Delhi News: आर्थिक संकट, फासीवाद और मजदूर आंदोलन पर दिल्ली में सेमिनार

Delhi News: इंकलाबी मजदूर केंद्र ने गांधी पीस फाउंडेशन में 'आर्थिक संकट फासीवादी विस्तार और मजदूर आंदोलन की चुनौतियां' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया । इस सेमिनार में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा एक सेमिनार पत्र भी प्रस्तुत किया गया ।

Update: 2022-06-11 12:46 GMT

Delhi News: आर्थिक संकट, फासीवाद और मजदूर आंदोलन पर दिल्ली में सेमिनार

Delhi News: इंकलाबी मजदूर केंद्र ने गांधी पीस फाउंडेशन में 'आर्थिक संकट फासीवादी विस्तार और मजदूर आंदोलन की चुनौतियां' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया । इस सेमिनार में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा एक सेमिनार पत्र भी प्रस्तुत किया गया । उक्त कार्यक्रम में 21 संगठनों के अतिरिक्त सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं प्रोफेसर्स आदि ने भागीदारी किया । कार्यक्रम में भागीदार संगठनों के प्रतिनिधियों ने उक्त विषय पर अलग-अलग कोणों से अपनी बात रखी। सभी प्रतिनिधि वक्ताओं ने बताया कि मौजूदा आर्थिक संकट पूंजीवाद का अपना संकट है । लेकिन इसका दंश बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी, गरीबी, महिला हिंसा, भांति भांति के अपराध के रूप में मजदूरों-किसानों सहित गरीब महिलाओं को झेलना पड़ता है ।

मौजूदा आर्थिक संकट पूंजी निवेश की कमी के कारण नहीं है, बल्कि उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में आयी भारी गिरावट के कारण पैदा हुआ है । यह दिनों दिन बढ़ता जा रहा है । आर्थिक संकट निजीकरण, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की नीतियों के द्वारा पूंजीपति वर्ग को मिली 'लूट की छूट' का परिणाम है । 2007-2008 से गहरे संकट में फंसी देश दुनिया की अर्थव्यवस्था को 2020-21 में आयी कोरोना महामारी ने रसातल में पहुंचा दिया है । अर्थव्यवस्था में आए संकट से पूंजीपति को मुनाफा कमाने का संकट भी आया है । लेकिन अपने देश की मोदी सरकार सहित दूसरे देशों की सरकारों ने पूंजीपति वर्ग के साथ एकजुटता दिखाते हुए अरबों खरबों के आर्थिक पैकेज दिए हैं । इन सरकारों ने पूंजीपति वर्ग को ऋण माफी, कारपोरेट टैक्स में भारी छूट के साथ भांति भांति की अन्य दूसरी रियायतों से मदद की हैं । लेकिन समाज में बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, भुखमरी,महिला हिंसा आदि को दूर करने के लिए किसी तरह के कदम उठाने के बजाय मजदूरों- किसानों और अन्य मेहनतकशों के अधिकारों को खत्म करने का ही कानून बनाया है।


जिससे समाज में सरकारों एवं पूजीपति वर्ग के खिलाफ असंतोष लगातार बढ़ रहा है । बढ़ते असंतोष के कारण छिटपुट आंदोलन भी खड़े हो रहे हैं । मारुति कम्पनी, प्रीकाल कम्पनी,पीएफ कानून के खिलाफ बेंगलुरू में महिला मजदूरों के संघर्ष चर्चित संघर्ष रहे हैं । देश में कृषि कानूनों के खिलाफ 13 महीने चले किसानों के संघर्ष ने मोदी सरकार को किसानों के खिलाफ बने तीनों कृषि कानूनों को वापस करने के लिए मजबूर कर दिया था । देश दुनिया में बढ़ते असंतोष एवं संघर्षों को कुचलने के लिए पूंजीपति वर्ग फासीवादी राज्य कायम करने के लिए लगातार फासीवादी संगठनों को सह दे रहा है ।

प्रतिनिधियों ने मोदी सरकार को फासीवादी सरकार बताते हुए आरोप लगाया है कि यह सरकार अपने सहयोगी संगठनों जैसे बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, हिन्दू सेना, एबीवीपी से मिलकर समाज में धार्मिक उन्माद फैलाकर हिंसा को बढ़ावा दे रही है । सरकार सरकारी उद्यमों को पूंजीपतियों को सौंप रही है तथा उन्हें लूटने के लिए रास्ते बना रही है । मोदी सरकार मजदूरों-किसानों-महिलाओं के अधिकारों पर हमला कर उनके खिलाफ कानून बना रही है । मोदी सरकार के साथ भाजपा की राज्य सरकारों ने बुल्डोजर को इंसाफ का पर्याय बता कर इंसाफ के बहाने अल्पसंख्यकों, दलितों, मजदूरों-मेहनतकशों के घर-मकान-रोजीरोटी पर बुल्डोजर चला रही है । बुल्डोजर राज फासीवाद का नया हथियार है ।

सभी ने प्रतिनिधियों ने पूंजीवादी-साम्राज्यवादी लूट एवं देश में बढ़ते फासीवादी खतरा पर चिंता व्यक्त किया । सभी ने केंद्रीय मजदूर संगठनों की


समझौता परस्ती एवं उनकी दूसरी गम्भीर किस्म की कमजोरियों पर बात की । सभी वक्ताओं ने छोटे संगठनों की सीमाओं को रेखांकित करते हुए एक नया अखिल भारतीय क्रांतिकारी मजदूर संगठन बनाने पर जोर दिया । इस सेमिनार में दिल्ली पीपुल्स फोरम के साथी अर्जुन प्रसाद, एफ्टू (न्यू) के साथी पीके शाही, परिवर्तनकामी छात्र संगठन से साथी महेंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी से साथी चंचल, सर्वोदय मंडल से साथी सतीश कुमार, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र से साथी हेमलता, इंकलाबी मजदूर केंद्र के साथी संजय मौर्या,साथी श्यामवीर, भारत भविष्य मीडिया के साथी भागीरथ, इफ्टू के साथी अनिमेष दास, जन संघर्ष मंच हरियाणा के साथी पाल सिंह, डीयू के प्रोफेसर सरोज गिरी, मजदूर सहयोग केंद्र के साथी पारोमा, मजदूर अधिकार संगठन के साथी शिवकुमार, भगत सिंह छात्र एकता मंच के साथी राजवीर, समयांतर पत्रिका के संपादक पंकज बिष्ट,भारतीय किसान यूनियन (असली अराजनैतिक) के साथी प्रबल प्रताप शाही, मजदूर पत्रिका की साथी निशा आदि अपने वक्तव्य रखे । इफ्टू(सर्वहारा) के साथी किसी इमरजेंसी के कारण सेमिनार में शामिल नहीं हो सके किन्तु संगठन की केन्द्रीय कमेटी की ओर से सेमिनार हेतु संदेश भेजा गया था जिसे संचालक ने सदन को पढ़ कर सुनाया । मजदूर एकता कमेटी एवं लोकपक्ष के साथी सेमिनार में मौजूद होने पर भी अपनी बात नहीं रख सके ।अध्यक्ष मण्डल में बैठकर साथी अर्जुन प्रसाद,सुदेश कुमारी, पंकज बिष्ट, हेमलता, नरभिंदर सिंह,संजय मौर्या, महेन्द्र कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की । कार्यक्रम का संचालन इमके के महासचिव साथी खीमानंद ने किया । फरीदाबाद से आई इमके की सांस्कृतिक टीम द्वारा क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किया गया ।

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