आखिरकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उत्तराखण्ड क्रिकेट मान्यता का मामला

Update: 2017-11-29 23:38 GMT

डेढ़ दशक में पहला अवसर जब किसी एसोसिएशन ने मान्यता के लिये खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट की मान्यता प्रकरण में हो रही देरी, क्रिकेट एसोसिएशनों की आपसी खींचतान, प्रदेश सरकार की उदासीनता और बीसीसीआई की हीलाहवाली से आजिज आ उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) ने सुप्रीम कोर्ट से लगायी गुहार...

दिल्ली/देहरादून, जनज्वार। उत्तराखण्ड क्रिकेट की जंग आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच गई। प्रदेश की एक क्रिकेट एसोसिसशन ने उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता मिलने में हो रही देरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की है।

आज 29 नवंबर को शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मामला बोर्ड आॅफ कंट्रोल फाॅर क्रिकेट इन इण्डिया (बीसीसीआई) की प्रशासानिक कमेटी को सौंप दिया है।

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को सत्रह वर्ष का लंबा अंतराल बीत जाने के बाद भी बीसीसीआई ने मान्यता प्रदान नहीं की है। पिछले डेढ़ दशक में यह पहला अवसर है जब किसी एसोसिएशन ने मान्यता के लिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

सुप्रीम कोर्ट के आॅर्डर की कॉपी

जनज्वार को मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट की मान्यता प्रकरण में हो रही देरी, क्रिकेट एसोसिएशनों की आपसी खींचतान, प्रदेश सरकार की उदासीनता और बीसीसीआई की हीलाहवाली से आजिज आकर उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन (यूसीए) के सचिव दिव्य नौटियाल ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी है। इस संबंध में यूसीए ने एक हस्तक्षेप याचिका (Intervention application 124996 of 2017 in Cricket Association of Bihar vs BCCI) सुप्रीम कोर्ट आफ इण्डिया में दाखिल की है।

हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करते हुये तीन जजों की बेंच चीफ जस्टिस आॅफ इण्डिया जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस ए.एम. खानविलकर एवं जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने मामला बीसीसीआई की प्रशासनिक कमेटी को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संस्था का पक्ष जाने—माने वकील सोली सोराब एवं सुमन ज्योति खेतान ने रखा।

गौरतलब है कि जस्टिस लोढा कमेटी की सिफारिशों के क्रम में बीसीसीआई ने जुलाई 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को पूर्ण सदस्यता देने के संबंध में रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट दाखिल करने के बाद लगभग डेढ़ वर्ष बीत चुका है। लेकिन बीसीसीआई ने इस बारे में कोई ठोस पहल या फैसला नहीं लिया है।

बताते चलें 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखण्ड नया राज्य बना था। 17 वर्ष का लंबा समय बीत जाने के बाद भी उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को बीसीसीआई ने मान्यता प्रदान नहीं की है। जिसके चलते राज्य के प्रतिभावन खिलाड़ी दूसरे राज्यों से खेलने को मजबूर हैं।

जबकि इस अवधि में बीसीसीआई उत्तराखण्ड राज्य के साथ अस्तित्व में आये कई प्रदेशों को मान्यता प्रदान कर चुका है। हाल ही में पुडुचेरी के मुख्यमंत्री की पहल पर बीसीसीआई ने पुंडुचेरी राज्य क्रिकेट को मान्यता प्रदान की है।

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