प्रति अटूट विश्वास रहा है। संविधान को साक्षी मानकर विवाह रचाने के वजह बताते हुए वह कहती हैं कि समाज को एक संदेश देना चाहती हूं कि हजारों शादियां अनेक रीति—रिवाजों और अग्निकुंड के फेरे लेकर संपन्न होने के बावजूद टूट जाती हैं और दोनों परिवार सालों कोर्ट के चक्कर काटते रहते हैं, लड़के—लड़की का भविष्य तमाम परंपराएं निभाने के बावजूद अधर में लटक जाता है।

निशा बांगरे ने गणतंत्र दिवस पर अपने मित्र सुरेश अग्रवाल के साथ बैंकॉक में संविधान को साक्षी मानकर जीवन एक साथ गुजारने का संकल्प लिया। सामान्य परिवार से ताल्लुकात रखने वाली निशा कहती हैं, मेरे जीवन में संविधान की खास अहमियत है।मैं मानती हूं कि भारतीय संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है, जो अनेकता में एकता का संदेश देने के साथ सभी को बराबरी से रहने का हक देता है। यही कारण है कि मैंने अपने मित्र और गुड़गांव के सुरेश अग्रवाल के साथ गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत के संविधान को साक्षी मानकर बैंकॉक में विवाह रचाया।

निशा जब गुड़गांव में नौकरी कर रही थीं उसी दौरान वे सुरेश अग्रवाल के संपर्क में आईं और उनसे मित्रता हुई। पिछले दिनों दोनों के परिवार साथ में थाईलैंड घूमने गए और बौद्ध मंदिर में ही संविधान को साक्षी मान विवाह किया। दोनों ने संविधान को सामने रख एक दूसरे को वरमाला पहनाई।

निशा बांगरे कहती हैं, कि उनका मुख्य ध्येय यही है कि सभी वर्गो के लोग संविधान की रक्षा करें। लड़कियों को संदेश देते हुए वह कहती हैं कि पुरुषवादी मानसिकता में ढलने के बजाय खुद स्वतंत्र होकर अपने भविष्य का निर्णय लेकर समाज के लिए प्रेरणा बनें।

निशा खुश हैं कि उनके पति सुरेश अग्रवाल ने भी संविधान के प्रति अटूट विश्वास दिखाया और इसे साक्षी मानकर शादी का निर्णय लिया।

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