Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary : जब अटल ने एक पत्रकार से कहा था - तुम चरण सिंह ​नहीं कि तुमसे बात कर बता दूं कि वार्ता सफल होगी या नहीं

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary : 1984 में एक बार अटलजी ने आती ट्रेन को देखकर पीछे पड़े पत्रकार से कहा - 'मैं कोई ज्योतिषी थोड़े ही हूं। फिर तुम तो चरण ​नहीं हो कि तुमसे ही बात करके बता दूं कि वार्ता सफल होगी या नहीं।'

Update: 2021-12-25 07:51 GMT

1984 में अटल बिहारी वाजपेयी ने एक पत्रकार से कहा था - मैं कोई ज्योतिषी नहीं।  

Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व देश सदाहबहार लोकप्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee ) की आज 97वीं जंयती है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी व अन्य गणमान्य लोगों ने 'सदैव अटल' पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी ने उनके स्मारक पर पुष्प अर्पित कर पूर्व प्रधानमंत्री को याद किया। अटल जी के बारे में कहा जाता है कि वह पाक कला से लेकर सियासी कल तक में निपुण थे। आज उनके उसी सियासी कला का एक संस्मरण का जिक्र आपसे करने जा रहा हूं। दरअसल, ऐसा मैं, यह सोच कर रहा हूं कि आप भी जान सकें कि वो सियासी बातें जो किसी को नहीं बताया चाहते थे, उसे पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भी वो छुपा जाते थे, पर कैसे?

जिस संस्मरण की बात मैं करने जा रहा हूं वो 1984 की दीपावली की भाईदूज की है। इसका जिक्र साहित्यकार व लेखक आजाद रामपुरी ने अटल के संस्मरणों को लेकर भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद प्रभा झा द्वारा संपादित पुस्तक हमारी अटल में की है। आजाद रामपुरी कहते हैं कि अटल जी मानस भवन में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। कार्यक्रम समापन के बाद हम लोग उन्हें छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गए थे। अटलजी ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे।

सवाल का दिया जवाब, पर नहीं बताई वो बात

उसी समय एक पत्रकार आ टपके। जबकि अटलजी ने इस कार्यक्रम को विशुद्ध साहित्यिक आयोजन बताकर अपने दल के कार्यकर्ताओं से उनसे दूर रहने का निर्देश दिया था। उक्त पत्रकार ने अटलजी से पूछा कि आपके दल और चौधरी चरण सिंह के भाारतीय लोक दल ने आगामी चुनाव हेतु गठबंधन होगा या नहीं? अटलजी पत्रकार से तत्कल पीछा छुड़ाने की दृष्टि से सटीक किंतु संक्षिप्त जवाब दिया, फिर भी वार्ता जारी रही, पत्रकार कहां मानने वाले थे, उन्होंने तो प्रश्न पर प्रश्न दागना शुरू कर दिए। वार्ता सफल होगी की नहीं, दोनों दलों के गठबंधन ( Election alliance ) को कितनी सीटें मिलेंगी, आदि-आदि। अटलजी ने आती ट्रेन को देखकर कहा, मैं कोई ज्योतिषी थोड़े ही हूं। फिर तुम तो चरण सिंह ​( Chaudhary Charan Singh ) नहीं हो कि तुमसे ही बात करके बता दूं कि वार्ता सफल होगी या नहीं। उसके बाद अटल जी ट्रेन में बैठ गए और पत्रकार महोदय अपना सा मुंह लिए खड़े-खड़े देखते रहे। हालांकि, उनकी मनसा पत्रकार को निराश करने की नहीं थी।

अटल 5 बार हारे चुनाव

बता दें कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई (  Atal Bihari Vajpayee ) को अपने 60 साल के राजनीतिक करियर में पांच बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा लेकिन उनको सबसे बुरी हार मथुरा में मिली। अटल बिहारी यहां से निर्दलीय प्रत्याशी राजा महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी।

बलरामपुर से जीते चुनाव

1957 में अटल बिहारी तीन लोकसभा सीटों मथुरा, लखनऊ और बलरामपुर से चुनाव लड़े थे। इन तीन सीटों में से वह बलरामपुर की संसदीय सीट से लोकसभा पहुंचे थे। मथुरा में उन्हें मात्र 10 फीसदी वोट मिले और वह चौथे नंबर पर रहे थे।

खुद ही राजा महेंद्र प्रताप के लिए मांगा था वोट

अटल जी यहां से चुनाव हारे थे, इसका कारण वह स्वयं थे। उन्होंने तब चुनावी रैलियों में खुद लोगों से कहा था कि वे उन्हें नहीं राजा महेंद्र प्रताप सिंह को वोट दें। अटल की का लक्ष्य यहां से चुनाव जीतना नहीं, बल्कि कांग्रेस को हराना था।

नहीं छोड़ा मथुरा के लोगों का साथ

चुनाव हारने के बाद भी अटल जी ने मथुरा के लोगों का साथ नहीं छोड़ा। दरअसल, अटल बिहारी मथुरा की संसदीय सीट के कार्यकर्ताओं के बहुत करीब थे और हमेशा उनसे जुड़े रहे। उनकी हार के बाद भी कुछ नहीं बदला। उन्हें पता था कि मजबूती कैसे बनानी है। वह दूसरों का सम्मान करते थे, यही कारण था कि हर कोई उनका सम्मान और उनसे प्यार करता था। उन्हें मथुरा के लोगों से बहुत प्यार और लगाव था। 

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