कोरोना वायरस से भी बड़ी महामारी है किसान बिल, किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी
किसान नेता श्रवण सिंह पंधेर।
जनज्वार। नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि विधेयकों को शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भले किसान विरोधी बताते हुए अपना इस्तीफा दे दिया हो लेकिन विपक्ष दल से लेकर किसान संगठन तक उनके इस्तीफे में राजनीति देख रहे हैं। किसान संगठन सीधे तौर पर यह कह रहे हैं कि हरसिमरत कौर बादल ने अपना इस्तीफा बहुत देर से दिया है और हम एक व्यापक आंदोलन खड़ा करेंगे व मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करते रहेंगे। गुरुवार को अपने इस्तीफे के बाद हरसिमरत ने कहा था उन्हें किसानों की बहन व बेटी के रूप में उनके साथ खड़े होने का गर्व है।
पंजाब के किसान मंजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सर्वण सिंह पंधेर ने शुक्रवार को कहा है कि हरसिमतरत कौर बादल ने बहुत देर से इस्तीफा दिया है। पंधेर ने कहा कि हरसिमरत ने लोगों को गुस्सा शांत करने के लिए इस्तीफा दिया है। अगर सुखबीर सिंह बादल किसानों की समस्या को सही मायने में स्वीकार करते हैं तो उन्हें अपने लाखों कार्यकर्ताओं के साथ संसद का घेराव करना चाहिए।
Harsimrat Kaur Badal ji's resignation has come very late. It's to calm down anger of people. Even today, if Sukhbir Badal ji realises, then he should 'gherao' the Parliament with lakhs of his workers: Sarwan Singh Pandher, General Secy, Kisan Mazdoor Sangharsh Committee #Punjab pic.twitter.com/Hl4x6veUuw
— ANI (@ANI) September 18, 2020
पंधेर ने कहा कि हम लोगों ने तय किया है कि 24 से 26 सितंबर के बीच मोदी सरकार के तीन किसान विरोधी विधेयक के खिलाफ रेल रोको आंदोलन चलाएंगे।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन लखोवाल के महासचिव हरिंदर सिंह ने मोदी सरकार के तीन कृषि विधेयकों को कोरोना वायरस से भी बदतर बताया है। उन्होंने कहा है कि इसे लागू किया गया तो किसान, आढतिए और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे।
पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने इसके विरोध में जहर भी खाया। वहीं, अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गवर्नर से भेंट कर कहा है कि धारा 144 के उल्लंघन के विरोध में किसानों पर दर्ज हुए केस वापस लिए जाएंगे। उन्होंने किसानों से मार्गाें व अन्य आवश्यक कार्य में अवरोध न पैदा करने की अपील की है।
अमरिंदर ने कहा कि अकाली की नौटंकी है इस्तीफा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा को अकाली दल का नौटंकी बताया है। उन्होंने कहा है कि शिरोमणि अकाली दल को किसानों की चिंता नहीं है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि केंद्रीय कैबिनेट से हरसिमरत कौर का बाहर होने का निर्णय अकाली दल द्वारा जारी नाटकों की लंबी श्रृंखला की एक और कड़ी है, जिसने अभी सत्तारूढ गठबंधन नहीं छोड़ा है। इन्हें किसानों की चिंता नहीं है बल्कि अपने घटते राजनैतिक कद की चिंता है, बहुत छोटा और बहुत देरी से उठाया गया कदम। अमरिंदर ने इसे राजनैतिक जमीन बचाने की कोशिश करार दिया है।
Harsimrat Kaur's decision to quit Union Cabinet is another in the long chain of theatrics being enacted by @Akali_Dal_ which has still not quit ruling coalition. It's motivated not by any concern for farmers but to save their own dwindling political fortunes. Too little too late.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) September 17, 2020
चुनावी चिंताओं से जुड़ा है हरसिमरत का इस्तीफा
पंजाब में डेढ साल बाद विधानसभा चुनाव होना है। पंजाब एक ऐसा राज्य है जो उद्योग के साथ ही कृषि में देश के ज्यादातर सूबों से काफी आगे हैं। हरसिमरत के ससुर प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली शिरोमणि अकाली दल का मुख्य जनाधार किसानों के बीच ही है। कथित मोदी लहर के बाजवूद शिरोमणि अकाली दल पिछले विधानसभा चुनाव में सरकार से बाहर हो गई थी। जाहिर है उसे अपनी घरेलू राजनीति में मोदी की नीतियों और चुनाव में चेहरे के तौर पर पेश करने पर भरोसा नहीं है। पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस के नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह व तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया था।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
पंजाब पहला ऐसा राज्य था जहां किसान कर्ज माफी सहित अन्य लुभावने वादे कर कांग्रेस (2014 में मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उदय की परिस्थितियों के बाद) सरकार में आयी थी। इसके बाद इसी फार्मूले को अपनाते हुए कांग्रेस ने भाजपा से उसके तीन राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ छिन लिए थे।
ऐसे में बादल परिवार को यह अहसास है कि किसानों की नाखुशी एक बार फिर उन्हें सत्ता से बाहर रख सकती है, इसलिए उन्होंने सरकार से बाहर होना बेहतर समझा। हालांकि इसे पूरे मामले का एक पक्ष यह भी है कि मोदी सरकार ने गुरुवार को जो बिल लोकसभा में पारित कराया है, उसे जब अध्यादेश के रूप में लाया गया था तो सीनियर बादल व उनकी बहू व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने उसका समर्थन किया था।