सामाजिक कार्यकर्ता और आर्य समाज के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश का निधन

भगवा चोला धारण करने के बाजवूद कर्मकांड और अंधविश्वास पर स्वामी अग्निवेश हमेशा जबर्दस्त प्रहार करते थे इसीलिए हिंदुत्ववादियों के निशाने पर हमेशा रहे, उन्हें जान से मारने की भी कोशिश हुई...

Update: 2020-09-11 13:45 GMT

जनज्वार। ख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और हरियाणा सरकार में मंत्री रहे स्वामी अग्निवेश का अभी शुक्रवार 11 सितंबर की शाम को निधन हो गया है। स्वामी अग्निवेश भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता, सुधारक, राजनेता व सन्त पुरुष के तौर पर जाने जाते हैं।

80 वर्षीय अग्निवेश पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वे अपनी तल्ख टिप्पणियों के लिए अकसर हिंदूवादियों के निशाने पर रहते थे।

2018 में 17 जुलाई को स्वामी अग्निवेश को झारखंड के पाकुड़ में आयोजित पहाड़िया महासम्मेलन में हिस्सेदारी के दौरान भाजपाई गुंडों ने अपना निशाना बनाया था। भाजपा की स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व भारतीय जनता युवा मोर्चा के गुंडे स्वामी अग्निवेश के पाकुड़ दौरे का विरोध कर रहे थे। विरोधस्वरूप उन्हें काले झंडे दिखाते हुए उनके साथ मारपीट की और उन्हें मरणासन्न होने तक पीटा। बमुश्किल उनकी जान बच पाई थी।

स्वामी अग्निवेश लीवर की समस्या से पीड़ित थे। उनका लीवर का ट्रांसप्लांट होना था, डोनर भी मिले लेकिन इसी बीच वे कोरोना पीड़ित हो गए। अंतिम समय पर स्थिति ज्यादा खराब होने पर उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था।

इस भगवाधारी स्वामी को लोग उसकी क्रांतिकारिता के लिए याद रखेंगे। स्वामी अग्निवेश आर्य समाज के अध्यक्ष थे। कर्मकांड और अंधविश्वास पर वे हमेशा जबर्दस्त प्रहार करते थे इसीलिए हिंदुत्ववादियों के निशाने पर हमेशा रहे।

स्वामी अग्निवेश की ख्याति बंधुआ मजदूरों के मुद्दों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के तौर पर स्थापित करने को लेकर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को बंधुआ मजदूरों के मुक्ति और पुनर्वास को लेकर कानून बनाने को मजबूर कर दिया था।

स्वामी अग्निवेश हरियाणा की जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रहे। मंत्री के तौर पर भी उनके काम को सराहा गया। अपने तल्ख भाषणों से वह कर्मकांड, राजनीति, समाज की ऐसी बखिया उधेड़ते थे कि हर कोई उनका मुरीद हुए बिना नहीं रहता था। 

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