भारत समेत इन 5 देशों में मचेगी इस साल पानी के लिए मारकाट और भड़केगी हिंसा
शोध रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दशक में पानी के लिए हिंसा में इसके पहले के दशक की तुलना में दुगुने से भी अधिक की दर्ज की गयी है बढ़ोत्तरी, 2050 तक दुनिया की 5 अरब आबादी पानी की गंभीर कमी का करेगी सामना...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
अनुमान है कि वर्ष 2020 के दौरान इराक, ईरान, माली, नाइजीरिया, भारत और पाकिस्तान में पानी के मसले पर हिंसा भड़केगी। इस अनुमान को हाल में ही विकसित एक पूर्वानुमान तंत्र के सहारे लगाय गया है। इस तंत्र को विकसित करने के लिए आर्थिक मदद नीदरलैंड्स की सरकार ने की है, और इसे विकसित करने का काम दुनिया के 6 प्रतिष्ठित संस्थानों – वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, वेटलैंड इंटरनेशनल, द हेग सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज, इंटरनेशनल अलर्ट, आईएचई डेल्फ्ट और डच फॉरेन मिनिस्ट्री ने किया है।
इसे हाल में ही संयुक्त राष्ट्र के सिक्यूरिटी कौंसिल को भी सौपा गया है। इस पूर्वानुमान तंत्र की खासियत यह है कि इसे वैज्ञानिक, सरकार और संस्थानों के साथ-साथ सामान्य जन भी उपयोग में ला सकते हैं। यह तंत्र www।waterpeaceseecurity.org नामक पोर्टल पर उपलब्ध है।
दावा किया गया है कि इसकी मदद से 12 महीने आगे तक का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और इसकी सफलता का औसत 86 प्रतिशत है। इसके अनुसार हिंसा का मतलब, जिसमें कम से कम दस लोग प्रभावित हों, है। यह इस तरह का पहला तंत्र है जिसमें पर्यावरण से सम्बंधित जानकारी को किसी भी क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक परिवेश से जोड़ा गया है। वर्त्तमान में इसके सहारे अफ्रीका, मध्य-पूर्व और दक्षिणपूर्व एशिया के देशों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
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संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक दुनिया की 5 अरब आबादी पानी की गंभीर कमी का सामना करेगी। बढ़ती आबादी के बीच पानी की कमी के कारण संघर्ष पनपेगा। वर्तमान में भी दुनिया के अनेक क्षेत्रों में पानी के लिए संघर्ष हो रहे हैं।
कैलिफ़ोर्निया स्थित पसिफ़िक इंस्टीट्यूट द्वारा हाल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक के दौरान पानी के लिए हिंसा में इसके पहले के दशक की तुलना में दुगुने से भी अधिक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।
वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ जल विशेषज्ञ चार्ल्स आइसलैंड के अनुसार इस तंत्र में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की मदद से पिछले 20 वर्षों के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में पानी के लिए हिंसा, राजनैतिक, सामाजिक-आर्थिक, जनसंख्या का विस्तार, पानी की उपलब्धता के साथ-साथ जलवायु और पानी से सम्बंधित लगभग 80 पैमानों का आकलन का विश्लेषण करने के बाद अगले 12 महीनों का पूर्वानुमान तय किया जाता है। वर्तमान में सबसे अधिक ध्यान अफ्रीका, मध्य-पूर्व और दक्षिणपूर्व एशिया के देशों पर दिया जा रहा है।
इंटरनेशनल अलर्ट की जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ जेसिका हर्तोग के अनुसार इराक और माली तो वर्तमान में भी पानी के युद्ध से जूझ रहे हैं। माली से गुजरने वाली सबसे बड़ी नदी नाइजर कई देशों से होकर गुजरती है। माली के सभी पड़ोसी देशों ने इस पर बड़े बाँध बना लिए हैं और नहरों से नदी का पानी निकाल लेते हैं, इसलिए माली में पानी की भयानक किल्लत है। वहां ना तो खेती के लिए पर्याप्त पानी हैं और ना ही घरेलू खपत के लिए।
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इराक में हाल में ही प्रदूषित पानी पीने से लगभग 120000 व्यक्ति बीमार पड़े थे। ऐसा वहां अक्सर होता है। इस कमी से आपसी संघर्ष बढ़ता जा रहा है। दुनिया के अधिकतर क्षेत्र में तथाकथित आर्थिक विकास, जनसंख्या वृद्धि और तापमान वृद्धि के कारण पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है, और इस कारण इससे सम्बंधित हिंसा बढ़ रही है।
ईरान के अबादान और खोर्रमशहर में प्रदूषित पानी को लेकर बड़े आन्दोलन किये जा चुके हैं। सीरिया में पानी की कमी के कारण गाँव से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन हो रहा है, पूरी कृषि चौपट हो चुकी है। पलायन इतनी भारी संख्या में हो रहा है कि अब इस मुद्दे पर भी गृहयुद्ध की संभावना बढ़ती जा रही है।
आईएचई डेल्फ्ट की जल से सम्बंधित कानूनों के विषय पर वरिष्ठ लेक्चरर सुजान स्च्नेइएर के अनुसार पानी की कमी हरेक देश में महसूस की जा रही है, ऐसे में पूर्वानुमान तंत्र के माध्यम से यदि सरकारें पहले ही चेत जाती हैं और आवश्यक इन्तजाम कर पाती हैं, तब निश्चित तौर पर ऐसी हिंसा को कम किया जा सकता है।