महिला ने आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट में लिखा मोदी जी क्या यही अच्छे दिन हैं

Update: 2019-01-08 08:06 GMT

मृतका ने सुसाइड नोट में लिखा, जब भाई ने अपने जीजा के नाम पर लोन लेकर 65 हजार का मोबाइल खरीदा था तो बड़े प्यार से फुसलाया था, दीदी तुम चिंता मत करो। मैं सारे पैसे चुका दूंगा। दो किस्त देने के बाद मेरे मां-बाप, भाई—बहन सभी की नीयत खराब हो गई। आज सब बेईमान हो गए, जिसके कारण मुझे आत्महत्या को मजबूर होना पड़ रहा है...

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के योगीराज में एक महिला ने इसलिए मौत को गले लगा लिया क्योंकि उसके भाई ने उसके पति के नाम पर लोन ले भरने से मना कर दिया। इसी के चलते तनाव में आई महिला ने मौत को गले लगा लिया और सवाल किया प्रधानमंत्री मोदी से कि अगर कोई लोन की ईएमआई न भर पाए तो हारकर उसे मौत को गले लगाना पड़ता है क्या यही है आपके अच्छे दिनों की सरकार।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक आगरा के ताजगंज क्षेत्र के धांधूपुरा गांव में रविवार 6 जनवरी को शशि नाम की महिला ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले उसने चार पेज का एक सुसाइड नोट लिखा, जिसमें उसने अपनी तकलीफों का बयान किया। महिला ने जो दर्द बयां किया है उसके अनुसार न सिर्फ उसके अपनों ने उसे धोखा दिया, बल्कि सत्ता व्यवस्था के कारण भी वह जान देने पर मजबूर हुई।

सुसाइड नोट में मरने वाली महिला शशि ने आत्महत्या के लिए अपने भाई को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि, भाई ने मृतका के पति के नाम पर लोन लेकर लिए मोबाइल की ईएमआई जमा करने से साफ—साफ मना कर दिया था, जिससे महिला तनाव में आ गई और आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में आत्महत्या करने वाली महिला ने नरेंद्र मोदी के 'अच्छे दिन' सहित उन तमाम वादों को भी गिनाया है, जो सत्ता में आने से पहले उनके द्वारा किए गए थे।

आत्महत्या से पहले लिखे पत्र में शशि ने लिखा है, 'मोदी जी क्या यही अच्छे दिन आए हैं। लोन लेने के लिए हम जैसे लोगों को कितनी मेहनत करनी पड़ती है। आपने ट्रेनिंग सेंटर खोले। मैंने भी खंदौली से 800 रुपये देकर ट्रेनिंग ली थी। कोर्स के बाद सर्टिफिकेट मिलेगा, जिससे लोन मिल जाएगा, लेकिन वहां से कुछ भी नहीं हुआ। हम जैसे लोगों को कोई लोन नहीं देता है। अब जाकर जैसे तैसे लोन मिला। दुकान खोली तो अपने आ गए छीनने के लिए।'

घटनाक्रम के मुताबिक ताजगंज के गांव धांधूपुरा निवासी महिला शशि ने शनिवार 5 जनवरी की रात फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दूसरे दिन सुबह परिजनों ने शशि का शव घर की रसोई में फांसी के फंदे से झूलता हुआ देखा तो कोहराम मच गया। पुलिस को इस घटना के बारे में अवगत कराया गया, और घर से महिला का चार पन्नों का सुसाइड नोट मिला जिसमें शशि ने अपने आत्महत्या के कारणों और तनाव का जिक्र किया है।

शशि ने अपनी मौत के लिए अपने माता-पिता, भाई, बहन, देवर और देवरानी को जिम्मेदार ठहराया है, जिनके खिलाफ पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक आगरा के सदर क्षेत्र के सेवला निवासी अजेंद्र की बेटी शशि की शादी 19 साल पहले धांधूपुरा निवासी वीरेंद्र के बेटे लक्ष्मण सिंह से हुई थी। इस दंपती के दो बच्चे 16 साल का बेटा अमन और 14 साल की बेटी उन्नति हैं। मरने वाली महिला शशि के पति वीरेंद्र के मुताबिक उसके छोटे भाई जितेंद्र की शादी शशि की बहन राजकुमारी से हुई थी। चार महीने पहले शशि के भाई योगेश ने 65 हजार रुपये की कीमत का मोबाइल फोन लोन पर खरीदा था और लोन अपने जीजा यानी शशि के पति वीरेंद्र के नाम से लिया था। ब्याज सहित 80 हजार रुपये हर महीने 3300 रुपये की ईएमआई देकर चुकाने थे।

शनिवार 5 जनवरी की शाम को भी शशि ने उससे फोन पर बात की। शशि ने जब योगेश से ईएमआई भरने को कहा तो उसने लोन अदा करने से साफ—साफ इंकार कर दिया, जिससे पति पर बढ़ते आर्थिक दिक्कतों की कल्पना करके ही शशि तनाव में आ गई और शनिवार 5 जनवरी की रात को घर की रसोई में पंखे पर दुपट्टे से फंदा बनाकर फांसी लगा आत्महत्या कर ली।

रविवार 6 जनवरी की सुबह छह बजे जब वीरेंद्र जगा तो उसने अपनी पत्नी शशि को फांसी पर लटका देखा। मरने से पहले शशि ने चार पन्नों का सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें उसने आत्महत्या के कारण बताए थे

बकौल शशि वह अपने भाई योगेश से बेहद प्यार करती थी, क्योंकि वह चार बहनों में इकलौता भाई था। सुसाइड नोट में शशि ने लिखा है 8—9 साल तक मंदिरों में रो-रोकर मन्नत मांगी थी, तो भाई हुआ था, मगर ये किसे पता था कि उसी भाई की वजह से मुझे एक दिन मरना पड़ेगा। जब भाई ने अपने जीजा के नाम पर लोन लेकर 65 हजार का मोबाइल खरीदा था तो बड़े प्यार से फुसलाया था, दीदी तुम चिंता मत करो। मैं सारे पैसे चुका दूंगा। दो किस्त देने के बाद मेरे मां-बाप, भाई—बहन सभी की नीयत खराब हो गई। आज सब बेईमान हो गए, जिसके कारण मुझे आत्महत्या को मजबूर होना पड़ रहा है।

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