एलोपैथी को बकवास कहने वाले रामदेव के खिलाफ बिहार में दर्ज होंगे कई मुकदमे, डॉक्टरों ने कहा हुआ है हमारा अपमान
डॉक्टरों ने कहा कि रामदेव को बिना तथ्य और लॉजिक के दिए अपने बयानों के लिए डॉक्टर समुदाय से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए....
जनज्वार ब्यूरो। एलोपैथी को बकवास और कोरोना मौतों के लिये जिम्मेदार बताते वाले रामदेव के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन खुलकर सामने आ रहा है। रामदेव के खिलाफ अब बिहार में आईएमए की कई शाखाओं के सदस्यों ने मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया है।
रविवार 6 जून को राजधानी पटना में हुई आईएमए बिहार के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में इस अभियान को तेज करने की रणनीति बनाई गई। डॉक्टरों ने कहा कि बाबा रामदेव को बिना तथ्य और लॉजिक के दिए अपने बयानों के लिए डॉक्टर समुदाय से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बैठक में मौजूद डॉक्टरों ने तय किया किया कि रामदेव पर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान, पद्धति, कोविड टीकाकरण एवं अन्य एलोपैथी दवाओं के खिलाफ गलतबयानी करने और कोविड शहीद स्वास्थ्यकर्मियों के अपमान के चलते बिहार की विभिन्न शाखाओं के सदस्यों द्वारा मुकदमा दायर किये जायेंगे।
आईएमए के मुताबिक रामदेव के उल्टे-सीधे बयानों से डॉक्टर समुदाय के सम्मान को ठेस पहुंची है। मरीज तक डॉक्टर को संदेह की निगाह से देखने लगे हैं। जब दुनियाभर में कोरोना महामारी के कारण डॉक्टर अपनी जान गंवाकर लोगों की सेवा में दिन-रात लगे हुए हैं, ऐसे वक्त में रामदेव को एलोपैथी और डॉक्टरों को अपमानित करने का कोई अधिकार नहीं है। रामदेव ने डॉक्टरों के प्रति अमर्यादित भाषा, वैक्सीन के प्रति दुष्प्रचार और कोरोना से लोगों को बचाने के दौरान शहीद हुए डॉक्टरों का घोर अपमान किया है। रामदेव के इस कृत्य के लिए डॉक्टर समुदाय ही नहीं हर जागरूक नागरिक आहत हुआ है। दुनियाभर में हमारे देश का मजाक बना है।
गौरतलब है कि योग के जरिये व्यापार जगत में एंट्री करने वाले रामदेव ने भी एक हालिया वीडियो क्लिप में कम से कम ये तो बताया है कि देशभर में इस वर्ष फरवरी से अबतक 1000 से अधिक चिकित्सकों की मौत हो चुकी है। इस वीडियो क्लिप में रामदेव कहते हैं कि वैक्सीन की डबल डोज लेने के बाद भी देश में 1000 से अधिक डॉक्टर मर चुके हैं। रामदेव यहां पिछले वर्ष होने वाली मौतों की बात नहीं कर रहे हैं। वैक्सीन जनवरी से शुरू की गयी थी और जिन्होंने शुरू में ही वैक्सीन ली होगी, उन्हें दूसरे डोज़ फरवरी में दी गयी होगी – इसलिए वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद भी 1000 से अधिक डौक्टर मर चुके हैं।
गौरतलब है कि पतंजलि ने पिछले साल जून में 'कोरोना किट' लॉन्च की थी। जिस पर खासा विवाद हुआ था। आयुष मंत्रालय ने कहा था कि पतंजलि कोरोनिल को केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली बताकर बेच सकता है। रामदेव ने 'कोरोनिल' को तब कोविड-19 की दवा के रूप में लॉन्च किया था, मगर विवाद के बाद वह उसे बीमारी का असर कम करने वाली दवा कहने लगे थे। बाबा रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मंत्रालय ने उनसे कोविड के इलाज की जगह 'कोविड प्रबंधन' शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कहा है। 23 जून 2020 को रामदेव ने 'कोरोनिल' लॉन्च करते हुए इससे कोविड-19 मरीजों को ठीक करने का दावा किया था। इसके लॉन्च होते ही देश में विवाद छिड़ गया। तब उत्तराखंड के आयुष विभाग ने भी कोरोना की दवा बनाने की कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं लिए जाने की बात कहते हुए पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था।