उत्तराखंड हाईकोर्ट का सरकार को आदेश- पेरेंट्स से मोटी फीस वसूलने वाले स्कूलों पर तुरंत करें कार्रवाई

Update: 2020-05-13 14:22 GMT

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि छात्रों द्वारा ट्यूशन का भुगतान स्वैच्छिक है, इसलिए निजी स्कूलों में से कोई भी ई-मेल या व्हाट्सएप संदेश या संचार के किसी भी रूप में अभिभावकों को ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए नहीं भेजेगा...

जनज्वार ब्यूरो। उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने निजी संस्थानों द्वारा ऑनलाइन क्लास के नाम पर अभिभावकों से जबरन मोटी फीस वसूली को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि जो ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जबरन अभिभावकों से फीस नहीं ली जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि जिन अभिभावकों को निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, उनकी शिकायत को निपटाने के लिए उत्तराखंड सरकार प्रत्येक जिले में जिला शिक्षा अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जिनके द्वारा शिकायतों का पता लगाया जा सके।

याचिकाकर्ता के वकील अजय वीर पुंडीर ने बताया कि जनहित याचिका देहरादून के जनक जपिंदर सिंह ने दायर की है, जिसमें उन्होंने यह मुद्दा उठाया था कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान कई स्कूल ऑनलाइन कक्षाओं के लिए भी अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में कई परिवारों के पास कंप्यूटर, स्मार्टफोन और उचित इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है।

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हाईकोर्ट ने मंगलवार को जारी अपने आदेश में कहा कि इस तरह की कोई भी शिकायत मिलने पर संबंधित नोडल अधिकारी बच्चों के ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए अभिभावक के साथ दुर्व्यवहार करने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करेंगे। हालांकि सरकार की ओर से 2 मई 2020 को जारी आदेश में स्पष्ट रुप से निर्धारित किया गया है कि ट्यूशन फीस का भुगतान स्वैच्छिक है।

'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जिन बच्चों पास ऑनलाइन पाठ्यक्रम तक पहुंच नहीं है, उन्हें ट्यूशन शुल्क का भुगतान करने के लिए नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने आगे कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि इन निजी संस्थानों द्वारा ऐसे तरीकों को अपनाया जा रहा है ताकि माता-पिता को ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा सके।

उत्तराखंड हाईकोर्ट

कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि चूंकि छात्रों द्वारा ट्यूशन का भुगतान स्वैच्छिक है, इसलिए निजी स्कूलों में से कोई भी ई-मेल या व्हाट्सएप संदेश या संचार के किसी भी रूप में अभिभावकों को ट्यूशन फीस का भुगतान करने के लिए नहीं भेजेगा।

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हाईकोर्ट ने स्कूली शिक्षा के सचिव को निर्देश दिया कि वे सभी जिला अधिकारियों से अपने-अपने जिलों में निजी स्कूलों की संख्या, जो ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करने वालों और ऐसे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों तक पहुंचने वाले छात्रों की संख्या के बारे में जानकारी लें। इन निजी स्कूलों में से प्रत्येक से जानकारी प्राप्त की जाएगी कि क्या उन छात्रों से भी ट्यूशन फीस वसूली जा रही है, जिनके पास स्कूलों द्वारा दिए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रम तक कोई पहुंच नहीं है और क्या इन स्कूलों ने ऐसे छात्रों से भी ट्यूशन फीस एकत्र की है।

Full View ने कहा कि यह जानकारी न केवल कक्षा 1 से 10 वीं कक्षा के छात्रों के लिए एकत्र की जाएगी, बल्कि उन बच्चों के संबंध में भी होगी जो उनके ऊपरी बालवाड़ी से गुजर रहे हैं। स्कूली शिक्षा के सचिव इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट इस अदालत में सुनवाई की अगली तारीख तक प्रस्तुत करेंगे।

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