वो कौन हैं जो चीन से युद्ध चाहते हैं

Update: 2017-08-11 17:33 GMT

युद्ध पहले कागज नक्शे और खर्च का हिसाब लगाकर तय किये जाते हैं, मगर इसका नतीजा जरूरी नहीं वही हो जो अपेक्षित था...

अर्चना गौतम

भारतीय मध्यवर्गीय लोग समयान्ध (समय के परिणाम जानते हुए भी अंधे) हैं। वही इस वक्त चीन से बेवजह के युद्ध चाहते हैं, जो युद्ध चाहते हैं उनके परिवार का कोई भी सदस्य सेना में नहीं हैं। उनके पास अखबार हैं, ग्लेज मैगजीन हैं, सौ चैनल वाला टीवी है, प्लाट जमीन जायदाद है। मनै खाने—कमाने की रोज की खुदबेचू जरूरत नहीं है। ये मैं अपने गांव आसपास की कह रही हूं शहरों महानगरों के बारे में मेरी समझ कम है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारे पास कोई तर्क नहीं है। अमेरिका ने पहले भी उकसा के हमारा भारी नुकसान कराया था और इस बार भी यही कर रहा है। दोगला अमेरिका एक तरफ इस अंध-उन्मादी सरकार को चढ़ा रहा है, दूसरी तरफ गंभीर मंचों पर खुद को तटस्थ और चिंतित दिखा रहा है। GT के हवाले से अमेरिकी चिंतकों—स्कालरों के बयान आप पढ़ सकते हैं, वो समय की लिखत में दर्ज है।

अब जिस तरह ये युद्ध बन रहा है, वो छोटी झड़प नहीं लग रही। अगर लड़ाई पहाड़ों पर नो मेंस लेंड पर होती है, तो सैनिक और युद्ध साजोसामान का नुकसान होकर इसका नतीजा निकल आयेगा। क्षति होगी, पर सैन्य क्षति होगी और आर्थिक व्यय भी होगा। जो सैन्य बजट जनता के टैक्स से बना है, सरकार रीलीफ कर देगी। मगर अर्थव्यवस्था में गिरावट आयेगी ही (ये बड़ा नुकसान नहीं होगा)।

पर जैसी भाषा चीन कह रहा है उसके निहितार्थ सोच के दहशत होती है और उनकी मंशा दिखती है कि वे चुप्पे पत्थरचेहरा लोग किस हद तक जा सकते हैं, चीन के बयान में चुने शब्द देखिए-
— "मोदी अपने देश की जनता के भाग्य से खेल रहे हैं।"
— चीन की 'अपार शक्ति'
— भारत को दर्दनाक सबक
— भारत जैसा और जितना युद्ध चाहता है करे पर अपनी जनता को सच्चाई बता दे !

युद्ध पहले कागज नक्शे और खर्च का हिसाब लगाकर तय किये जाते हैं, मगर इसका नतीजा जरूरी नहीं वही हो जो अपेक्षित था। जंग का विरोध करें। जो जंग मध्यवर्ग के लिए मनोरंजन हो, उसमें नुकसान किसका होगा?

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