लखनऊ में CAA और NRC के विरोध में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी की गिरफ़्तारी पर उनके पौत्र की भावुक टिप्पणी
पुलिस के उच्च अधिकारियों में जाति और सांप्रदायिक पूर्वाग्रह है तो उनके अधीन आने वाले लोगों में भी दिखेंगे ये लक्षण : एसआर दारापुरी, पूर्व आईपीएस (file photo)
लखनऊ में CAA और NRC के विरोध में गिरफ्तार हुए दर्जनों लोगों में पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी भी शामिल हैं, आईजी रहे एसआर दारापुरी का कैसा रहा संघर्षशील जीवन बता रहे हैं मार्मिक तरीके से उनके पोते सिद्धार्थ दारापुरी
यह लिखते हुए मेरी आँखें आंसुओं से भरी हैं। वह आदमी जिसने भारतीय पुलिस सेवा के एक ईमानदार और कर्मठ अधिकारी के रूप में 30 सालों तक देश की सेवा की। जिन्हें अपने जूनियर और सीनियर अधिकारियों से बराबर प्यार मिला। जिन्होंने एक भागते हुए उपद्रवी को तब भी नजदीक से गोली नहीं मारी, जब वह उनकी जीप पर गोली दाग रहा था।
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जो अकेल एक गैंग का आत्मा-समर्पण कराने के लिए गए और उस गैंग के किसी सदस्य का इनकाउंटर नहीं किया। जिन्होंने कभी जाति के आधार पर बंटी हुई पुलिस मेस की व्यवस्था को बदल दिया। जिन्होंने अपने सर्विस रिवॉल्वर से कभी एक गोली नहीं दागी।
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एक प्रतिबद्ध अंबेडकरवादी और विद्वान, जो हमेशा आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए तत्पर रहे। वे उन लोगों के लिए लड़े, जिन्हें ‘आतंकवादी’ बताकर झूठे मामलों में फंसा दिया गया। वे उन लोगों के लिए लड़े, जिन्हें उद्योग और विकास के नाम पर जंगलों से बेदखल किया जा रहा था। वे हाशिये के उन लोगों के लिए लड़े, जिन्हें जातिगत प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। वे उन लोगों के लिए लड़े जो एक जून की रोटी के मोहताज थे।
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हाँ, वे मेरे दादा हैं। और वे उन महान लोगों में से एक हैं, जिन्हें मैं जानता हूँ। हमेशा मुस्कराने वाले, चाहे हालात कितने भी बदतर क्यों न हों। वे सलाखों के पीछे मुस्करा रहे थे और मुस्कराहट तब भी उनके चेहरे पर थी, जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। हम उन्हें प्यार करते हैं और मैं किसी को भी उनकी आँखों की चमक छीनने नहीं दूंगा।
(सिद्धार्थ दारापुरी ने यह मूल पोस्ट अपने फेसबुक वॉल पर अंग्रेजी में लिखी है। इस पोस्ट के साथ सिद्धार्थ ने जो फोटो शेयर की है उसमें उनके दादाजी एसआर दारापुरी उन्हें गोदी में लिए हुए हैं।)