चौराहे पर लगी दंगाइयों की तस्वीर में पूर्व IPS, वकील और कलाकार भी शामिल
योगी सरकार ने लखनऊ की सड़कों पर जगह-जगह लगाये CAA दंगाइयों की तस्वीरों वाले होर्डिंग्स, पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ़ जफर, 80 साल के वकील मोहम्मद शोएब और दीपक कबीर की फोटो भी शामिल
लखनऊ, जनज्वार। लखनऊ में सरकार ने सड़कों पर CAA दंगाइयों के होर्डिंग्स लगाये हैं, जिनसे CAA प्रदर्शन में दंगा फैलाने के जुर्म और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कारण वसूली की घोषणा सरकार पहले भी कर चुकी हैं। जिन लोगों की तस्वीरें दंगाई के बतौर होर्डिंग्स में लगी हैं, उनमें पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, एक्टिविस्ट सदफ़ जफर और दीपक कबीर भी शामिल हैं और सरकार का कहना है कि संपत्ति के नुकसान को वह इन लोगों से वसूलेगी।
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वहीं इस मसले पर दंगे के आरोपी बनाये गये पूर्व आईपीएस दारापुरी, दीपक कबीर और सदफ जफर का कहना है कि शासन-प्रशासन के पास उनके खिलाफ तोड़फोड़ का कोई सुबूत नहीं है। इसे लेकर वे अदालत में जाएंगे।
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सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी जिस पुलिस के डीआईजी थे, आज उसी ने उन्हें दंगाई बताकर शहर में उनकी होर्डिंग्स जारी किये हैं। 76 वर्षीय दारापुरी के लिए होर्डिंग में लिखा गया है कि उन्होंने 19 दिसंबर को तोड़फोड़ की, जिससे करीब 65 लाख रुपये का नुकसान हुआ, जो उन वसूला जाएगा।
इस संबंध में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी कहते हैं कि यह आरोप योगी सरकार की तरफ से लगाया गया है और उसी के आदेश के बाद हम लोगों की फोटो होर्डिंग में बतौर दंगाई लगायी गयी हैं। जबकि अदालत में साबित नहीं हुआ है कि हमने किसी तरह की तोड़फोड़ की थी या फिर हम हिंसा में शामिल हैं। दूसरी बात यह कि जब हम न फरार हैं और न अदालत साबित कर पायी है कि किसी तरह की हिंसा में हमारा हाथ है तो योगी सरकार की तरफ से लगाये गये ये होर्डिंग्स गैरकानूनी हैं।
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इस मामले में एसआर दारापुरी ने उत्तर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव (गृह) को एक पत्र लिखा है, जो उन्होंने 19 दिसंबर, 2019 को लखनऊ में हुयी हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाने से जीवन तथा स्वतंत्रता के अधिकार के लिए उपजे खतरे के सम्बन्ध में लिखा है।
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पोस्टर लगने के बाद हम लोगों के बारे में लोगों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गयी हैं। अतः जिला प्रशासन की उपरोक्त कार्रवाही के फलस्वरूप मेरे तथा अन्य आरोपियों के साथ कोई भी अप्रिय घटना होती है तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी जिला प्रशसन तथा सरकार की होगी। आपसे यह भी अनुरोध है कि उक्त पोस्टरों को तुरंत हटवाएं एवं इस अवैधानिक कार्रवाही के लिए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाही करें। इस पत्र को उन्होंने पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी लखनऊ और पुलिस आयुक्त लखनऊ को भी भेजा है।
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एसआर दारापुरी इस मसले पर कहते हैं, हम लोगों को बदनाम करने औरटारगेट करवाने के इरादे से हमारे पोस्टर योगी सरकार द्वारा लगाए गए हैं। इसमें हमारी मानहानि भी और हमारी लाइफ और लिबर्टी भी है, उसको भी बहुत बड़ा ख़तरा पैदा हुआ है. इस पॉइंट को लेकर इसको हम लोग हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रहे हैं।'
तो अब रिटायर्ड IPS दारापुरी और लखनऊ हाईकोर्ट के वकील मो. शोएब की संपत्ति कुर्क करेगी यूपी पुलिस?
गौर करने वाली बात यह है कि दंगाइयों में संस्कृतिकर्मी दीपक कबीर भी शामिल हैं, जिनके द्वारा आयोजित सांस्कृतिक आयोजन कबीर फेस्टिवल का उद्घाटन हाल ही में लखनऊ के कमिश्नर ने किया था और तमाम बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारी उसका हिस्सा बने थे। लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की बैठक में प्रशासन उनसे राय लेता था और अब उन्हीं दीपक कबीर की फोटो होर्डिंग में चौराहों पर लगी है। उन पर भी दंगे के दौरान तोड़फोड़ और हिंसा फैलाने का आरोप है, जिसकी वसूली सरकार उनसे करेगी।