Bihar Shelter Home Kand Part 2 : हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया शेल्टर होम का मामला, महिला संगठनों ने सरकार से की ये मांग

Bihar Shelter Home Kand Part 2 : संगठनों ने मांग की कि महिला संगठनों, मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें सुधार गृह में जा सकें। इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए.....

Update: 2022-02-05 16:11 GMT

Bihar Shelter Home Kand Part 2 : बिहार के गायघाट रिमांड होम (Remand Home Case) मामले को लेकर महिला संगठनों संयुक्त बैठक हुई। बैठक में गायघाट रिमांड होम से मुक्त हुई महिला के बयान के संदर्भ में विचार विमर्श किया गया। इससे पहले महिला संगठनों की प्रतिनिधियों को उक्त महिला ने विस्तार से अपनी बातें बताई। महिला संगठनों को एक अन्य लड़की के भी बयान की जानकारी मिली है।

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। महिला संगठनों (Women Organisations) की ओर से कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया गया है। महिला संगठनों ने सरकार से मांग की है कि समाज कल्याण विभाग की तरफ से महिला के चरित्र का मूल्यांकन और परिचय उजागर करने वाला बयान अखबारों में आया है यह गलत है और इस पर कार्रवाई की जाए।

महिला संगठनों की मांग है कि गायघाट रिमांड होम मामले में संपूर्ण मामले की जांच पटना हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर की जाए। महिला संगठनों ने कहा कि रिमांड होम में लड़कियों को जेल की तरह बंद रखने के बजाए सुधार गृह के रूप में लाने के लिए कदम उठाना जरूरी है। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड ने इसे सिद्ध किया है।इसके लिए गृह के भीतर स्कूल, मानसिक रूप से बीमार के लिए डॉक्टर का इंतजाम किया जाए।

महिला संगठनों ने कहा कि आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार की ट्रेनिंग की बात तो होती है लेकिन यह कहीं मुक्कमल नहीं है। इसकी व्यवस्था की जाए। उन्होंने मांग की कि सुधार गृह में जांच-पड़ताल और संवासिनो से समय-समय पर बातचीत करने के लिए महिला संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों की टीम नियमित समय अंतराल में भेजी जाए।

संगठनों ने मांग की कि महिला संगठनों, मानवाधिकार संगठनों को अधिकार हो कि वे जब चाहें सुधार गृह में जा सकें। इसकी अनुमति देने की प्रक्रिया सरल बनाई जाए।

बैठक में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की मीना तिवारी, शशि यादव, अफ्शां जबीं, बिहार महिला समाज की निवेदिता, रिंकू, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की रामपरी, रश्मि श्रीवास्तव, ए डब्ल्यू एस एफ की आसमां खान, एआइएमएसएस की अनामिका, कोरस की समता राय आदि शामिल हुईं।

महिला संगठनों की तरफ से सरकार से मांग की गई है कि वह तत्काल कदम उठाए। ऐसा नहीं होने पर 9 फरवरी को प्रतिवाद कार्यक्रम किया जाएगा।

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