राज्यसभा में कृषि विधेयक पर हंगामा करने वाले 8 सांसद सस्पेंड, डेरेक ओ-ब्रायन व संजय सिंह शामिल
निलंबित किए गए आठ सांसदों में चार कांग्रेस के, दो तृणमूल के, एक आम आदमी पार्टी के व एक सीपीएम के हैं।
File photo
जनज्वार। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने रविवार को कृषि विधेयक पर चर्चा व उसे पारित कराये जाने के दौरान हंगामा करने वाले आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया है। इन सांसदों ने मोदी सरकार द्वारा सदन में पेश व पारित कराये जार रहे दो कृषि विधेयकों का तीखा विरोध किया था और उसकी प्रतिलिपि उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह छीनने की कोशिश की थी।
जिन सांसदों को सस्पेंड किया गया है, उनमें तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन व डोला सेन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव सातव, रिपुण बोरा, सैयद नजीर हुसैन, केके रागेश व माकपा के एलामरम करीम शामिल हैं। इन सांसदों को एक सप्ताह के लिए सभापति वेंकैया नायडू ने निलंबित किया है। यानी ये इस पूरे सप्ताह सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे।
सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं डेरेक ओ ब्रायन का नाम लेता हूं कि वे सदन से बाहर जाएं। अगर कल मार्शल्स को सही समय पर नहीं बुलाया जाता तो उपाध्यक्ष के साथ क्या होता यह सोच कर मैं परेशान हूं।
सभापति नायडू द्वारा उनके निलंबन की सूचना सदन को दिए जाने के बाद पहले कार्यवाही 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। फिर सदन की कार्यवाही शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने निलंबित सांसदों से आग्रह किया कि उन्हें नियम 256 के तहत नामित किया गया है और वे सदन की कार्यवाही में न रहें। उपसभापति ने उनसे सदन से बाहर चले जाने का आग्रह किया।
राज्यसभा सांसद वी मुरलीधरन ने कहा कि निलंबित सदस्यों को सदन में रहने का कोई अधिकार नहीं है। सदन गैर सदस्यों की उपस्थिति के साथ काम नहीं कर सकता है। हालांकि निलंबन की इस कार्रवाई का विरोध किया गया और जिसके कारण सदन की कार्यवाही एक बार फिर 10.36 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
भाजपा की शिकायत पर कार्रवाई
सभापति वेंकैया नायडू ने हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ भाजपा की शिकायत के बाद कार्रवाई की। भाजपा ने आरंभ में ही सदन की कार्यवाही में कल हंगामा करने वाले सांसदों की शिकायत की। भाजपा के राज्यसभा सांसदों ने कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान राज्यसभा उपसभापित हरिवंश की उपस्थिति में कल सदन मेें हंगामा करने वाले विपक्षी सदस्य की शिकायत करते हुए इसे अनुचित आचरण बताया।