ट्रंप के भारत दौरे के बाद दिल्ली के दंगों पर अमेरिकी मीडिया और सांसदों ने क्या कहा ?
जनज्वार। अमेरिका के मीडिया में राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे पर जितनी चर्चा नहीं की गई है उससे ज्यादा दिल्ली के दंगों पर की है। अमेरिका के प्रमुख अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि नई दिल्ली में दंगे एक विवादास्पद नागरिकता कानून और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़ते विवादों का नतीजा है।
जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा कि जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने बारत की राजधानी का दौरा किया, उस दौरान कम से कम 11 लोग सांप्रदायिक झड़पों में मारे गए। इस अखबार ने अपनी रिपोर्ट का शीर्षक दिया- युद्द के मैदान में तब्दील हुई दिल्ली की गलियां, हिंदू बनाम मुस्लिम।
सीएनएन ने लिखा कि एक नया कानून जो चुनिंदा देशों से गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता देता है उसको लेकर भारतीय राजधानी में समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक सांप्रदायिक झड़पों में एक पुलिस अधिकारी समेत कम से कम 21 लोग मारे गए हैं।
फॉक्स न्यूज ने लिखा, भारत ने सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के लिए रेड कारपेट बिछाया, सैकड़ों चीयरलीडर्स और विशाल रैली के लिए हफ्तों की तैयारी का दौर चला लेकिन सबसे बड़े नागरिकता विवादों में से एक विवाद ने इस देश को जकड़ लिया है।
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दिल्ली की हिंसा पर अमेरिकी कांग्रेस की प्रमिला जयपाल ने कहा, 'भारत में धार्मिक असहिष्णुता का घातक उछाल भयानक है। लोकतंत्र को विभाजन और भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए या धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करने वाले कानूनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।' उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'दुनिया देख रही है।'
This deadly surge of religious intolerance in India is horrifying. Democracies should not tolerate division and discrimination, or promote laws that undermine religious freedom. The world is watching. https://t.co/vZNsCfNbUZ
— Rep. Pramila Jayapal (@RepJayapal)
?ref_src=twsrc^tfw">February 25, 2020
सांसद एलन लोवेन्टल ने कहा यह नैतिक नेतृत्व की एक दुखद विफलता है। हमें भारत में मानवाधिकारों के लिए खतरों के सामने बोलना चाहिए।
This is a tragic failure of moral leadership. We must speak out in the face of threats to human rights in India. https://t.co/LW5glpTC1b
— Rep. Alan Lowenthal (@RepLowenthal)
?ref_src=twsrc^tfw">February 25, 2020
डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सीनेटर एलिजाबेथ वारेन ने कहा, 'भारत जैसे लोकतांत्रिक सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। लेकिन हमें धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित हमारे मूल्यों के बारे में सच बोलने में सक्षम होना चाहिए और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा कभी स्वीकार्य नहीं है।'
It’s important to strengthen relationships with democratic partners like India. But we must be able to speak truthfully about our values, including religious freedom and freedom of expression—and violence against peaceful protestors is never acceptable. https://t.co/UxkFNDI0rP
— Elizabeth Warren (@ewarren)
?ref_src=twsrc^tfw">February 26, 2020
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सासंद रशीदा तालिब ने कहा, इस हफ्ते ट्रम्प ने भारत का दौरा किया लेकिन वास्तविक कहानी दिल्ली में मुसलमानों को लक्षित करने वाली सांप्रदायिक हिंसा होनी चाहिए। हम चुप नहीं रह सकते क्योंकि मुस्लिम विरोधी हिंसा का यह ज्वार पूरे भारत में जारी है।
This week, Trump visited India but the real story should be the communal violence targeting Muslims in Delhi right now. We cannot be silent as this tide of anti-Muslim violence continues across India. https://t.co/4VXFlk5pEg
— Rashida Tlaib (@RashidaTlaib)
?ref_src=twsrc^tfw">February 26, 2020
अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने कहा कि यह नई दिल्ली में मुसलमानों को निशाना बनाने वाली घातक भीड़ हिंसा की रिपोर्टों से चिंतित है। इसने मोदी सरकार से भीड़ पर लगाम लगाने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का आग्रह किया।
बता दें कि दिल्ली में भड़की हिंसा में अबतक 20 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हैं। इस हिंसा को लेकर गृहमंत्रालय और दिल्ली पुलिस की चौतरफा आलोचना हो रही है।