'40 साल कांग्रेस में रहने वाले वफादार नहीं रहे तो हमसे शिकवा क्यों ?'-भाजपा प्रेम में कैसी भाषा बोलने लगे हैं हार्दिक पटेल

हम जो बात केवल दो साल में समझ गए, कपिल सिब्बल जैसे नेता को वह बात समझने में 35 साल लगे, गुलाम नबी आजाद वही बात 50 साल में समझे....

Update: 2022-11-05 14:40 GMT

'40 साल कांग्रेस में रहने वाले वफादार नहीं रहे तो हमसे शिकवा क्यों ?'-भाजपा प्रेम में कैसी भाषा बोलने लगे हैं हार्दिक पटेल

Gujrat Election 2022 : अस्सी के दशक की सुपर हिट हिंदी मूवी "दीवार" में खलनायक बने अमिताभ बच्चन को उसका पुलिसकर्मी भाई शशि कपूर जब अमित से गलत रास्ता छोड़ने को कहता है तो अमिताभ उसे पहले औरों से गलत रास्ता छोड़ने की सलाह देने को कहते हैं। इस पर शशि का "औरों के पाप गिनाने से तुम्हारे पाप कम नहीं हो जाते" जैसा सारगर्भित जवाब इन दिनों एक जमाने में भारतीय जनता के धुर विरोधी रहे और अब भाजपा से गलबहियां डाले गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल पर उस समय अच्छे से फब रहा है, जब कांग्रेस से अपनी वफादारी के सवाल पर वह दूसरों की दगाबाजी की चर्चा कर रहें हैं।

दरअसल यह समय गुजरात विधानसभा चुनाव का चरम समय है। ऐसे माहौल में नेताओं के इतिहास भूगोल से लेकर उनके अतीत वर्तमान और भविष्य तक पर खुली चर्चा हो रही है। ऐसी ही एक चर्चा के दौरान एक समय में भाजपा के धुर विरोधी रही हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर की जोड़ी ने कांग्रेस छोड़ने की वजह बताने के दौरान यह अद्भुत तर्क दिया है। जैसा की मालूम ही है कि गुजरात में पिछले विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी की तिगड़ी ने भारतीय जनता पार्टी की नाक में दम कर रखा था। बाद में इस तिकड़ी में से हार्दिक और अल्पेश के सुर कुछ नरम पड़े। धीरे धीरे हुए इस बदलाव का परिणाम यह है कि यह दोनों ही आज भारतीय जनता पार्टी का न केवल हिस्सा हैं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए गुजरात में एक बार फिर बीजेपी सरकार के आने का दावा कर रहे हैं। हार्दिक पटेल इसी साल बीजेपी में शामिल हुए हैं।

एक न्यूज चैनल से बातचीत में हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस छोड़ने की वजह बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ भी है। जिस पार्टी के खिलाफ उन्होंने आंदोलन किया उसी के लिए अब उनके बदले रुख को लेकर जब हार्दिक से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि शुरुआत एक सामाजिक मुद्दों के आंदोलन से हुई थी। जिसमें स्वाभाविक रूप से आक्रामकता का पुट था। जब सामाजिक मुद्दों के साथ आंदोलन पूर्ण होता है तो यह मेरा मानना है कि किसी भी राजनीतिक दल के साथ उस भावना से आगे तो नहीं बढ़ा जा सकता है।

कांग्रेस छोड़ने की वजह बताते हुए हार्दिक ने कहा कि आंदोलन में जब हमारे मुद्दे पूरे हुए तो हम राजनीति में आए। जहां (कांग्रेस में) गए वहां (कांग्रेस) के लोगों को लगा और हमको भी लगा कि गुजरात के हितों के लिए, जनता के लिए अस्मिता और गौरव के साथ काम नहीं कर सकते इसलिए हम बीजेपी के साथ जुड़े। हार्दिक ने गुजरात में अस्मिता और गौरव की बात करने वाले दल की ही सरकार बनने का दावा किया कि गुजरात के सात करोड़ लोग प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनायेंगे।

भारतीय जनता पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होने पर अल्पेश की सफाई थी कि कांग्रेस में भी कहां लोकतंत्र बचा है। वहां के सभी निर्णय ऊपर से होते हैं। हालांकि दोनों नेताओं के पास भाजपा के पक्ष में बैटिंग करने लायक ऐसा कुछ नहीं था, लिहाजा उन्होंने पूरे कार्यक्रम में कांग्रेस विरोध को ही अपने एजेंडे पर रखते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस को जिन लोगों के लिए लड़ना था वो उनके पास सिर्फ चुनाव के वक्त जाती है। उसके नेता भी अपनी पार्टी के लिए लॉयल नहीं है। वहां भागदौड़ मची है। जब तक उनको और उनके बच्चों को टिकट मिल रहा है, तभी तक उसके साथ हैं।

लेकिन सबसे अल्टीमेट जवाब उनका पार्टी के प्रति वफादारी को लेकर रहा। जब हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने अपनी समझदारी का प्रदर्शन करते हुए कहा कि हम जो बात केवल दो साल में समझ गए, कपिल सिब्बल जैसे नेता को वह बात समझने में पैंतीस साल लगे। गुलाम नबी आजाद वही बात पचास साल में समझे। अशोक गहलोत को भी सीएम पद से हटा दिया गया तो उन्होंने भी बगावत कर दी थी। कुल मिलाकर उनके जवाब का अर्थ था कि जो लोग 40-40 साल कांग्रेस में रहकर भी लॉयल नहीं रहे तो फिर इस बात की हमसे ही अपेक्षा क्यों, हमें ही कांग्रेस का साथ छोड़ने के लिए गाली क्यों देते हो?

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